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नयी शिक्षा नीति में हम विश्व के सबसे बड़े गुणवत्तापरक : निशंक

Sachin • LAST UPDATED : July 1, 2022, 1:43 pm IST
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नयी शिक्षा नीति में हम विश्व के सबसे बड़े गुणवत्तापरक : निशंक

Union Education Minister Ramesh Pokhriyal Nishank

इंडिया न्यूज: 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान भारतीय जनता पार्टी के घोषणा पत्र में नई शिक्षा नीति लाने की बात पुरजोर तरीके से कही गई थी। अब पॉलिसी आ चुकी है। मकसद बताया गया कि शिक्षा के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव लाना और भारत की शिक्षा व्यवस्था को वैश्विक स्तर पर खड़ा है।

दावा है कि नई शिक्षा नीति के माध्यम से शिक्षा का सार्वभौमिकरण किया जाएगा, साथ ही पुरानी पॉलिसी में कई संशोधन के साथ ही कुछ नयी सुविधाएं भी जोड़ी जाएंगी. नयी शिक्षा नीति को मूर्त जामा पहनाने वाले पूर्व केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल निशंक से एक्जीक्यूटिव एडिटर, राजन अग्रवाल, इंडिया न्यूज की बातचीत पढ़िए:

सवाल -आपका स्वागत है निशंक साहब। आपका लंबा राजनीतिक सफर रहा है, लेकिन बतौर शिक्षामंत्री आपके कार्यकाल में न्यू एजुकेशन पॉलिसी लाई गई. विपक्ष ने इसे भी मुद्दा बनाया, विचारधारा थोपने की बात भी की. हम आपसे ये जानना चाहते हैं कि इससे देश की शिक्षा व्यवस्था में किस प्रकार से परिवर्तन होंगे ?

रमेश पोखरियाल निशंक – मुझे इस बात की खुशी है कि हमने नयी शिक्षा नीति क माध्यम से नए भारत की आधारशिला रखने में सफलता मिली है। जिससे हम हम सशक्त, आत्मनिर्भर समृद्ध भारत का निर्माण कर पाएं। हमारी शिक्षा नीति गुणवत्तापरक, नवाचारयुक्त, मूल्यपरक, व्यवहारिक, प्रोद्योगिकी युक्त है। सरकारी व्यय का 10 प्रतिशत ही शिक्षा पर खर्च किया जाता है, जो कि अधिकतर शिक्षित और विकासशील देशों से काफी कम है, हमने इस खर्च को जीडीपी के 6 प्रतिशत तक ले जाने के लिए कदम उठाया है। हमारा लक्ष्य देश में उत्कृष्ट शिक्षा देना और विश्व को भी शिक्षा के प्रति भारत की ओर आकर्षित करना है। इसलिए हम शिक्षा पर दिल खोलकर खर्च करने के इच्छुक हैं।

हमारा फोकस गुणवत्तापूर्ण प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल शिक्षा (अर्ली चाइल्डहुड केयर एंड एजुकेशन) के सरकारी प्रावधानों, पढ़ने-लिखने की बुनियादी क्षमता उत्पन्न करने, सभी स्कूल काम्प्लेक्सों या क्लस्टरों के लिए पर्याप्त संसाधन, भोजन एवं पोषण मुहैया करवाने, शिक्षक शिक्षा एवं शिक्षकों के सतत व्यावसायिक विकास, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों की दशा में सुधार, शोध का विकास तथा प्रौद्योगिकी और ऑॅनलाइन शिक्षा के व्यापक उपयोग पर होगा। हमें पूरा विश्वास है कि धीरे-धीरे इस नीति का लाभ देश को मिलने लगेगा. इस प्रकार दुनिया की सर्वश्रेष्ठ शिक्षा नीतियों में शिखर पर पहुंचकर यह नीति भारत ही नहीं, पूरे विश्व के कल्याण को सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।

सवाल – लेकिन इस शिक्षा नीति में ऐसा क्या है जो पहले से अलग है? या ये कहिए कि क्यों इसे जनता पसंद करे?

