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India News (इंडिया न्यूज़), Vikas Divyakirti: ऐसी दुनिया में जहाँ UPSC को एक बड़ी चुनौती के रूप में देखा जाता है, डॉ. विकास दिव्यकीर्ति की कहानी बेहद रहस्यमयी है। 4 जून, 1998 को दिव्यकीर्ति का नाम UPSC परिणाम सूची में 384वें स्थान पर आया, एक ऐसा स्थान जिसने उन्हें केंद्रीय सचिवालय सेवा में शामिल होने का मौका दिया। हालाँकि, इसके बाद की कहानी बिलकुल रहस्यमयी है जो शायद ही आपने पहले कभी सोची या सुनी होगी।
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UPSC में सफलता से पहले, दिव्यकीर्ति का रास्ता उतना पारंपरिक नहीं था। स्नातक की पढ़ाई के दौरान, उन्होंने और उनके भाई ने प्रिंटिंग बिजनेस में कदम रखा। यह उद्यमशीलता की भावना उन्हें उनके पैतृक शहर से दिल्ली के पांडव नगर ले गई, जहाँ उन्होंने UPSC की तैयारी के सफर की शुरू की। शुरुआत में इतिहास में स्थान पाने का लक्ष्य रखते हुए, उन्होंने जल्द ही अपना रुख बदल लिया और हिंदी साहित्य की पढ़ाई करने का विकल्प चुना। हालाँकि, दिल्ली विश्वविद्यालय में प्रवेश नहीं मिलने के कारण उन्हें जाकिर हुसैन इवनिंग कॉलेज में दाखिला लेना पड़ा।
1996 तक, दिव्यकीर्ति UPSC पास करने की अपनी महत्वाकांक्षा में दृढ़ थे। उनका 384वाँ स्थान सम्मानजनक था, लेकिन वे अपनी इच्छित स्थिति को सुरक्षित करने के लिए पर्याप्त नहीं थे। केंद्रीय सचिवालय सेवा में शामिल होने के विकल्प का सामना करते हुए, दिव्यकीर्ति ने इसके बजाय परीक्षा फिर से देने का ऑप्शन चुना। और बेहतर परिणाम के लिए उन्होंने अपना वैकल्पिक विषय बदलकर समाजशास्त्र रख लिया।
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अपने तमाम प्रयासों के बावजूद, दिव्यकीर्ति को असफलताओं का सामना करना पड़ा। उनका दूसरा प्रयास विफल रहा और तीसरे प्रयास में वे इंटरव्यू चरण तक पहुँच गए, लेकिन चयन से चूक गए। जून 1999 में, उन्होंने केंद्रीय सचिवालय सेवा, विशेष रूप से राजभाषा विभाग में अपना कार्यकाल शुरू किया, लेकिन कुछ महीनों के बाद ही उन्होंने इस्तीफा दे दिया।
अचानक इस्तीफा देने से एक महत्वपूर्ण मोड़ आया। दिव्यकीर्ति ने अपना ध्यान कोचिंग की ओर लगाया, एक ऐसा क्षेत्र जहाँ उनका अनुभव और आने वाले भविष्य के उम्मीदवारों को आकार दे सकती थी। 2003 में एक आखिरी प्रयास देने के बावजूद, वे अंतिम चयन प्राप्त नहीं कर पाए, लेकिन उनके करियर ने एक नई दिशा पकड़ी।
आज, विकास दिव्यकीर्ति UPSC कोचिंग क्षेत्र में एक जाना माना नाम हैं। एक आशाजनक रैंक से कोचिंग के क्षेत्र में अग्रणी बनने तक की उनकी अपरंपरागत यात्रा उनके लचीलेपन और समर्पण को दर्शाती है।
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