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कोरोना ने अनेक बच्चों से उनके माता-पिता छिन लिए हैं। इस महामारी के कारण अनाथ हुए बच्चे संकट से गुजर रहे हैं। हालांकि केंद्र और राज्य सरकारें इसके लिए आगे आई हैं, लेकिन अभी उनकी देखरेख नाकाफी है। अनेक अनाथ बच्चे अपने दादा-दादी या ननिहाल में पल रहे हैं। ऐसे में इन बच्चों के लिए कौन-कौन व्रत रख सकता है? क्या अन्य रिश्तेदार अहोई माता का व्रत इन बच्चों के लिए रख सकते हैं? वे कैसे व्रत रख सकते हैं? क्या-क्या उपाय करने होंगे? इस बारे में हम आपको जानकारी देंगे।
बच्चे के जन्म के बाद कैसे रखें अहोई माता का व्रत
Ahoi ashtami to be done by whom in case of deceased mother: ज्योतिषाचार्य मदन गुप्ता सपाटू का कहना है कि कोरोना ने अनेक बच्चों को अनाथ कर दिया है। ऐसे में दादके या नानके में पल रहे बच्चों के लिए कोई भी ब्लड रिलेशन वाली महिला उनके लिए व्रत कर सकती है। जैसे कि बच्चे दादके में पल रहे हैं तो दादी, बच्चों की बड़ी मम्मी यानी ताई, चाची बच्चों की लंबी उम्र के लिए व्रत रख सकती हैं। इसके लिए कुछ ज्यादा नहीं करना है। जैसे आप अपने बच्चों के लिए व्रत रखेंगी, वैसे ही इन बच्चों के लिए भी अहोई माता से प्रार्थना करनी है।
कोरोना के कारण पूरे संसार को बहुत दुख दिए हैं। ऐसे में रक्तसंबंध वाली महिलाएं ही अहोई माता का व्रत रख सकती हैं। इस दिन महिलाएं अहोई माता का व्रत रखती हैं और उनका विधि विधान से पूजा अर्चना करती हैं। यह व्रत संतान के खुशहाल और दीघार्यु जीवन के लिए रखा जाता है। इससे संतान के जीवन में संकटों और कष्टों से रक्षा होती है। अहोई अष्टमी का व्रत महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण होता है। अपनी संतान की मंगलकामना के लिए वे अष्टमी तिथि के दिन निर्जला व्रत रखती हैं। मुख्यत: शाम के समय में अहोई माता की पूजा अर्चना की जाती है। फिर रात्रि के समय तारों को करवे से अर्ध्य देती हैं और उनकी आरती करती हैं। ऐसे ही बच्चों की ताई, चाची व्रत रख सकती हैं।
ज्योतिषाचार्य मदन गुप्ता सपाटू के अनुसार बच्चों से जुड़ा कोई भी रक्तसंबंध वाला बच्चों की लंबी आयु के लिए व्रत रख सकता है। इसके लिए बच्चों की नानी, मासी या अन्य कोई भी नितनियम से सुबह उठकर अहोई माता की आराधना करें और व्रत रखें।
इस बार अहोई माता का व्रत 28 अक्टूबर को आ रहा है। इस पोस्ट में हम आपको बताएंगे कि अगर आपको महावारी आ जाती है तो व्रत नहीं रखना चाहिए। लेकिन आप पूजा कर सकती हैं। जानिए इस लेख के जरिए की आप अहोई माता की पूजा कैसे कर सकती हैं।
इस बारे में विस्तार से जानकारी दे रहे हैं ज्योतिषाचार्य मदन गुप्ता सपाटू। वे कहते हैं कि किसी भी व्रत की पवित्रता जरूरी होती है। अक्सर पंडित कह देते हैं कि महावारी में व्रत करना चाहिए। लेकिन यह गलत है। अशुद्धि के कारण आपको ऐसा नहीं करना चाहिए। हम इस पोस्ट में आपको बताएंगे कि भले ही महावारी के कारण आप व्रत नहीं रख रहे हो, फिर अहोई माता की पूजा कैसे करें?
जानेमान विद्वान और ज्योतिषाचार्य मदन गुप्ता सपाटू के अनुसार अगर महावारी के कारण आपका व्रत नहीं हो रहा है तो इससे घबराने की बात नहीं है। घर में सास, ननद या जेठानी या अन्य कोई भी पारिवारिक सदस्य व्रत रख सकता है। आप दूर से माता का स्मरण कर संतान के लिए कामना कर सकती हैं। वैसे ही हमेशा पूर्व दिशा की ओर ही मुंह करके पूजा करनी चाहिए। ऐसे ही अहोई माता के व्रत में भी होता है। आपको पूर्व में मुंह करके पूजा करनी चाहिए। इस बारे में और विस्तार से जानकारी दे रहे हैं।
ज्योतिषाचार्य मदन गुप्ता सपाटू के अनुसार इस बार विशेष संयोगों के साथ अहोई अष्टमी व्रत आ रहा है। इसमें सवार्थ सिद्धि, गुरु पुष्य योग, अमृत सिद्धि तथा गजकेसरी योग में पड़ रहा है जिसे ज्योतिषीय दृष्टि से बेहद खास और लाभकारी माना जा रहा है।
ज्योतिषाचार्य मदन गुप्ता सपाटू का कहना है कि पूर्व दिशा सबसे उत्तम दिशा होती है। इस बार विशेष संयोगों के साथ अहोई अष्टमी व्रत आ रहा है। इसमें सवार्थ सिद्धि, गुरु पुष्य योग, अमृत सिद्धि तथा गजकेसरी योग में पड़ रहा है जिसे ज्योतिषीय दृष्टि से बेहद खास और लाभकारी माना जा रहा है।
इस दिन व्रत के अतिरिक्त सोना, चांदी, मकान, घरेलू सामान, विद्युत या इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स, कंप्यूटर या दीर्घ काल में उपयोग की जाने वाली वस्तुएं खरीदने का भी अक्षय तृतीया या धन त्रयोदशी जैसा ही शुभ दिन होगा।
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