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हिंदू धर्म में पत्नियां क्यों नहीं लेते अपने पति का नाम? जानें इसके पीछे छुपे हुए रहस्य

Hinduism Husband Wife Respect: आज हम बात करेंगे की हिंदु धर्म में पत्नियां अपने पति का नाम क्यों नहीं लेती.

Written By: shristi S
Last Updated: September 24, 2025 18:27:33 IST

Why Wife Doesn’t Take Husband Name: हिंदु धर्म की संस्कृति और सभ्यता अपनी गहराई, मर्यादा और परंपरा के लिए जानी जाती है. इन्हीं परंपराओं में एक प्रथा रही है जिसमें पत्नियां अपने पति का नाम नहीं लेती. आज के आधुनिक समाज में यह परंपरा धीरे-धीरे कम होती जा रही है, लेकिन इसके पीछे छिपे कारणों को समझना हमें भारतीय संस्कृति के गहन दृष्टिकोण तक ले जाता है.

क्या हैं धार्मिक और पौराणिक आधार?

भारतीय शास्त्रों और पुराणों में कई स्थानों पर पति-पत्नी के संबंध को विशेष महत्त्व दिया गया है. जैसे कि-

  • स्कंद पुराण में उल्लेख है कि यदि पत्नी अपने पति का नाम सीधे लेती है, तो इससे पति की आयु पर विपरीत प्रभाव पड़ता है. यह मान्यता प्रचलित रही कि नाम लेने से पति की उम्र घट सकती है, इसलिए पतिव्रता स्त्रियों को इससे बचने की शिक्षा दी गई.
  • शिव महापुराण और अन्य ग्रंथों में भी पतिव्रता धर्म का उल्लेख मिलता है, जिसमें पत्नी से अपेक्षा की गई कि वह अपने पति का नाम लेने से परहेज करे. यह उसके समर्पण और धर्मपालन का एक हिस्सा माना गया.
  • धार्मिक दृष्टिकोण से यह भी माना गया कि आत्मा का कोई नाम नहीं होता. जब पति-पत्नी का संबंध आत्मिक स्तर पर देखा जाता है, तो उस स्थिति में नाम का प्रयोग गौण हो जाता है.

क्या होता है पतिव्रता धर्म?

भारतीय परंपरा में पतिव्रता स्त्री की छवि बड़ी ऊंची और पवित्र मानी जाती रही है. पति का नाम न लेना इसी पतिव्रत धर्म का एक अंग माना गया. पत्नी प्रायः पति के बाद भोजन करती थी और उनके बाद ही विश्राम करती थी. पति का नाम न लेकर वह उनके प्रति श्रद्धा, सेवा और समर्पण का भाव प्रदर्शित करती थी. इस प्रकार यह केवल परंपरा नहीं थी, बल्कि पति-पत्नी के संबंधों में अनुशासन और मर्यादा बनाए रखने का एक तरीका भी था.

सामाजिक और सांस्कृतिक कारण

धार्मिक मान्यताओं के अलावा, इस प्रथा के सामाजिक और सांस्कृतिक कारण भी उतने ही महत्वपूर्ण रहे हैं. जैसे कि

1. सम्मान का प्रतीक – भारतीय समाज में यह परंपरा रही कि किसी वरिष्ठ या पूजनीय व्यक्ति का नाम सीधे नहीं लिया जाता. उन्हें उनके पद, रिश्ते या विशेषणों से पुकारा जाता है. पति को पत्नी के लिए सबसे सम्माननीय माना गया, इसलिए उनका नाम लेने की बजाय उन्हें “जी”, “स्वामी”, “नाथ” आदि संबोधनों से पुकारा गया.

2. आत्मिक संबंध – पति-पत्नी का रिश्ता केवल सांसारिक नहीं माना गया, बल्कि इसे जन्म-जन्मांतर का बंधन समझा गया. आत्मा नाम से परे होती है, इसलिए आत्मिक स्तर पर जुड़े इस रिश्ते में नाम का प्रयोग आवश्यक नहीं समझा गया.

3. उम्र और शिष्टाचार – पारंपरिक समाज में पति अक्सर पत्नी से उम्र में बड़े होते थे. भारतीय संस्कृति में बड़ों का नाम सीधे लेना अशिष्टाचार माना जाता था. यही परंपरा पति-पत्नी के रिश्ते में भी झलकती है.

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