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अक्सर महिलाएं व्रत के समय डिलीवरी या महावारी के कारण व्रत नहीं रख पाती हैं। इस कारण उनके मन में संदेह भी रहता है कि कहीं गलती से व्रत रख लिया तो क्या इसका कोई दुष्परिणाम भी हो सकता है क्या? आज ही पोस्ट में हम आपको बताएंगे कि डिलीवरी के बाद क्या आप अहोई माता का व्रत रख सकती हैं क्या?
इस बारे में जानेमान विद्वान और ज्योतिषाचार्य मदन गुप्ता सपाटू का कहना है कि छूतक लगे होने के कारण प्रसव करने वाली महिला व्रत नहीं रख सकती है। इस बारे में वे कहते हैं कि प्रसव हो या महावारी हो, इससे शारीरिक रूप से महिलाएं व्रत-उपवास के लिए शुद्ध नहीं रहती हैं। ऐसे स्थिति में उन्हें क्या करना चाहिए और क्या करना चाहिए? इस बारे में हम आपको विस्तार से जानकारी देंगे।
अगर आपको हाल ही में संतान रतन की प्राप्ति हुई है तो यह माता का आशीर्वाद ही है। लेकिन छूतक लगे होने के कारण आप व्रत नहीं कर सकती हैं। हवन-यज्ञ के द्वारा शुद्धि के बाद ही पूजा-अर्चना का प्रावधान है। ऐसा हमारे हिंदू शास्त्रों और धर्म ग्रंथों में लिखा गया है।
आपको चिंतित होने की जरूरत नहीं है। इसके लिए आप परिवार के दूसरे सदस्यों की मदद ले सकती हैं। आपकी ननद जो विवाहित हो और परिवार से दूर रहती हो वह आपकी संतान के लिए व्रत कर सकती हैं। ऐसे ही अगर आप सास से दूर रहती हैं तो वे भी अपने घर पर व्रत रख सकती हैं।
हां, आप अहोई माता का व्रत भले ही नहीं रख सकती हों, लेकिन आप सच्चे मन से मां का स्मरण करें और पूजा करें। इससे आपको और संतान को माता का आशीर्वाद मिलेगा।
Mahwari Me Kya Vrat Rakh Skte Hen
इस बार अहोई माता का व्रत 28 अक्टूबर को आ रहा है। इस पोस्ट में हम आपको बताएंगे कि अगर आपको महावारी आ जाती है तो व्रत नहीं रखना चाहिए। लेकिन आप पूजा कर सकती हैं। जानिए इस लेख के जरिए की आप अहोई माता की पूजा कैसे कर सकती हैं।
इस बारे में विस्तार से जानकारी दे रहे हैं ज्योतिषाचार्य मदन गुप्ता सपाटू। वे कहते हैं कि किसी भी व्रत की पवित्रता जरूरी होती है। अक्सर पंडित कह देते हैं कि महावारी में व्रत करना चाहिए। लेकिन यह गलत है। अशुद्धि के कारण आपको ऐसा नहीं करना चाहिए। हम इस पोस्ट में आपको बताएंगे कि भले ही महावारी के कारण आप व्रत नहीं रख रहे हो, फिर अहोई माता की पूजा कैसे करें?
जानेमान विद्वान और ज्योतिषाचार्य मदन गुप्ता सपाटू के अनुसार अगर महावारी के कारण आपका व्रत नहीं हो रहा है तो इससे घबराने की बात नहीं है। घर में सास, ननद या जेठानी या अन्य कोई भी पारिवारिक सदस्य व्रत रख सकता है। आप दूर से माता का स्मरण कर संतान के लिए कामना कर सकती हैं। वैसे ही हमेशा पूर्व दिशा की ओर ही मुंह करके पूजा करनी चाहिए। ऐसे ही अहोई माता के व्रत में भी होता है। आपको पूर्व में मुंह करके पूजा करनी चाहिए। इस बारे में और विस्तार से जानकारी दे रहे हैं।
ज्योतिषाचार्य मदन गुप्ता सपाटू के अनुसार इस बार विशेष संयोगों के साथ अहोई अष्टमी व्रत आ रहा है। इसमें सवार्थ सिद्धि, गुरु पुष्य योग, अमृत सिद्धि तथा गजकेसरी योग में पड़ रहा है जिसे ज्योतिषीय दृष्टि से बेहद खास और लाभकारी माना जा रहा है।
ज्योतिषाचार्य मदन गुप्ता सपाटू का कहना है कि पूर्व दिशा सबसे उत्तम दिशा होती है। इस बार विशेष संयोगों के साथ अहोई अष्टमी व्रत आ रहा है। इसमें सवार्थ सिद्धि, गुरु पुष्य योग, अमृत सिद्धि तथा गजकेसरी योग में पड़ रहा है जिसे ज्योतिषीय दृष्टि से बेहद खास और लाभकारी माना जा रहा है।
इस दिन व्रत के अतिरिक्त सोना, चांदी, मकान, घरेलू सामान, विद्युत या इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स, कंप्यूटर या दीर्घ काल में उपयोग की जाने वाली वस्तुएं खरीदने का भी अक्षय तृतीया या धन त्रयोदशी जैसा ही शुभ दिन होगा।
इस दिन महिलाएं अहोई माता का व्रत रखती हैं और उनका विधि विधान से पूजा अर्चना करती हैं। यह व्रत संतान के खुशहाल और दीघार्यु जीवन के लिए रखा जाता है। इससे संतान के जीवन में संकटों और कष्टों से रक्षा होती है। अहोई अष्टमी का व्रत महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण होता है। अपनी संतान की मंगलकामना के लिए वे अष्टमी तिथि के दिन निर्जला व्रत रखती हैं। मुख्यत: शाम के समय में अहोई माता की पूजा अर्चना की जाती है। फिर रात्रि के समय तारों को करवे से अर्ध्य देती हैं और उनकी आरती करती हैं।
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