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india news Parma Ekadashi: एकादशी भगवान विष्णु का सबसे उत्तम व्रत माना जाता है। इसका वर्णन पुराणों में भी मिलता है, कहा जाता है जो पूरे साल का एकादशी करता है उसे सभी प्रकार की कष्टों से मुक्ति मिलती है। अगर आप भी अपने जीवन में अच्छा करने वाले है, तो आप भगवान विष्णु का व्रत करना शुरु कर दें। इस बार परमा एकादशी 12 अगस्त को पड़ रहा है। शनिवार के दिन होने से और काफी महत्वपूर्ण है। इस लिए भगवान विष्णु के पूजा के साथ-साथ आप शनिदेव की भी पूजा कर सकते है।
विष्णु के साथ करें शनिदेव की पूजा
परमा एकादशी शनिवार को पड़ने से इसका महत्व और भी बढ़ जाता है । इस दीन आप विष्णु भगवान के साथ-साथ शनि देव की पूजा कर सकते है। परमा एकादशी के दिन शनी देव को तेल से अभिषेक करनी चाहिए, काले तिल, काली उड़द का दान करने का भी विधान बताया गया है। असहाय लोगों को वस्त्र भी देनी चाहिए। वैसे बताया जाता है कि, शनिदेव की पूजा सुर्यास्त को बाद ही करनी चाहिए। कौवा शनिदेव का वाहन होता है। मन्यता है कि परमा एकादशी के दीन कौवा को भोजन कराने से वह भोजन पूर्वजों को प्राप्त होता है। अगर आपको शनि की साढ़ेसाती चल रही है तो परमा एकादशी के दिन पिपल के पेड़ में जल और काली तिल अर्पित करें, जिससे शनि का प्रभाव कम होता है। विद्वानों के अनुसार बताया जाता है की पिपल पेड़ के नीचे सरसों का तेल का चौमुखी दिपक जलाकर शनि देव की आराधना करनी चाहिए। इस दिन भुखे को भोजन कराने की भी परंम्परा है।
कुबेर ने किया था परमा एकादशी
पुराणों में मान्यता के अनुसार अधिक मास के तीसरे एकादशी को परमा एकादशी कहते है। इतना ही नहीं पुराणों में तो बताया गया है धन के स्वामी कुबेर जी ने भी परमा एकादशी किया था, जिससे प्रसन्न होकर भगवान भोलेनाथ ने आशिर्वाद दिया था। महभारत में एक वर्णन मिलता है कि भगवान कृष्ण ने धर्मराज युधिष्ठिर को एकादशी व्रत के बारे में बताते हुए, परमा एकादशी का महत्व बताया था। विद्वानों के अनुसार बताया गया है कि परमा एकादशी के दिन सभी तरह का दान करने से माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु हमेशा खुश रहते है।
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