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इंडिया न्यूज़, चंडीगढ़ : पिछले दिनों हरियाणा सरकार ने 134-ए नियमावली को समाप्त कर दिया था। जिसके बाद सरकार की तरफ से आरटीई लागू की गई। आरटीई लागू करने के बाद भी हरियाणा सरकार बच्चों को मुफ्त शिक्षा के लिए एडमिशन नहीं दिलवा पा रही है। सरकार की तरफ से गाइडलाइन आई थी कि अभिभावक अपने एक किलोमीटर के दायरे में आने वाले स्कूलों में आरटीई के तहत आवेदन कर सकते हैं।
जिसके बाद अभिभावक स्कूलों में आवेदन करने गए लेकिन स्कूल संचालकों ने आवेदन लेने से मना कर दिया। स्कूल संचालकों का कहना है कि अभी उन्हें स्वयं ही स्पष्ट नहीं है कि काम कैसे करना है तो वह आवेदन कैसे ले सकते हैं। इस मामले पर अपनी बात रखते हुए एचपीएससी के प्रदेश उपाध्यक्ष प्रशांत मुंजाल ने कहा कि सरकार को स्पष्ट करना चाहिए कि आरटीई के तहत पढ़ाई करवाने पर कितनी रिइंसमेंट दी जाएगी। जब तक सरकार यह स्पष्ट नहीं करती वह कोई भी आवेदन स्वीकार नहीं कर सकते।
ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि सरकार ने बिना किसी तैयारी के आरटीई को लागू कर दिया। जिसके कारण स्कूल संचालक और अभिभावक परेशान हो रहे हैं। एचपीएससी के उपाध्यक्ष प्रशांत मुंजाल ने कहा कि हमारी सरकार ने गुजारिश है कि हमें यह बताया जाए कि आरटीई को लागू कैसे किया जाए। सरकार की तरफ से अभी तक सिर्फ एक लेटर जारी किया गया है। लेटर में कुछ भी स्पष्ट नहीं है। जो दिक्कतें 134-ए के साथ आ रही थी। वहीं दिक्कतें आरटीई में भी है। स्कूलों को बताया जाना चाहिए कि स्कूलों को कितनी रिइंबेसमेंट मिलेगी।
एचपीएससी के उपाध्यक्ष प्रशांत मुंजाल ने कहा कि पहले स्कूलों ने 134ए विरोध भी रिइंबसमेंट न मिलने पर किया था। समय पर पैसा नहीं मिला तो स्कूलों को कोर्ट जाना पड़ा। जिसके फलस्वरूप कोर्ट से स्टे मिली और सरकार को 134-ए को रद करना पड़ा। जब स्कूलों को उनके सवालों का जवाब मिलेगा तो ही एडमिशन किए जा सकेंगे। मुंजाल ने कहा कि जब सरकार अपनी नीति को स्पष्ट करेगी तो स्कूल संचालक बच्चों को एडमिशन दे पाएंगे।
डीईईओ अनुप कुमार ने कहा कि आरटीई के तहत 16 तारीख से फार्म जमा होने थे। जो स्कूल सरकार की गाइडलाइंस की पालना नहीं करेंगे उनके खिलाफ बीईओ को कार्रवाई करने का अधिकार है। साथ ही उन्होंने कहा कि सरकार ने आरटीई के तहत सरकारी स्कूलों को नेबरहुड निर्धारित किए हुए हैं, निश्चिततौर पर उस समय प्राइवेट स्कूलों को चिह्नित किया गया होगा।
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