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UPSC Exam: IAS बनने के लिए जानिए देश के किस राज्य में दी जाती है टफ ट्रेनिंग

Reepu kumari • LAST UPDATED : July 26, 2023, 9:08 am IST

India News (इंडिया न्यूज), UPSC Exam, मसूरी, उत्तराखंड: पूरे देश में यूपीएससी (Union Public Service Commission) को सबसे टफ परीक्षाओं में से एक माना जाता है. कहा जाता है कि सिविल सर्वेंट्स इस परीक्षा को क्रैक करने के लिए अपना खून पसीना बहा देते है. केवल इस परीक्षा को क्रैक करना ही मुश्किल नहीं है बल्कि इसकी ट्रेनिंग भी बहुत कठिन मानी जाती है.

यूपीएससी क्रैक करने के बाद कैंडिडेट्स को सख्त ट्रेनिंग से गुजरना पड़ता है. आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि जब कैंडिडेट्स इस परिक्षा को पास कर लेते हैं तो उन्हे ट्रेनिंग के लिए कहां जाना पढ़ता है और क्यों प्रशिक्षण को मुश्किल कहा जाता है. यूपीएससी सिविल सर्विस परीक्षा देने के बाद कैंडिडेट्स IAS, IPS, IFS और IRS Officer जैसे कई पदों के लिए चुने जाते हैं.

  • UPSC Exam बहुत कठिन
  • LBSNAA में ट्रेनिंग दी जाती है
  • नई भाषा सीखना

कहां होती है ट्रेनिंग

जानकारी के लिए आपको बता दें कि जो भी कैंडिडेट यूपीएससी परीक्षा क्रैक कर लेते हैं उन्हें मसूरी के लाल बहादुर शास्त्री नेशनल एकेडमी ऑफ एडमिनिस्ट्रेशन (Lal Bahadur Shastri National Academy of Administration -LBSNAA) में ट्रेनिंग दी जाती है. इस एकेडमी में कैंडिडेट्स को बेसिक एडमिनिस्ट्रेटिव स्किल्स सिखाए जाते हैं. सिविल सर्विस परीक्षा क्रैक करने के बाद सभी की एक समान ट्रेनिंग दी जाती है.

कैसी होती है ट्रेनिंग

चूंकि यह प्रशिक्षण बहुत कठिन होता है इसलिए सबसे पहले कैंडिडेट्स को शारीरिक और मानसिक रूप से मजबूत बनाया जाता है. LBSNAA में ट्रेनिंग के दौरान हिमालय पर ट्रैकिंग भी कराई जाती है. हर ट्रेनी को इसमें शामिल होना अनिवार्य होता है. इसके साथ ही रूरल डेवलपमेंट, एग्रीकल्चर और इंडस्ट्री डेवलपमेंट की ट्रेनिंग दी जाती है. ट्रेनिंग के माध्यम से सभी को ऑफिसर रैंक मिलने से पहले हर क्षेत्र के लिए तैयार किया जाता है.

नई भाषा सीखना अनिवार्य

जानकारी के अनुसार, इस परीक्षा का फाइनल रिजल्ट जारी हो जाने के बाद कैंडिडेट्स का लिखित परीक्षा और इंटरव्यू राउंड होता है. इसके राउंड के तहत मिलने वाले मार्क्स के आधार पर उन्हे रैंक दिया जाता है. रैंक के हिसाब से कोई IAS, IPS या IFS पद के लिए सेलेक्ट किया जाता है.

इतना ही नहीं रैंक के अनुसार, ही कैंडिडेट्स को कैडर अलॉट किया जाता है. चुकि अधिकारी को कोई भी राज्य में काम करना पड़ सकता है इसलिए उन्हें वहां की स्थानीय भाषा सिखाई जाती है. भाषा की जानकारी होने के बाद कैंडिडेट्स को फिर मसूरी आना होता है और लास्ट में उन्हें जॉइनिंग मिलती है.

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