India News (इंडिया न्यूज), UGC: विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने एक अधिसूचना जारी कर विश्वविद्यालयों और संस्थानों को परिसर में जाति-आधारित भेदभाव की घटनाओं से निपटने के दौरान संवेदनशील होने का निर्देश दिया है। विश्वविद्यालय निकाय ने संस्थानों से वर्ष 2023-24 के दौरान जाति-आधारित भेदभाव को रोकने के लिए उनके द्वारा किए गए कार्यों के बारे में भी जानकारी देने को कहा है। ये विवरण जमा करने की अंतिम तिथि 31 जुलाई, 2024 है।
यूजीसी की आधिकारिक अधिसूचना के अनुसार, संस्थानों को जाति-आधारित भेदभाव सुनिश्चित करने के लिए निम्नलिखित कार्य बिंदुओं का अनुपालन करना आवश्यक है। अधिकारी संकाय सदस्यों को उनके सामाजिक मूल के आधार पर अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के छात्रों के खिलाफ भेदभाव के किसी भी कृत्य से बचना चाहिए। विश्वविद्यालय/संस्थान/कॉलेज एससी/एसटी/ओबीसी छात्रों द्वारा जातिगत भेदभाव की ऐसी शिकायतों को दर्ज करने के लिए अपनी वेबसाइट पर एक पेज विकसित कर सकते हैं। इस उद्देश्य के लिए रजिस्ट्रार/प्रिंसिपल के कार्यालय में एक शिकायत रजिस्टर भी रख सकते हैं। यदि ऐसी कोई घटना अधिकारियों के संज्ञान में आती है, तो दोषी आधिकारिक संकाय सदस्य के खिलाफ तुरंत कार्रवाई की जानी चाहिए।
यूजीसी के अनुसार विश्वविद्यालय और उसके घटक/संबद्ध कॉलेजों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कोई भी अधिकारी/संकाय सदस्य छात्रों की श्रेणी के आधार पर किसी भी समुदाय के खिलाफ किसी भी प्रकार का भेदभाव न करें। विश्वविद्यालय, एससी/एसटी/ओबीसी छात्रों/शिक्षकों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों से प्राप्त भेदभाव की शिकायतों पर गौर करने के लिए एक समिति का गठन कर सकता है। समिति में एससी/एसटी/ओबीसी वर्ग के सदस्य भी शामिल होंगे।
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