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नाम बदलकर आई, बोल्ड सीन किए… लेकिन जिसे चाहा, उसने तोड़ दिया दिल – बेटी के लिए दर-दर भटकी एक्ट्रेस…!

रीना रॉय की जिंदगी में शोहरत मिली, प्यार में धोखा मिला और मां बनने के बाद बेटी की कस्टडी के लिए लंबी लड़ाई लड़ी. उनका सफर स्ट्रगल, हिम्मत और जज्बे की मिसाल है.

Written By: Sanskriti jaipuria
Last Updated: September 15, 2025 20:19:57 IST

70 और 80 के दशक में सिल्वर स्क्रीन पर राज करने वाली खूबसूरत अदाकारा रीना रॉय की जिंदगी जितनी चमकदार बाहर से नजर आई, उतनी ही उतार-चढ़ाव भरी रही निजी तौर पर. रीना रॉय का जन्म एक धार्मिक परिवार में हुआ था. उनके पिता मुस्लिम थे जबकि मां हिंदू थीं. बचपन में ही माता-पिता के तलाक ने उनकी दुनिया बदल दी. इसके बाद तीनों बच्चों की परवरिश मां ने की और सायरा अली का नाम बदलकर रूपा रॉय रख दिया गया.

तलाक के बाद परिवार पर आर्थिक तंगी आ गई थी, जिससे रीना रॉय को कम उम्र में ही काम शुरू करना पड़ा. उनकी मां खुद भी फिल्मों में छोटे-मोटे किरदार निभा चुकी थीं. प्रोड्यूसर बी.आर. इशारा ने रीना को अपनी फिल्म में पहला मौका दिया, लेकिन फिल्म नहीं चली. इसके बाद ‘जरूरत’ (1972) में उन्हें दोबारा काम मिला, जहां उन्हें बोल्ड सीन करने पड़े. मजबूरी और जिम्मेदारी ने उन्हें मजबूती से आगे बढ़ने पर मजबूर किया.

 स्टारडम की सीढ़ी

रीना रॉय की किस्मत 1976 में पलटी जब उन्होंने ‘नागिन’ और ‘कालीचरण’ जैसी सुपरहिट फिल्मों में काम किया. इन फिल्मों की सफलता ने उन्हें स्टार बना दिया. इसी दौरान शत्रुघ्न सिन्हा के साथ उनका नाम जुड़ने लगा. दोनों की जोड़ी न सिर्फ पर्दे पर बल्कि निजी जिंदगी में भी चर्चा का विषय बन गई. लेकिन ये रिश्ता भी लंबा नहीं चला. शत्रुघ्न ने पूनम चंडीरामानी से शादी कर ली, जिससे रीना को गहरा झटका लगा.

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 दूसरी शादी और अधूरा प्यार

टूटे दिल के साथ रीना रॉय ने 1983 में पाकिस्तानी क्रिकेटर मोहसिन खान से शादी कर ली. इस शादी से उन्हें एक बेटी, जन्नत (जिसे बाद में सनम कहा गया), हुई. लेकिन ये रिश्ता भी ज्यादा समय तक नहीं चला. दोनों के बीच विचारों का टकराव हुआ- मोहसिन विदेश में बसना चाहते थे, जबकि रीना इंडिया में करियर को जारी रखना चाहती थीं. अंततः ये रिश्ता भी तलाक तक पहुंच गया.

 एक मां की जंग

तलाक के बाद रीना रॉय की सबसे बड़ी लड़ाई अपनी बेटी की कस्टडी के लिए थी. उन्होंने कोर्ट-कचहरी से लेकर साधु-संतों तक के दरवाजे खटखटाए. एक मां के लिए बेटी को वापस पाना एक मिशन बन गया था. आखिरकार उनकी कोशिशें रंग लाईं और वे अपनी बेटी को वापस भारत ला सकीं.

रीना रॉय की कहानी सिर्फ एक एक्ट्रेस की नहीं, बल्कि एक जुझारू महिला की भी है, जिसने शोहरत, मोहब्बत और मातृत्व की कठिन राहों को पार किया. उनकी जिंदगी सिखाती है कि चाहे हालात कितने भी कठिन क्यों न हों, हार मानने वालों को मुकाम नहीं मिलता.

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