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उत्तर प्रदेश का ये गाँव कहलाता है 'UPSC' की फैक्ट्री, हर घर से निकलते है IAS और IPS, जानें दिलचस्प कहानी

BY: Akash Awasthi • LAST UPDATED : September 19, 2024, 6:34 pm IST
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उत्तर प्रदेश का ये गाँव कहलाता है 'UPSC' की फैक्ट्री, हर घर से निकलते है IAS और IPS, जानें दिलचस्प कहानी

IAS/ IPS Village in Uttar Pradesh: हर घर से निकलते है आईएएस और आईपीएस, जानें दिलचस्प कहानी

India News (इंडिया न्यूज़) IAS/ IPS Village in Uttar Pradesh: यूपीएससी की परीक्षा को दुनिया की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक माना जाता है। देशभर के लाखों छात्र हर साल इस परीक्षा को देते है पर महज 1000 या 1200 छात्रों का ही इसमें सेलेक्शन होता है, जिनमें से कुछ आईएएस बनते हैं, कुछ आईपीएस कुछ आईएफएस और कुछ आईआरएस पर आज हम आपको एक ऐसे गांव के बारे में बताएंगे, जिसे यूपीएससी की फैक्ट्री कहा जाता है। दरअसल, इस गांव से इतने आईएएस-आईपीएस और पीसीएस अधिकारी निकले हैं कि लोग जानकर दंग रह जायेंगे।

माधोपट्टी गाँव देता है सबसे ज्यादा अफसर

दरअसल, यह गाँव उत्तर प्रदेश के जौनपुर में स्थित है और इस गाँव का नाम माधोपट्टी है। है। जौनपुर शहर से इस गाँव की दूरी करीब 7 किलोमीटर है। ख़बरों के अनुसार, इस गांव से अब तक 40 से भी अधिक आईएएस-आईपीएस और पीसीएस अधिकारी बन चुके हैं, जिनमें से बहुत से लोग तो अभी भी बड़े-बड़े पदों पर तैनात हैं। जो न सिर्फ अपने गांव में बल्कि अपने जिले का भी नाम भी रोशन करने में लगे हुए है।

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रिपोर्ट्स के मुताबिक, गांव की आबादी लगभग 4 हजार है और गाँव में करीब 75 घर हैं। दिलचस्प बात ये है कि, न सिर्फ इस गांव के बेटे अधिकारी बनते है बल्कि बेटियां और बहुएं भी अफसर बनी हैं। कहते हैं कि यहां के छात्र कॉलेज में जाते ही यूपीएससी की तैयारी में लग जाते हैं। वो आगे चलकर अपना और अपने परिवारवालों का नाम भी रोशन करते है।

आज़ादी के बाद बढ़ा क्रेज

देश की आजादी के तुरंत बाद ही इस गांव के लड़कों में यूपीएससी के प्रति अचानक से क्रेज बढ़ गया था। साल 1952 में इंदु प्रकाश सिंह आईएफएस अधिकारी बने थे, जबकि 1955 में विनय कुमार सिंह आईएएस बने थे, जो बाद में बिहार राज्य के मुख्य सचिव भी बने थे। इस गांव के 4 ऐसे भाई-बहन भी हैं, जो यूपीएससी परीक्षा में सफल हुए हैं और कोई आईएएस बना है तो कोई आईपीएस बनने में सफल हुआ। इस गांव से निकले कई आईएएस अधिकारी पीएम और सीएम कार्यालयों में भी काम कर रहे है। यहीं नहीं, बल्कि इस गांव के कई युवा इसरो, भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र और वर्ल्ड बैंक में भी कार्यरत हैं।

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