संबंधित खबरें
उम्र से पहले ही ऐसे लोगो को आ जाता है बुढ़ापा…चाणक्य ने बताया इसका सबसे बड़ा कारण?
साल 2025 में ग्रहों का होने जा रहा है महागोचर, इन 3 राशियों का हो जाएगा बेड़ा पार, दूर हो जाएंगे सभी पुराने कष्ट
Today Horoscope: इस एक राशि पर होगी आज सूर्यदेव की असीम कृपा, तो इन 3 राशियों को रहना होगा सतर्क, जानें आज का राशिफल
इन दिनों ना छूएं तुलसी के पत्ते, नहीं तो हो जाएंगे दरिद्र, जानें तुलसी के पत्ते तोड़ने के सही नियम
महाकुंभ में किन्नर करते हैं ये काम…चलती हैं तलवारें, नागा साधुओं के सामने कैसे होती है 'पेशवाई'?
सोमवती अमावस्या के दिन भुलकर भी न करें ये काम, वरना मुड़कर भी नही देखेंगे पूर्वज आपका द्वार!
India News (इंडिया न्यूज़), India Fast: व्रत के समय अक्सर आपने सुना होगा या देखा भी होगा कि लहसुन और प्याज का घर में लाना और उपयोग करना बंद कर दिया जाता है, लेकिन ऐसा होता क्यों हैं क्या कभी ये सोचा हैं? या फिर ये परम्परा कब से चली आ रही हैं या फिर इसकी शुरुआत किसने की थी? और क्यों इसे इतनी महत्वता दी जाती हैं कि ये आज तक जिन्दा और सनातन धर्म में इसकी इतनी मान्यता तक हैं। तो आपको बता दे की इसके पीछे कई धार्मिक और स्वास्थ्य संबंधित कारण होते हैं। तो यहां कुछ प्रमुख कारण दिए गए हैं:
हिंदू धर्म में लहसुन और प्याज को तामसिक भोजन की श्रेणी में रखा गया है। तामसिक भोजन से मानसिक और शारीरिक ऊर्जा में कमी आती है और यह आलस्य, क्रोध और अनैतिक विचारों को बढ़ावा देता है। व्रत के दौरान सात्विक आहार का सेवन किया जाता है ताकि मन और शरीर पवित्र और शुद्ध रहें।
व्रत का समय आत्मशुद्धि और पवित्रता का होता है। इस दौरान पवित्रता बनाए रखने के लिए ऐसे खाद्य पदार्थों से परहेज किया जाता है जो अशुद्ध माने जाते हैं। लहसुन और प्याज को ऐसे पदार्थों में शामिल किया गया है जो शुद्धता को कम करते हैं।
पिछले 5 दिनों से हॉस्पिटल में एडमिट हैं Shatrughan Sinha, खुद बेटे ने दी हेल्थ अपडेट-IndiaNews
आयुर्वेद के अनुसार, लहसुन और प्याज को ऐसे खाद्य पदार्थ माना जाता है जो शरीर में गर्मी और उत्तेजना बढ़ाते हैं। व्रत के दौरान शरीर और मन को शांत और ठंडा रखने के लिए इनका सेवन नहीं किया जाता है।
व्रत और उपवास के समय में लहसुन और प्याज का त्याग एक पुरानी धार्मिक परंपरा है। यह परंपरा अनुयायियों को अनुशासन, संयम और आत्म-नियंत्रण का पालन करने के लिए प्रेरित करती है।
व्रत के समय व्यक्ति का उद्देश्य आत्मा और शरीर को सकारात्मक ऊर्जा से भरपूर करना होता है। लहसुन और प्याज को खाने से व्रती के मन और शरीर में नकारात्मकता बढ़ सकती है, इसलिए इन्हें त्याग दिया जाता है।
इन कारणों के चलते व्रत के दौरान लहसुन और प्याज का सेवन और घर में लाना बंद कर दिया जाता है। यह परंपरा धार्मिक, आध्यात्मिक और स्वास्थ्य की दृष्टि से महत्वपूर्ण मानी जाती है।
लहसुन और प्याज का एक पौराणिक कथा के अनुसार असुरों से जुड़ा नाता है। यह कथा समुद्र मंथन से संबंधित है, जिसमें देवताओं और असुरों के बीच अमृत (अमरता का अमृत) के लिए संघर्ष हुआ था।
कथा के अनुसार, जब समुद्र मंथन के दौरान अमृत निकला, तब देवताओं और असुरों ने इसे प्राप्त करने के लिए युद्ध किया। भगवान विष्णु ने मोहिनी अवतार धारण करके असुरों को धोखा दिया और अमृत का पात्र देवताओं को देने लगे। एक असुर, जिसका नाम राहु था, उसने देवताओं का रूप धारण करके अमृत पान करने की कोशिश की। सूर्य और चंद्र ने उसे पहचान लिया और भगवान विष्णु को इसकी सूचना दी। भगवान विष्णु ने तुरंत सुदर्शन चक्र से राहु का सिर काट दिया, लेकिन तब तक राहु ने अमृत का एक घूंट पी लिया था, जिससे उसका सिर अमर हो गया। राहु का सिर अमर हो गया और शरीर मृत हो गया।
कहा जाता है कि जब राहु का सिर कटा, तब उसके खून की बूंदें जमीन पर गिरीं। इन बूंदों से प्याज और लहसुन की उत्पत्ति हुई। इसलिए, इन्हें तामसिक और अपवित्र माना जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, लहसुन और प्याज में राहु के खून की अशुद्धि होने के कारण इन्हें व्रत और पूजा के दौरान त्याग दिया जाता है।
इस पौराणिक कथा के आधार पर लहसुन और प्याज को असुरों से जोड़ा जाता है और धार्मिक विधानों में इन्हें वर्जित माना जाता है। यह कथा धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं में महत्वपूर्ण स्थान रखती है और इसका पालन करने वाले लोग व्रत और पूजा के समय इनका सेवन नहीं करते हैं।
डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है।पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। इंडिया न्यूज इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है।
Get Current Updates on, India News, India News sports, India News Health along with India News Entertainment, and Headlines from India and around the world.