India News (इंडिया न्यूज़), धर्म डेस्क, yoga: अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस हर साल 21 जून को मनाया जाता है। भले ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर योग दिवस ( yoga day) मनाने की शुरुआत वर्ष 2015 से हुई हो। लेकिन योग विद्या की पद्धति बहुत पुरानी है। इसके प्रचार-प्रसार में कई लोगों का योगदान रहा है। लेकिन योग का ज्ञान सात ऋषियों ने पूरी दुनिया में फैलाया।
धर्म ग्रंथों के अनुसार भगवान शिव यानि महादेव को सृष्टि का प्रथम योगी बताया गया है। लेकिन धीरे-धीरे यह परंपरा ऋषियों के कठोर तप का प्रतीक बन गई। महर्षि पतंजलि ऋषियों के क्रम में पहले योगी थे। पतंजलि ने 195 योग सूत्रों की रचना की, जो योग दर्शन के स्तंभ माने जाते हैं। इसलिए योग परंपरा में पतंजलि को शिव से कम नहीं माना जाता है।
शिव यानि आदि योगी ने खुद को आदि गुरु में बदल लिया और सात साधकों को अपना योग ज्ञान देना शुरू कर दिया। ये सात लोग ब्रह्म ज्ञानी बने और “सप्तऋषि” कहलाए। सनातन संस्कृति में इन सात ऋषियों की पूजा की जाती है। सर्वोच्च प्रकृति में खिलने के लिए शिव से तकनीक और ज्ञान प्राप्त करने के बाद ये सप्तर्षि योग के सात मुख्य पहलू बन गए। इन सात ऋषियों को सात दिशाओं में दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में भेजा गया था। क्योंकि वे अपने ज्ञान को आम जनता तक पहुंचा सकते हैं। इन सात ऋषियों में से एक मध्य एशिया में, दूसरा मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीका में, तीसरा दक्षिण अमेरिका में, चौथा पूर्वी एशिया में, पाँचवाँ हिमालय की तलहटी में, छठा आदि योगी और सातवाँ दक्षिण में।
भारतीय उपमहाद्वीप की यात्रा के लिए सड़क मार्ग लिया। दक्षिणी प्रायद्वीप की यात्रा करने वाले ये ऋषि हमारे लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माने जाते हैं जिनका नाम अगस्त्य मुनि है।अगस्त्य मुनि ने आध्यात्मिक प्रक्रिया को शिक्षा या परंपरा के रूप में नहीं, बल्कि जीवन जीने का व्यावहारिक हिस्सा बनाया। उनके द्वारा बनाए गए सैकड़ों योगी ऊर्जा के भंडार थे। अगस्त्य योगी के बारे में यह भी कहा जाता है कि उन्होंने एक भी ऐसे व्यक्ति को नहीं छोड़ा जो पवित्र यौगिक ज्ञान और तकनीकों से अनभिज्ञ था। अगस्त्य योगी ने योग को घर-घर में प्रसिद्ध कर दिया।
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