संबंधित खबरें
वो एकलौती तवायफ जिसके प्यार में पड़कर इन दो कट्टर 'ब्राह्मणों' ने कर लिया था इस्लाम कबूल, लेकिन फिर भी क्यों तरसे प्यार को?
कैसा होता है हिंदुओ का नर्क और वहीं जहन्नुम में इतना बुरा होता है रूह का हश्र…जीते-जी न सही लेकिन यहां होती है ऐसी हालत कि?
भगवान कृष्ण पर था द्रौपदी के एक टुकड़े का वो कौन-सा कर्ज, जिसे चुकाने का किस्सा आज भी कलियुग में किया जाता है याद, लेकिन नहीं पता असलियत?
शनिदेव ने कलियुग में आकर हनुमान जी से कही थी ये बात, टेढ़ी नजर डाली तो हुआ ऐसा हाल, पढ़ें खौफनाक किस्सा
6 घंटे बाद इन 6 चुनिंदा राशियों का शुरू होने जा रहा है राज योग, गजकेसरी राजयोग बनते ही मिलेगा साक्षात कुबेर का ऐसा आशीर्वाद जो भर देगा इनका गल्ला
इन 4 तारीखों को जन्में लोगों को होती है चुगली की आदत, मुलांक से जाने कैसा है आपका स्वभाव?
India News (इंडिया न्यूज), Indian Wedding Garland Tradition: हिंदू धर्म में शादी से कुछ दिन पहले ही रस्में शुरू हो जाती हैं। सभी रस्में विधि-विधान से निभाई जाती हैं। इनमें हल्दी, मेहंदी, जयमाला और जूता चुराई जैसी रस्में शामिल हैं। जयमाला एक ऐसी रस्म है, जिसमें दूल्हा-दुल्हन एक-दूसरे को वरमाला पहनाते हैं। इस रस्म के लिए एक खास कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि शादी के दौरान दूल्हा-दुल्हन द्वारा एक-दूसरे को वरमाला पहनाने की रस्म कैसे शुरू हुई और यह रस्म क्यों निभाई जाती है? जानें इसके पीछे का कारण।
वरमाला पहनाने की रस्म का उल्लेख पौराणिक कथाओं और शास्त्रों में मिलता है। पौराणिक कथा के अनुसार, स्वयंवर के दौरान भगवान श्री राम ने भगवान शिव का धनुष तोड़ा था, जिसके बाद माता सीता ने राम जी को वरमाला पहनाकर उन्हें अपना जीवनसाथी स्वीकार किया था। उसी समय से वरमाला पहनाने की रस्म की शुरुआत मानी जाती है। इस रस्म को विवाह का अहम हिस्सा माना जाता है।
एक अन्य कथा के अनुसार, एक समय ऐसा आया जब जगत के पालनहार भगवान विष्णु सृष्टि के संचालन में व्यस्त हो गए, उस समय धन की देवी माता लक्ष्मी समुद्र की गहराइयों में समा गईं। इस कारण श्री हरि ने देवी लक्ष्मी को पुनः प्राप्त करने के लिए समुद्र मंथन करवाया। इसके बाद समुद्र मंथन से माता लक्ष्मी हाथ में फूलों की माला लेकर प्रकट हुईं। उन्होंने भगवान विष्णु को माला पहनाई।
बता दें कि विवाह के दौरान दूल्हा-दुल्हन द्वारा एक-दूसरे को वरमाला पहनाने का अर्थ होता है कि दूल्हा-दुल्हन एक-दूसरे को जीवन साथी के रूप में स्वीकार करते हैं। इस दौरान परिवार, घर और दोस्त दूल्हा-दुल्हन को नए जीवन की शुरुआत की शुभकामनाएं देते हैं।
जयमाला कई तरह के फूलों की मदद से बनाई जाती है, क्योंकि फूलों को उत्साह, सुंदरता और प्रेम का प्रतीक माना जाता है। मान्यता के अनुसार जयमाला को सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है। विवाह के दौरान यह रस्म प्राचीन काल से निभाई जाती रही है।
डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है।पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। इंडिया न्यूज इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है।
Get Current Updates on, India News, India News sports, India News Health along with India News Entertainment, and Headlines from India and around the world.