Tulsi Importance: तुलसी के पौधे को हिंदू धर्म में बेहद पवित्र बताया गया हैं और कहा गया है कि तुलसी के पौधा मां लक्ष्मी का रूप है. यही वजह से की तुलसी के पौधे के पत्तों को पूजा और कई शुभकार्य में इस्तेमाल किया जाता है. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि क्यों तुलसी को मां लक्ष्मी का रूप माना जाता है? क्यों सूर्यास्त के बाद नहीं तोड़ने चाहिए तुलसी के पत्ते? और दिसंबर के महीने में तुलसी को क्यों स्पेशल माना जाता हैं. आइये जानते हैं यहां इन सभी सवालों के जवाब
क्यों तुलसी को मां लक्ष्मी का रूप माना जाता है?
धार्मिक पौराणिक कथाओं के अनुसार, देवी लक्ष्मी ने श्रापवश पृथ्वी पर तुलसी के रूप में जन्म लिया था, जो वृंदा नामक एक पतिव्रता स्त्री थी, लेकिन जब उसका सतीत्व भंग हुआ तो वो तुलसी के रूप में अवतरित हुई. जिसके बाद भगवान विष्णु ने तुलसी जी को वरदान दिया कि वह शालीग्राम (विष्णु का रूप) के साथ पूजनीय रहेगी. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार तुलसी के ऊपरी भाग में सभी देवता, बीच में वेद और जड़ों में तीर्थस्थल निवास करते हैं. इसलिए जिस के घर में तुलसी का पौधा होता है, उस घर में घर को बुरी शक्तियों नहीं आती
तुलसी को देवी की तरह पूजने का वैज्ञानिक कारण
इसके अलावा तुलसी का पौधा बेहद चमत्कारी औषधीय है, जो घर को नकारात्मक ऊर्जा और कीटाणुओं से बचाती है. इसमे सर्दी, खांसी, बुखार और अन्य बीमारियों के इलाज कई महत्वपुर्ण गुर्ण होते हैं, इसके पत्तों का सेवन इम्युनिटी बढ़ाने का काम करता है. तुलसी के पौधे की खुशबू घर से मच्छरों और कीड़ों को दूर भगाती है और घर के वातावरण को शुद्ध करती है. इन सभी कारणों से, की वजह से तुलसी को केवल एक पौधा नहीं, बल्कि एक देवी के रूप में पूजा जाता है.
क्यों सूर्यास्त के बाद नहीं तोड़ने चाहिए तुलसी के पत्ते?
तुलसी के पौधे और किसी भी पेड़ के पत्ते को शाम के समय गलती से भी नहीं तोड़ना चाहिए, ऐसा करने से पाप लगता है.
सूर्यास्त के बाद तुलसी ना तोड़ने का धार्मिक कारण
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, तुलसी को भगवान विष्णु की प्रिय माना जाता है. मान्यताओं के अनुसार, सूर्यास्त के बाद तुलसी जी श्रीकृष्ण के साथ रासलीला करती हैं, और इस समय उन्हें विचलित करना अशुभ होता है। तुलसी के पत्तों को देवी लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है, ऐसे में सूर्यास्त के बाद इन्हें तोड़ने से माता लक्ष्मी नाराज हो सकती हैं
सूर्यास्त के बाद तुलसी ना तोड़ने का वैज्ञानिक कारण
सूर्यास्त के बाद पौधे अपनी चयापचय क्रियाओं को धीमा कर देते हैं, ठीक वैसे ही जैसे मनुष्य रात में आराम करते हैं, ऐसे ही कहा जाता है कि सूर्यास्त के बाद पौधा आराम करता है. इसलिए शाम के समय तुलसी के पौधे में जल अर्पित करना या पत्ते तोड़ना उसके प्राकृतिक चक्र में बाधा डालता है. कहा जाता है कि रात के समय पेड़-पौधे ऑक्सीजन के बजाय कार्बन डाइऑक्साइड छोड़ते हैं और अपनी चयापचय (metabolic) क्रियाएँ बदलते हैं. ऐसे में, रात में पत्तियां तोड़ने या पेड़ के पास ज्यादा समय बिताने से शरीर में CO2 की मात्रा बढ़ सकती है और ऑक्सीजन की कमी हो सकती है, जो सेहत के लिए अच्छा नहीं है. इसके अलावा रात में पत्तियों में नमी और अतिरिक्त कार्बनिक यौगिक होते हैं, जो उन्हें कीटों के लिए आकर्षक बनाती हैं, इसलिए इन्हें तोड़ने से पौधा कमजोर हो सकता है.
दिसंबर की महीने में तुलसी को महत्वपुर्ण मानने का वैज्ञानिक कारण
तुलसी के पौधे में एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-वायरल गुण होते हैं, जो सर्दी-जुकाम, फ्लू और रोग प्रतिरोधक क्षमता होते है, इसलिए सर्दियों में इसका सेवन फायदेमंद होता है. इसके अलावा तुलसी का पौधा 24 घंटे ऑक्सीजन देता है और हानिकारक कीटाणुओं को मारता है, जिससे आसपास की वायु शुद्ध होती है और प्रदूषण कम होता है
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