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Ahoi Ashtami 2021 Vrat Kab Hai: धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी के दिन अहोई अष्टमी का व्रत किया जाता है। इस बार यह शुभ तिथि 28 अक्टूबर दिन गुरुवार को है। इस दिन महिलाएं पूरे विधि विधान के साथ माता अहोई के साथ भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती है।
संतान की लंबी उम्र, सुख-समृद्धि और संतान प्राप्ति के लिए अहोई अष्टमी का व्रत रखती हैं। संतान ही मां की सबसे बड़ी दौलत है और उसके लिए वह हमेशा सुखी और स्वस्थ जीवन की कामना करती हैं। महिलाएं अपनी संतान की लंबी आयु के लिए इस दिन निर्जला व्रत रखती है।
अष्टमी तिथि का व्रत, 28 अक्टूबर 2021, दिन बृहस्पतिवार।
पूजा का शुभ समय व मुहूर्त, शाम को 05 बजकर 39 मिनट से 06 बजकर 56 मिनट तक।
पूजा की अवधि, 01 घंटा 17 मिनट तक।
अहोई अष्टमी का व्रत करने वाली महिलाएं सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर घर की सफाई और स्नान करने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें। दीवार पर गेरू और चावल से अहोई माता और स्याहु व उसके सात पुत्रों का चित्र बनाएं। या फिर आप चाहें तो बाजार से भी पोस्टर ले सकते हैं। अब एक मटके में पानी भरकर और उस पर हल्दी से स्वास्तिक बनाएं और मटके को फिर ढक दें। इसके बाद अहोई माता की पूजा करें और व्रत कथा पढ़ें और माता अहोई की पूरी या फिर किसी मिठाई से भोग लगाएं।
पूजा के समय ध्यान रखें कि किसी भी तरह की कोई गलत भावना मन में न आए। पूजा करने के बाद माता की आरती उतारें और मंत्रों का उच्चारण करें। इसके बाद शाम के समय तारों को देखकर अर्घ्य दें और संतान की लंबी उम्र और सुखदायी जीवन की कामना करें। इसके बाद देवी-देवताओं और घर के बड़े बुजुर्गों का आशीर्वाद लेकर अन्न ग्रहण करें। इस व्रत में घर की बड़ी महिला या सास को कपड़े देकर उपहार के तौर पर भी दिया जाता है।
माना जाता है कि अहोई अष्टमी का व्रत काफी शुभदायी और फलदायी माना जाता है। इस व्रत को पूरे विधि विधान से करने पर माता अहोई की कृपा प्राप्त होती है और संतान की सुखदायी और लंबी उम्र की कामना पूरी होती है। अष्टमी तिथि को माताएं चांदी की माला पहनती हैं, जिसमें हर साल दो चांदी के मोती जोड़ती हैं। इस व्रत में कुछ नियमों का पालन करना आवश्यक होता है। जैसे चाकू, कैंची आदि नुकीली चीजों से इस दिन दूरी बनाकर रखनी होती है।
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