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Dhanteras 2022 Yama Diya: हिंदू धर्म में धनतेरस (Dhanteras) पर्व का विशेष महत्व है। बता दें कि हर साल कार्तिक मास कृष्ण त्रयोदशी को धनतेरस मनाया जाता है। वहीं पंचांग के अनुसार, इस साल धनतेरस 23 अक्टूबर को पड़ रहा है। इस दिन छोटी दिवाली भी मनाई जाता है। इसके साथ ही इस दिन कुबेर (Kuber) देवता की भी पूजा का विधान है। मान्यता है कि इस दिन यमराज के नाम का दीया जलाना अनिवार्य होता है। धनतेरस पर नए आभूषण, सोना-चांदी और बर्तनों की खरीदारी करने का विशेष विधान है।
पौराणिक मान्यता के अनुसार, धनतेरस ही एक ऐसा अवसर होता है, जब कुबेर देव के साथ-साथ यम के निमित्त दीपक जलाया जाता है। यहां आपको बताते हैं कि आखिर धनतेरस पर यम के नाम का दीया क्यों जलाते हैं और इससे जुड़ी धार्मिक मान्यताएं क्या हैं।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार यमराज ने अपने दूतों से पूछा कि क्या उन्हें दूसरों के प्राण लेते वक्त दया नहीं आती है। जिसके जवाब में यमदूत ने एक स्वर में कहा नहीं महाराज! फिर यमराज ने उन्हें अभयदान देते हुए कहा कि सच बताओं। तब यमदूतों ने कहा कि उनका हृदय किसी के प्राण लेते वक्त वाकई भयभीत हो गया था। इस क्रम में दूतों ने यमराज से कहा कि एक बार हंस नाम का राजा शिकार के लिए दूसरे राज्य में चला गया। उस राज्य के राजा हेमा ने उस राजा का बहुत सत्कार किया। उसी दिन राजा की पत्नी हेमा ने एक पुत्र को जन्म दिया।
ज्योतिषियों ने नक्षत्र गणना के आधार पर बताया कि वो बालक अपने विवाह के चार दिन बाद मर जाएगा। जिसे सुनकर राजा ने उस बालक को यमुना के किनारे एक गुफा में ब्रह्मचारी के रूप में छोड़ आया और अपने लोगों से कहा कि उस पर नजर रखे ताकि उस पर किसी स्त्री की छाया ना पड़े।
कुछ समय बीतने के बाद एक दिन एक युवती ने यमुना के तट पर जाकर उस ब्रह्मचारी बालक से गंधर्व विवाह कर लिया। विवाह के चौथे दिन बाद उस राजकुमार की मृत्यु हो गई। जिसके बाद उन दूतों ने कहा महाराज हमने ऐसी जोड़ी नहीं देखी और उस महिला का विलाप देखकर हमारा दिल भर आया।
इस घटना के बाद यमराज ने कहा कि धनतेरस की पूजा विधिपूर्वक करने और इस दिन दीपदान करने से अकाल मृत्यु का खतरा टल जाता है। जिस घर में धनतेरस के दिन यम के नाम का एक दीया जलाया जाता है, वहां अकाल मृत्यु का डर नहीं रहता है। मान्यता है कि इसके बाद से धनतेरस के दिन दीपदान की परंपरा चली आ रही है।
धनतेरस के दिन यम के नाम से दीपदान किया जाता है। इस दिन आटे का दीया बनाकर घर के मुख्य द्वार पर दक्षिण दिशा की तरफ रखा जाता है। इस दौरान दीपक जलाते समय “मृत्युनां दण्डपाशाभ्यां कालेन श्यामया सह. त्रयोदश्यां दीपदानात् सूर्यजः प्रीयतां मम्” इस मंत्र का जाप किया जाता है।
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