रमेश पोखरियाल निशंक – देखिए, नयी शिक्षा नीति में हमने विश्व का सबसे बड़ा नवाचार किया है। विश्व की सौ से अधिक शीर्ष संस्थाओं ने शिक्षा नीति के विभिन्न पहलुओं की तारीफ की है। भारत को आकर्षक शैक्षिक गंतव्य बनाने के साथ साथ हमने शोध, अनुसन्धान पर ध्यान दिया है। हमने GER बढ़ाने के साथ शिक्षकों के प्रशिक्षण पर विशेष ध्यान दिया है। जमीनी स्तर पर चुनौतियों और अवसरों को समझने के इरादे से, मैंने पूरे देश की यात्रा की। केंद्रीय विद्यालयों से लेकर आईआईटी तक गया। इस प्रक्रिया के दौरान, मैंने छात्रों, शिक्षकों, अभिभावकों, प्रोफेसरों और शोधकर्ताओं से लेकर कुलपतियों सहित विभिन्न हितधारकों के साथ भी बातचीत की।

दरअसल, मैं यह समझना चाहता था कि वे क्या चाहते हैं. क्योंकि नई शिक्षा नीति का उन पर सीधा प्रभाव पड़ना है। हर छात्र को सीखने के समान अवसर कैसे प्रदान किए जाएं। इसलिए, हमने स्वयंप्रभा चैनलों को टाटा स्काई और एयरटेल डीटीएच, डीडी-डीटीएच, डिश टीवी और जियो टीवी ऐप जैसे अपने डीटीएच प्लेटफॉर्म पर प्रसारित करने के लिए सूचना और प्रसारण मंत्रालय के साथ करार किया है। आने वाले वर्षों में मैं भारत को एक मजबूत शिक्षा प्रणाली के साथ एक वैश्विक ज्ञान महाशक्ति बनने की कल्पना करता हूं। हमें विश्वास है, हम सफल होंगे.

सवाल- आप नई शिक्षा नीति के पक्ष में इतनी बातें कर रहे हैं, लेकिन देश में आज भी हजारों-लाखों छात्र अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़ देते हैं, इसके लिए सरकार क्या कर रही है?

रमेश पोखरियाल निशंक – हमने ड्रॉपआउट रेशियो कम करने और सकल प्रवेश अनुपात बढ़ाने के लिए बड़ा काम किया है। इस बड़े अभियान में केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय, केब, केंद्र एवं राज्य सरकारें, शिक्षा संबंधी मंत्रालय, राज्यों के शिक्षा विभाग, बोर्ड, एनटीए, स्कूल एवं उच्चतर शिक्षा के नियामक निकाय, एनसीईआरटी, स्कूल एवं उच्चतर शिक्षण संस्थान महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। इसमें अध्यापकों, विद्यार्थियों, जनप्रतिनिधियों की भी अहम भूमिका होगी।
नई शिक्षा नीति का उद्देश्य उच्च शिक्षा में सकल नामांकन दर (GER) में सुधार करना है। भारत सरकार ने 2035 तक 50 प्रतिशत GER हासिल करने का लक्ष्य रखा है। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी 2020) मौजूदा चुनौतियों जैसे खराब साक्षरता स्तर, उच्च ड्रॉपआउट और बहु-विषयक दृष्टिकोण की कमी का समाधान करने का वादा करती है। शिक्षा तक सबकी पहुंच सुनिश्चित करने के लिए, ताकि कोई भी छात्र स्कूल ना छोड़े, एनईपी 2020 में बुनियादी ढांचे में सुधार करने का प्रस्ताव है. ताकि प्री-प्राइमरी से 12वीं तक के हर छात्र को “सुरक्षित और आकर्षक स्कूली शिक्षा” प्राप्त हो सके।

सवाल- लेकिन निजी स्कूलों की बजाए, सरकारी स्कूलों में छात्रों की एडमिशन संख्या कम होती जा रही है?

रमेश पोखरियाल निशंक – मैं आपको भरोसा दिलाता हूं कि सरकारी स्कूलों की विश्वसनीयता फिर से स्थापित की जाएगी। आवागमन के लिए गाड़ियों का प्रबंध किया जाएगा. छात्रावास प्रदान करने की भी कोशिश की जा रही है। विशेष रूप से लड़कियों के लिए, अत्यंत सुरक्षित वातावरण दिया जाएगा। प्रवासी मजदूरों और अन्य लोगों के बच्चों को वापस लाने के लिए, जिन्होंने विभिन्न कारणों से स्कूल छोड़ दिया है, एनईपी 2020 में “वैकल्पिक और नवीन शिक्षा केंद्र” स्थापित करने का भी प्रस्ताव है। छात्रों और उनके सीखने के स्तर को “सावधानीपूर्वक ट्रेस” करके यह सुनिश्चित किया जाएगा कि उन्हें स्कूल में फिर से प्रवेश मिले। ऑनलाइन शिक्षा, दूरस्थ शिक्षा, मल्टीप्ल एंट्री एवं एग्जिट ऑप्शन और वोकेशनल कोर्सेस देकर उच्च शिक्षा में छात्रों का ड्रॉप आउट रोकने की हरसंभव कोशिश की जाएगी।

