क्या है पूरा मामला?
जानकारी के मुताबिक, यह मामला बीजेपी नेता और एडवोकेट इंद्रमोहन सिंह हनी ने दायर किया था, जिन्होंने सलमान खान की ओर से जमा की गई पावर ऑफ अटॉर्नी और लिखित जवाब पर मौजूद सिग्नेचर पर सवाल उठाया था. शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि सिग्नेचर सलमान खान के जाने-माने सिग्नेचर से मेल नहीं खाते, जिसमें जोधपुर जेल में और वहां कोर्ट की कार्यवाही के दौरान दर्ज किए गए सिग्नेचर भी शामिल हैं. इंद्रमोहन सिंह हनी ने सिग्नेचर की जांच की मांग की और सलमान खान को कोर्ट में व्यक्तिगत रूप से पेश होने की मांग की. आपत्ति को स्वीकार करते हुए, कोर्ट ने आदेश दिया कि सिग्नेचर की जांच राज्य द्वारा अधिकृत और मान्यता प्राप्त एजेंसी या फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (FSL) द्वारा की जाए,
कोर्ट द्वारा बताए गए कानूनी प्रावधान
कोर्ट ने कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट, 2019 की धारा 38(9)(d) के साथ-साथ इंडियन एविडेंस एक्ट की धारा 73(2) के तहत फोरेंसिक जांच का निर्देश दिया. ये प्रावधान कोर्ट को कानूनी कार्यवाही के दौरान विवादित सिग्नेचर की प्रामाणिकता पर सवाल उठने पर विशेषज्ञ जांच और तुलना करने का अधिकार देते हैं. इन प्रावधानों के आधार पर, कोर्ट ने निष्कर्ष निकाला कि यह पता लगाने के लिए फोरेंसिक जांच आवश्यक है कि सलमान खान की ओर से जमा किए गए सिग्नेचर असली हैं या नहीं.
क्या है पान मसाला विज्ञापन मामले की पृष्ठभूमि?
बता दें कि, एडवोकेट इंद्रमोहन सिंह हनी ने सलमान खान और राजश्री पान मसाला कंपनी के खिलाफ कोटा कंज्यूमर कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसमें भ्रामक विज्ञापन का आरोप लगाया गया था. शिकायत में दावा किया गया था कि उत्पाद को केसर युक्त बताकर प्रचारित किया जा रहा था, जिस पर याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि पांच रुपये के पाउच में यह संभव नहीं है. याचिका में आरोप लगाया गया कि ऐसे विज्ञापन उपभोक्ताओं, खासकर युवाओं को गुमराह करते हैं और कैंसर जैसे स्वास्थ्य जोखिमों में योगदान करते हैं.
शिकायतकर्ता ने स्वास्थ्य के लिए हानिकारक उत्पादों के विज्ञापनों पर प्रतिबंध लगाने और एंडोर्समेंट के खिलाफ कार्रवाई की मांग की. याचिका में सलमान खान को दिए गए राष्ट्रीय पुरस्कारों पर भी पुनर्विचार की मांग की गई.
मामले पर क्या है सलमान खान का जवाब?
9 दिसंबर को, सभी आरोपों से इनकार करते हुए एक और जवाब दिया गया. सलमान खान के वकील ने कहा कि जवाब पर उनके असली दस्तखत हैं, जो उनके पैन कार्ड और पासपोर्ट जैसे सरकारी दस्तावेज़ों पर मौजूद दस्तखतों से मिलते हैं. जवाब में तर्क दिया गया कि शिकायतकर्ता द्वारा उठाए गए आपत्तियां अंदाज़े पर आधारित, बेबुनियाद थीं और कोर्ट की प्रक्रिया का गलत इस्तेमाल था. यह भी कहा गया कि ऐसी परिस्थितियों में व्यक्तिगत रूप से पेश होने या दस्तखतों की जांच की अनुमति देने का कोई खास प्रावधान नहीं है.
कब होगी अगली सुनवाई?
इन आपत्तियों के बावजूद, कंज्यूमर कोर्ट ने दस्तखतों की फोरेंसिक जांच का आदेश दिया और सलमान खान को 20 जनवरी को नोटरी करने वाले वकील और सहायक दस्तावेज़ों के साथ व्यक्तिगत रूप से पेश होने का निर्देश दिया. अब यह मामला फोरेंसिक रिपोर्ट के नतीजे और आगे की सुनवाई के आधार पर आगे बढ़ेगा.