होम / कलियुग के अंत में जीवित हो उठेंगे इस मंदिर के पत्थर के बने नंदी? धरती चीर कर महाकाल के रूप में प्रकट होंगे भगवान शिव

कलियुग के अंत में जीवित हो उठेंगे इस मंदिर के पत्थर के बने नंदी? धरती चीर कर महाकाल के रूप में प्रकट होंगे भगवान शिव

Nishika Shrivastava • LAST UPDATED : October 8, 2024, 8:08 pm IST
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कलियुग के अंत में जीवित हो उठेंगे इस मंदिर के पत्थर के बने नंदी? धरती चीर कर महाकाल के रूप में प्रकट होंगे भगवान शिव

End of Kaliyuga and Yaganti Temple

India News (इंडिया न्यूज़), End of Kaliyuga and Yaganti Temple: शिव पुराण में भगवान शिव की महिमा का विस्तार से वर्णन किया गया है। भगवान शिव अपने भक्तों पर विशेष कृपा बरसाते हैं। उनकी कृपा से भक्तों के सभी दुख और परेशानियां दूर हो जाती हैं। साथ ही जीवन में खुशियां आती हैं। शास्त्रों में निहित है कि भगवान शिव जल्द प्रसन्न हो जाते हैं। बता दें कि देशभर में बड़ी संख्या में शिव भक्त बाबा के दर्शन के लिए तीर्थ यात्रा पर जाते हैं। इन्हीं में से एक मंदिर आंध्र प्रदेश के नंदयाल जिले में स्थित है। यह मंदिर दुनियाभर में प्रसिद्ध है। कहा जाता है कि मंदिर में स्थित पत्थर से बनी नंदी जी की मूर्ति का आकार दिनों-दिन बढ़ता जा रहा है। यहां जानें इसकी कथा।

क्या है इसके पीछे का रहस्य

दक्षिण भारत में उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर कहा जाता है कि ऋषि अगस्त्य श्री यागंती उमा महेश्वर मंदिर के स्थान पर भगवान विष्णु का मंदिर बनवाना चाहते थे। इसके लिए एक मूर्ति का निर्माण भी कराया गया था। हालांकि, स्थापना से पहले ही मूर्ति टूट गई। इससे ऋषि अगस्त्य काफी दुखी हुए। उस समय उन्हें कुछ समझ में नहीं आया। इसके बाद उन्होंने भगवान शिव की कठोर तपस्या की। ऋषि अगस्त्य की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव उनके सामने प्रकट हुए। ऋषि अगस्त्य ने दर्शन देते हुए पूछा कि भगवान विष्णु की मूर्ति टूटने के पीछे क्या कारण है।

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तब भगवान शिव ने कहा कि यह स्थान शिवालय के लिए अधिक उपयुक्त है। प्रकृति भी यही चाहती है कि आप यहां शिव मंदिर की स्थापना करें। इस स्थान की आकृति और संरचना कैलाश के समान है। इसलिए आपको यहां शिव मंदिर का निर्माण करवाना चाहिए। उस समय ऋषि अगस्त्य ने भगवान शिव से अनुरोध किया कि आप दोनों यानी शिव और पार्वती एक ही पत्थर में प्रकट हों। भगवान शिव ने ऋषि अगस्त्य की प्रार्थना स्वीकार कर ली।

कहां है मंदिर?

श्री यागंती उमा महेश्वर मंदिर आंध्र प्रदेश के नांदयाल जिले में है। इस मंदिर का निर्माण हरिहर बुक्का राय ने करवाया था, जो अकबर के समकालीन थे। श्री यागंती उमा महेश्वर मंदिर विजयनगर साम्राज्य की स्थापत्य शैली में बना है। कुरनूल से नांदयाल जिले की दूरी 100 किलोमीटर है। शिव भक्त कुरनूल से नांदयाल पहुंच सकते हैं।

क्या है इसका धार्मिक महत्व?

मंदिर में भगवान शिव और माता पार्वती की प्रतिमा स्थापित है। इसके साथ ही भगवान शिव के वाहन नंदी जी की प्रतिमा भी स्थापित है। नंदी जी की प्रतिमा के बारे में स्थानीय लोगों का कहना है कि इसका आकार हर दिन बढ़ता जा रहा है। इसके लिए मंदिर की संरचना में भी बदलाव किया गया है। नंदी जी की प्रतिमा के बारे में पोटुलुरी वीरब्रह्मेंद्र स्वामी वरु ने अपनी रचना कलग्ननम में बताया है कि मंदिर में स्थापित नंदी की प्रतिमा का आकार हर दिन बढ़ता रहेगा। वहीं कलियुग के अंत में मूर्ति रूप में मौजूद नंदी जी जीवित हो जाएंगे।

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मंदिर की विशेषता

श्री यागंती उमा महेश्वर मंदिर में भी एक पुष्करिणी है। पुष्करिणी का अर्थ है छोटा तालाब। इस तालाब में पानी नंदी के मुख से आता है। भक्त इस तालाब में स्नान और ध्यान करते हैं। ऋषि अगस्त्य ने भी पुष्करिणी में स्नान किया था और निकटतम गुफा में भगवान शिव की कठिन तपस्या की थी। वर्तमान में इसे अगस्त्य गुफा कहा जाता है। इसके साथ ही वेंकटेश्वर गुफा और वीर ब्रह्मम गुफा भी हैं।

 

डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है।पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। इंडिया न्यूज इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है।

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