सवाल-आपकी नजर में डबल इंजन वाले राज्य कितनी रफ्तार पकड़ पाए हैं ? उत्तराखंड में भी भाजपा की डबल इंजन सरकार है किस तरह से देखते हैं ?

रमेश पोखरियाल निशंक – डबल इंजन सरकार का बहुत लाभ हुआ है। डबल इंजन सरकार होने से केंद्र की विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं को ज्यादा अच्छे और कुशल तरीके से लागू किया जा सकता है। उत्तराखंड सरकार, उत्तरप्रदेश, हरियाणा और हिमाचल सरकार इसका जीता जागता उदहारण है। चाहे राष्ट्रीय राजमार्ग की बात हो, निवेश हो, रेलवे नेटवर्क हो, आयुष्मान योजना हो किसान कल्याण की योजना हो सबका सफलतापूर्वक क्रियान्वयन इसलिए संभव हो पाया क्योंकि समान सोच वाली सरकार राज्यों में कार्य कर रही है। केंद्र की भावना के मुताबिक योजना का सफल संचालन डबल इंजन से संभव हुआ है।

सवाल- आप प्रदेश के मुख्यमंत्री से लेकर केंद्रीय शिक्षा मंत्री जैसे दायित्व निभा चुके हैं. सांसद के रूप में दूसरी बार हरिद्वार का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। अब तक की सामाजिक-राजनीतिक यात्रा को कैसे देखते हैं?

रमेश पोखरियाल निशंक – मैं अपने कार्य से बेहद संतुष्ट हूँ। अपनी हर भूमिका में मैंने सौ प्रतिशत दिया है। लोगों के प्यार आशीर्वाद ने मुझे ऊर्जा दी है। सर्वशक्तिमान की कृपा से मैं अपने मतदाताओं का प्यार और समर्थन हासिल करने में सफल रहा। मैंने बद्रीनाथ से हरिद्वार तक चुनाव लड़ा और विपरीत परिस्थितियों में जीता। मैं उत्तरप्रदेश में दो बार कैबिनेट मंत्री रह चुका हूं। मैं उत्तराखंड में कैबिनेट मंत्री था और फिर मुख्यमंत्री बना। पिछले कार्यकाल में मैंने हरिद्वार लोकसभा का प्रतिनिधित्व किया और संसदीय आश्वासन समिति के अध्यक्ष के रूप में नामित किया गया। मैं पार्टी का सच्चा सिपाही हूं।

मुझे जो भी कार्य सौंपा गया है, मैं उसे सर्वोत्तम संभव तरीके से करने के लिए अपने स्तर पर पूरी कोशिश करता हूं। चाहे मुख्य मंत्री बनने की बात हो, भारत के शिक्षा मंत्री तक का सफर हो इसका श्रेय अपनी देवतुल्य जनता को देता हूँ। जनता की सेवा मेरी प्रथम प्राथमिकता रही है और मैंने हर जिम्मेवारी का पूरे मनोयोग से निर्वहन किया है। सामाजिक कार्यों में भी मेरी दिलचस्पी रही है। मैं पर्यावरण सरंक्षण एवं संवर्धन से जुड़ा हूँ। गंगा और उसकी जलधाराओं की पवित्रता, अविरलता, स्वच्छता के लिए हमने स्पर्श गंगा अभियान चलाया, जिसमें हज़ारों लोगों की प्रतिभागिता होती है। स्पर्श हिमालय से हमने हिमालय से जुड़े सभी सरोकारों से जुड़ने का प्रयास किया है। स्वैच्छिक रक्तदान को बढ़ावा देने के लिए हमने ‘संवेदना अभियान’ चलाया तो वहीं हज़ारों युवाओं को रोजगार देने हेतु हमने आशीर्वाद योजना का सफल सञ्चालन किया। “एक विद्यार्थी एक वृक्ष का अभियान” चलाकर हमने पूरे देश में करोड़ों पौधे लगाए।

सवाल-आपने शिशु मंदिर के शिक्षक से देश के शिक्षा मंत्री तक की यात्रा की है. पठन पाठन से राजनीति में कैसे आए ?

