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kaise manaye Ahoi Ashtami ka vrat: हिंदू धर्म में अहोई अष्टमी का व्रत भी अन्य व्रतों की तरह अत्यंत महत्वपूर्ण है। संतान की भलाई के लिए यह व्रत रखा जाता है। कहते हैं कि अहोई अष्टमी का व्रत बहुत कठिन होता है। भाग्यशाली लोगों को ही संतान का सुख प्राप्त होता है।
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ऐसे में माता से अपनी संतान की लंबी आयु के लिए व्रत रखा जाता है। इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं। मान्यता है कि अहोई अष्टमी के दिन व्रत कर विधि विधान से अहोई माता की पूजा करने से मां पार्वती अपने पुत्रों की तरह ही आपके बच्चों की रक्षा करती हैं। साथ ही पुत्र प्राप्ति के लिए भी यह व्रत खास महत्व रखता है।
अहोई अष्टमी में देवी पार्वती की पूजा होती है। माना जाता है कि अनहोनी को टालने वाली माता देवी पार्वती हैं। इसलिए इस दिन मां पार्वती की पूजा-अर्चना का भी विधान है और अपनी संतानों की दीघार्यु और अनहोनी से रक्षा के लिए महिलाएं ये व्रत रखकर माता पार्वती से प्रार्थना करती हैं।
अहोई अष्टमी के दिन माताएं सूर्योदय से पूर्व स्नान करके व्रत रखने का संकल्प लें। अहोई माता की पूजा के लिए दीवार पर गेरू से अहोई माता का चित्र बनाएं और साथ ही शेर और उसके सात पुत्रों का चित्र बनाएं। शाम के समय पूजन के लिए अहोई माता के चित्र के सामने एक चौकी रखें।
उस पर जल से भरा कलश रखें और फिर रोली-चावल से माता की पूजा करें। मीठे पुए या आटे के हलवे का भोग लगाएं। कलश पर स्वास्तिक बना लें और हाथ में गेंहू के सात दाने लेकर अहोई माता की कथा सुनें। इसके उपरान्त तारों को अर्घ्य देकर अपने से बड़ों के चरण स्पर्श कर आशीर्वाद लें।
अहोई अष्टमी के दिन घर के सदस्यों की संख्या के अनुसार पूरी बनाई जाती है। मीठे के लिए पूजा की थाली में सूजी का हलवा या सिंघाड़े के आटे का हलवा बनाया जाता है। काले चने को सरसों के तेल में कम मसालों के साथ फ्राई किया जाता है।
सिंघाड़े और फलों का भोग लगाया जाता है। कई जगह पर इस पूजा में गन्ने को अनिवार्य रूप से शामिल किया जाता है। पूजा पूरी होने के बाद प्रसाद को पूरे घर के लोगों में बांट कर खाया जाता है। इस दिन बहुत ही कम तेल मसाले के साथ खाना बनाया जाता है।
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