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DU Took The Decision Under The National Education Policy 2020: अगले सेशन से बंद होगा एमफिल कोर्स

Suman Tiwari • LAST UPDATED : January 29, 2022, 5:03 pm IST
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DU Took The Decision Under The National Education Policy 2020: अगले सेशन से बंद होगा एमफिल कोर्स

DU Took The Decision Under The National Education Policy 2020

इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
DU Took The Decision Under The National Education Policy 2020: दिल्ली विश्वविद्यालय की ओर से एक अधिसूचना जारी की गई है। इसमें कहा गया है कि अगले शैक्षणिक वर्ष 2022-23 से एमफिल कोर्स (MPhil Course) बंद कर दिया जाएगा। बताया जा रहा है कि यूनिवर्सिटी ने यह निर्णय राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप लिया है। इस आधार पर नए सेशन से इस कोर्स में एडमिशन नहीं लिए जाएंगे। यह नीति विश्वविद्यालय 2022-23 से लागू करेगा। (M Phil Course Will Be Closed From Next Session)

2022-23 से नहीं मिलेगा नया एडमिशन ( New admission will not be available from 2022-23)

वहीं इस संबंध में जारी नोटिफिकेशन में दिल्ली विश्वविद्यालय ने कहा कि दिल्ली विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों में चल रहे एमफिल प्रोग्राम में 2022-23 से राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के अनुरूप बंद कर दिए जाएगा। यहां कोई नया एडमिशन नहीं होगा। विश्वविद्यालय के एक अधिकारी के अनुसार, एमफिल प्रोगाम के लिए पहले से रजिस्टर्ड छात्र कोर्स का अध्ययन करना जारी रखेंगे।

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DU Took The Decision Under The National Education Policy 2020

शिक्षकों ने क्यों जताया विरोध 

  • इस फैसले पर शिक्षकों ने विरोध जताते हुए कहा कि एमफिल शोध डिग्री अपने आप में अलग और साथ ही मास्टर डिग्री से ऊपर की डिग्री रही है। यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि एनईपी-2020 ने एमफिल को बंद कर दिया है। (teachers protested)
  • वहीं कार्यकारी परिषद की पूर्व सदस्य का कहना है कि यह वंचित पृष्ठभूमि वाले छात्रों के लिए नुकसान है, जो एमफिल को एक शोध डिग्री के रूप में देखते थे। अब उनके लिए यह फैसला मुश्किलें पैदा कर देगा।
  • वहीं जेएनयू की प्रोफेसर ने नाराजगी जताते हुए फेसबुक पोस्ट में कहा है कि साल 2012-2013 एमफिल के बाद से नामांकन में लगातार महिलाओं की संख्या अधिक रही है, जो वर्तमान में लगभग 60 प्रतिशत है।
  • ऐसे में एमफिल एकमात्र शोध डिग्री है, जिसे महिलाओं के साथ ही अन्य वंचित वर्ग भी आसानी से हासिल कर सकते थे। वहीं दूसरी तरफ पीएचडी डिग्री के लिए समय का निवेश और पैसा भी अधिक होना चाहिए।

DU Took The Decision Under The National Education Policy 2020

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