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India News (इंडिया न्यूज़), Rekha Film Journey, दिल्ली: रेखा अपनी दौर से लेकर आज तक बॉलीवुड पर राज कर रही है। अपनी एक्टिंग, अदा और खूबसूरती से उन्होंने हर किसी को अपना दीवाना बनाया है, लेकिन क्या आप जानते हैं की रेखा के लिए एक्टिंग का यह सफर इतना आसान नहीं था। साउथ की इंडस्ट्री से बॉलीवुड इंडस्ट्री में आना और फिर अपने आप को टॉप एक्ट्रेस की लिस्ट में शामिल करना उनके लिए काफी मुश्किलों भरा था। आज उनके जन्मदिन के मौके पर हम आपको उनका खास किस्सा जरूर बताएंगे।
रेखा को बचपन से ही दिक्कतों का सामना करना पड़ा था। वह बचपन से ही अपने पिता के प्यार से भी वंचित रही थी। ऐसा इसलिए था क्योंकि उनके पिता जेमिनी और उनकी मां पुष्पावली एक रिश्ते में तो थे लेकिन इस रिश्ते को कोई नाम नहीं मिला था। जेमिनी पहले से ही शादीशुदा थे और वह पुष्पावली से शादी नहीं कर सकते थे। ऐसे में जब रेखा का जन्म हुआ था। उन्हें नाजायज औलाद का टाइटल दिया गया।
रेखा जिस स्कूल में पढ़ा करती थी। उसी स्कूल में उनके पिता के पहली पत्नी से बच्चे भी पढ़ा करते थे, लेकिन वह शुरू से ही रेखा को पूरी तरीके से नजरअंदाज किया करते थे। रेखा की मां चाहती थी कि वह अपने पिता की तरह ही टॉप एक्ट्रेस बने इसलिए उन्होंने रेखा पर बचपन से ही काम करना शुरू कर दिया और फिल्म लाइन में एंट्री कराई महेश 14 साल की उम्र से रेखा ने फिल्मों में काम करना शुरू कर दिया क्योंकि उन्हें अपने परिवार की मजबूरी में उनका सपोर्ट करना था। एक इंटरव्यू के दौरान रेखा ने बताया था कि वह अपनी मर्जी से नहीं बल्कि मार खाकर फिल्मों में आई है।
रेखा की फिल्मी सफल की बात करें तो उन्होंने साउथ इंडस्ट्री से काम करना शुरू किया था लेकिन पिता के साउथ के इतने बड़े एक्टर होने के बावजूद रेखा को फिल्म लाइन में काफी स्ट्रगल करना पड़ा क्योंकि उनके ऊपर उनका साया नहीं था। इसके साथ ही अपने नाम के पीछे अपने पिता का सरनेम इस्तेमाल करना भी उनके लिए मुसीबत का कारण बन गया था क्योंकि कहीं प्रोड्यूसर्स जेमिनी के नाम के डर से ही उन्हें फिल्म ऑफर नहीं किया करते थे।
वही रेखा के लुक भी उनके रिजेक्शन का बड़ा कारण बने क्योंकि उनके सावला रंग था उनका वजन भी बढ़ा हुआ था और वह टॉमबॉय की तरह रहा करती थी। जिस वजह से उन्हें फिल्में मिलने में काफी दिक्कत हुई लेकिन एक समय के बाद उन्हें छोटे-मोटे किरदार मिलना शुरू हो गए लेकिन मां का सपना अभी पूरा नहीं हुआ था।
हिंदी फिल्मों में उनकी आने की बात करें तो फिल्म डायरेक्टर प्रोड्यूसर कुलजीत पाल मसीह ने उन्हें मद्रास में फिल्म के सेट पर देखा था। जिस दौरान उन्हें रेखा के नैन नक्श काफी पसंद आए और उन्होंने अगले ही दिन रेखा के घर जाकर उन्हें फिल्म को ऑफर दे दिया। उनकी मां पुष्पावली ने बिना कुछ सोचे समझे फिल्म के लिए हां कर दी और अपनी बेटी के साथ सपनों की नगरी मुंबई में पहुंच गई।
रेखा बताती थी कि उनके लिए शहर किसी जंगल से काम नहीं था। उनका यहां पर दम घोटता था क्योंकि बॉलीवुड में उनके दबे रंग की वजह से उनका मजाक बनाया जाता था लेकिन एक समय बाद उन्होंने इन सारे मजाक को पॉजिटिव तरीके से लेते हुए। अपने आप पर काम करना शुरू कर अपने ड्रेसिंग सेंस को बदला, मेकअप और वेट कम किया और खुद पर ध्यान देते हुए 3 महीने के अंदर हिंदी बोलना भी सीख लिया।
इसके बाद उन्होंने दो शिकारी फिल्म से बॉलीवुड में कदम रखा लेकिन दो शिकारी फिल्म उनकी पहली रिलीज हुई फिल्म नहीं थी। इस फिल्म को रिलीज होने में काम से कम 10 साल का समय लगा क्योंकि फिल्म पर सेंसर लगा दिया गया था। इसके बाद से अब तक का रेखा का सफर हर कोई जानता है। उन्होंने बॉलीवुड इंडस्ट्री पर राज करना शुरू किया और अपनी अदाओं से सबको अपना बना लिया।
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