रमेश पोखरियाल निशंक – वास्तव में अटल बिहारी वाजपेयी जी ने ही मुझे राजनीति में आने के लिए राजी किया था। उनकी प्रेरणा से सक्रिय राजनीति और जनसेवा में आया। मैं भाग्यशाली हूं कि जब मैं सरस्वती शिशु मंदिर में अध्यापक था तब मुझे भारत रत्न अटल जी का सान्निध्य मिलता था। उनका अशीर्वाद मुझे सदैव मिला। मेरे लिए वह एक निरंतर स्रोत प्रेरणा थे। जब भी वह मुझसे मिलते थे तो मेरी नवीनतम पुस्तकों के बारे में पूछते थे। नहीं तो पौड़ी गढ़वाल के पिनानी गांव के गरीब घर में जन्मे बालक को कौन पूछता है। मेरी शुरुआती शिक्षा भी गांव से 8 किलोमीटर दूर राजकीय इंटर कॉलेज, दमदेवल पौड़ी गढ़वाल हिमालय में हुई।

सवाल- किसी भी राजनेता के लिए, खासकर जब वो सरकार में शामिल हो, परिवार के लिए समय निकालना बेहद मुश्किल है आप कैसे मैनेज करते हैं?

World's Biggest Innovation in New Education Policy

रमेश पोखरियाल निशंक – मुझे लगता है जब आप किसी मिशन के प्रति समर्पित रहते हैं तो आपको किसी प्रकार की दिक्कत नहीं होती। आपके भीतर जूनून होना चाहिए। मैं अक्सर कहता हूँ कि दुनिया भर में सफलतम व्यक्ति के पास भी चौबीस घंटे हैं। बेहतर नियोजन से सारे कार्य अच्छी तरह से हो सकते हैं। चाहे लेखन हो, राजनीति हो, यात्रा हो, समाज सेवा हो मैं समय निकाल पाता हूँ इसका श्रेय मैं अपनी समर्पित टीम को भी देता हूँ।

सवाल-आपकी फिटनेस से आपके हमउम्र राजनेताओं को ईर्ष्या हो सकती है. लेखन और राजनीति जैसे फुलटाइम जॉब के साथ खुद को कैसे मेनटेन रखते हैं ?

रमेश पोखरियाल निशंक – व्यस्त रहें, मस्त रहें। अपने को काम में इतना डुबों दें कि समय का पता न चले। संयमित सादा भोजन, दैनिक व्यायाम, योग आपको निरोग रखते हैं। आपके भीतर नयी ऊर्जा, नयी उमंग का संचार करते हैं।

सवाल- राजनीतिक गतिविधियों के बीच खुद को तरोताज़ा करने के लिए क्या करते हैं?

रमेश पोखरियाल निशंक – लिखना, देश विदेश के युवाओं से संवाद करना और सामाजिक गतिविधियों में प्रतिभाग करना मुझे पसंद है। मैं अपने आप को धन्य मानता हूँ कि मेरी पुस्तकों को देश भर के पाठकों ने खूब सराहा है। मेरा पहला कविता संग्रह “समर्पण” 1983 में प्रकाशित हुआ था और उसके बाद दुनिया भर के विभिन्न प्रकाशकों द्वारा लगभग 109 पुस्तकें प्रकाशित की गई हैं। मेरे साहित्य पर 25 से अधिक शोध परियोजनाएं (पीएचडी और डी.लिट) हैं। दुनिया के 15 से अधिक देशों में सम्मान मिला है। हिमालय क्षेत्र का भ्रमण भी पसंद है।

सवाल- आप शिक्षक रहे हैं, राजनेता भी हैं, युवाओं के लिए कोई संदेश?

रमेश पोखरियाल निशंक – समर्पण। कड़ी मेहनत। निस्वार्थ सेवा का भाव। ईमानदारी। ये कुछ गुण अत्यंत आवश्यक है। मैं अक्सर कहता हूँ-जीवन में कोई शार्टकट नहीं है। हाँ, सफलता का मूलमंत्र दृढ संकल्प और विनम्रता जरूर है।

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