होम / क्यों वेश्याओं के घर की मिट्टी से बनाई जाती है मां दुर्गा की मूर्ति? जाने कैसे भगवान श्रीराम ने शुरू की थी ये अनोखी परंपरा

क्यों वेश्याओं के घर की मिट्टी से बनाई जाती है मां दुर्गा की मूर्ति? जाने कैसे भगवान श्रीराम ने शुरू की थी ये अनोखी परंपरा

Nishika Shrivastava • LAST UPDATED : October 9, 2024, 8:56 pm IST
ADVERTISEMENT
क्यों वेश्याओं के घर की मिट्टी से बनाई जाती है मां दुर्गा की मूर्ति? जाने कैसे भगवान श्रीराम ने शुरू की थी ये अनोखी परंपरा

Durga Puja Idol History

India News (इंडिया न्यूज़), Durga Puja Idol History: पूरे देश में नवरात्रि की धूम मची हुई है। हर साल इस त्योहार को बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। देश के हर कोने में नवरात्रि की धूम मची हुई है, लेकिन बंगाल में इस त्योहार को अलग ही धूमधाम से मनाया जाता है। जिस तरह मुंबई अपने गणेशोत्सव के लिए मशहूर है, उसी तरह बंगाल अपनी दुर्गा पूजा के लिए मशहूर है। हर साल यहां नवरात्रि के छठे दिन से दुर्गा पूजा मनाई जाती है, जिसका समापन दशहरे के दिन होता है। देश के अन्य हिस्सों में भी ये त्योहार बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। दुर्गा पूजा में मां दुर्गा के महिषासुर मर्दिनी रूप की पूजा की जाती है। इस दौरान भव्य और सुंदर मूर्ति की स्थापना की जाती है। बंगाल में पूजी जाने वाली मां दुर्गा की मूर्ति का रूप आमतौर पर सामान्य मूर्तियों से अलग होता है।

अपने तीखे नैन-नक्श और काले घुंघराले बालों वाली मां दुर्गा बेहद आकर्षक लगती हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि बंगाल में मां दुर्गा के सिर्फ अलग रूप की ही पूजा नहीं की जाती, बल्कि उन्हें बनाने का तरीका भी काफी अलग है। दरअसल, बंगाल में वेश्याओं के दरवाजे की मिट्टी का इस्तेमाल मां दुर्गा की मूर्ति बनाने के लिए किया जाता है। यहां जानें इसकी खास परंपरा।

मां दुर्गा की मूर्ति के लिए वेश्यालय की मिट्टी है जरूरी

मां दुर्गा की मूर्ति के लिए वेश्याओं के घर से मिट्टी लाने की यह परंपरा शाहरुख खान और ऐश्वर्या राय की फिल्म देवदास में भी दिखाई गई थी। हालांकि, आज भी बहुत से लोग नहीं जानते कि दुर्गा की मूर्ति के लिए ‘निषिद्धो पल्ली’ या रेड-लाइट जिले से मिट्टी लाना एक परंपरा है, जो बंगाल और उसके पड़ोसी राज्यों में सदियों से चली आ रही है। परंपरागत रूप से, पश्चिम बंगाल में मूर्ति निर्माण के केंद्र कोलकाता के कुमारतुली में दुर्गा की मूर्ति बनाने के लिए सेक्स वर्कर के घर के दरवाजे से ‘पुण्य माटी’ (पवित्र मिट्टी) लाना आवश्यक माना जाता था।

कलियुग के अंत में जीवित हो उठेंगे इस मंदिर के पत्थर के बने नंदी? धरती चीर कर महाकाल के रूप में प्रकट होंगे भगवान शिव – India News

वेश्याओं के दरवाजे की मिट्टी को पवित्र क्यों माना जाता है?

ऐसा माना जाता है कि जब कोई व्यक्ति वेश्या के घर में कदम रखता है, तो वो अपना सारा पुण्य और पवित्रता बाहर छोड़ देता है, जिससे दरवाजे की मिट्टी पवित्र हो जाती है। इसके अलावा, इस परंपरा की कहानी भगवान श्री राम से भी जुड़ी हुई है। यह भी माना जाता है कि यह परंपरा भी भगवान राम के समय से शुरू हुई थी।

कब और कैसे हुई इसकी शुरुआत?

दरअसल, दुर्गा पूजा का पारंपरिक समय वसंत ऋतु में होता है, जिसे बसंती पूजा कहा जाता है। हालांकि, शरद ऋतु में इस त्योहार को मनाने की परंपरा भगवान राम ने रावण से युद्ध से पहले देवी दुर्गा का आशीर्वाद लेने के लिए शुरू की थी। ऐसा कहा जाता है कि भगवान राम ने अपनी दुर्गा प्रतिमा के लिए एक वेश्या अंबालिका के घर की मिट्टी का इस्तेमाल किया था।

पांडवों ने बनाई थी एक ऐसी झील, जहां आज भी मौजूद है दुनिया का सबसे ऊंचा श्रीकृष्ण मंदिर, जानें इसका चौंकाने वाला इतिहास – India News

ये भी है मान्यता

इस परंपरा से जुड़ी एक और कथा प्रचलित है, जिसके अनुसार, एक वेश्या मां दुर्गा की बहुत बड़ी भक्त थी। हालांकि, समाज से मिल रहे तिरस्कार के कारण वो बहुत दुखी थी। अपने भक्त के दुख को देखकर और उसकी भक्ति से प्रसन्न होकर मां दुर्गा ने स्वयं उसे आशीर्वाद दिया कि जब तक वेश्यालय की मिट्टी का इस्तेमाल उनकी मूर्ति बनाने में नहीं किया जाएगा, तब तक मां दुर्गा उस मूर्ति में निवास नहीं करेंगी। इस परंपरा से जुड़ी कई अन्य मान्यताएं भी हैं।

 

डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है।पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। इंडिया न्यूज इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है।

Get Current Updates on, India News, India News sports, India News Health along with India News Entertainment, and Headlines from India and around the world.

ADVERTISEMENT

लेटेस्ट खबरें

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT