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Premanand ji Maharaj: प्रेमानंद जी महाराज वृंदावन का जीवन परिचय जान आप रह जाएंगे हैरान

BY: Simran Singh • LAST UPDATED : August 15, 2023, 3:00 pm IST
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Premanand ji Maharaj: प्रेमानंद जी महाराज वृंदावन का जीवन परिचय जान आप रह जाएंगे हैरान

Premanand ji Maharaj

India News (इंडिया न्यूज़), Premanand ji Maharaj, दिल्लीराधा रानी के परम भक्तों का नाम आए और उसमें श्री प्रेमानंद महाराज जी का नाम न आये, ऐसा तो हो ही नहीं सकता। ऐसा लोगो का कहना है की जो भी प्रेमानंद महाराज जी के सत्संग को मन लगाकर सुनता है, उसे अवश्य ही राधा रानी जी के दर्शन होजाते हैं। परम पूज्य श्री प्रेमानंद महाराज जी का जनम कानपूर के सरसों नामक गांव में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। महाराज जी का नाम अनिरुद्ध कुमार पण्डे था। स्वामी जी के पिता जी और सदा जी दोनों ही सन्यासी थे। तो लाज़मी सी बात है इसका असर प्रेमानंद महाराज जी के ऊपर भी पड़ा। साथ ही स्वामी जी की माता जी भी धर्म परायण थी। स्वामी जी के माता पिता दोनों ही साधु संतो की खूब सेवा करते थे। साधु अंत की सेवा सत्कार और आदर करने में उनके माता पिता कभी पीछे नहीं हटते थे।

कुछ समय बाद ही महाराज प्रेमानंद जी ने भक्ति और आध्यात्म का मार्ग चुन लिया था। उनके ज़ुबान पर बस श्री कृष्णा गोविन्द हरे मुरारी का जप ही सुनने को मिलता था। आध्यात्म को इतनी करीब देखकर उन्हें अपना घर अब और रास नहीं आता था और एक दिन उन्होंने अपने घर का त्याग कर दिआ। ऐसा मन जाता है की स्वयं भोलेनाथ जी ने प्रेमानंद महाराज जी को दर्शन दिए और उसके बाद ही वो वृन्दावन चले आए।

लोगो का कहना है की प्रेमानंद महाराज ने वृन्दावन में आने के बाद , स्वयं श्री चैतन्य महाप्रभु की लीलाएं अपने आँखों से देखि और रात को रासलीला भी देखते थे। इन सब चीजों का अनुभव करने के बाद उनके जीवन में बोहत बड़ा परिवर्तन आया। उन्होंने संन्यास त्याग कर भक्ति के मार्ग को चुनने का सूंदर निर्णय ले लिया।

सा भी मन जाता है की महाराज जी को राधा वल्लभ मंदिर में पुरे दिन राधा जी को निहारते रहते थे। महाराज प्रेमानंद जी ने राधा वल्लभ सम्प्रदाय में जा कर शरणागत मंत्र भी ले लिया। इसके बाद उन जीवन का एक ही साधन मात्रा था – राधा नाम। जी हां दोस्तों, संसार के भौतिक सुखो को त्यागना इतना सहज नहीं होता। इसके बावजूद, स्वामी जी ने इतना कठिन पर बेहद सूंदर रास्ता चुनने का निर्णय लिया। सम्प्रदाय से मंत्र लेने के बाद महाराज जी अपने वर्त्तमान के सतगुरु जी को मिले। प्रेमानंद महाराज जी ने अपने सतगुरु की डट कर सेवा की। इस सेवा की अवधि दस साल तक थी और इस अंतराल में उन्होंने बड़े से बड़े पापी को भी सत्य की राह पर चलने को मज़बूर कर दिया। महाराज प्रेमनद जी के पावन दर्शन करने के लिए , देश विदेश से भक्त जानो की भीड़ उमर पड़ती है।

 

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