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Ahoi Ashtami: संतान की समृद्धि के लिए पढ़ें अहोई अष्टमी की ये व्रत कथा, जानें पूरी कहानी

Nishika Shrivastava • LAST UPDATED : October 14, 2022, 5:11 pm IST
Ahoi Ashtami: संतान की समृद्धि के लिए पढ़ें अहोई अष्टमी की ये व्रत कथा, जानें पूरी कहानी

Ahoi Asthmi 2022 Vrat Katha.

Ahoi Asthmi 2022 Vrat Katha: कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को माताएं अपनी संतान की लंबी आयु और उज्जवल भविष्य के लिए व्रत रखती है। बता दें कि इस बार अहोई अष्टमी का पर्व 17 अक्टूबर 2022, सोमवार को रखा जा रहा है। इस दिन माताएं अपनी संतान के लिए निर्जला व्रत रखती हैं।

मिलता है व्रत का पूर्ण फल  

साथ ही माता अहोई से प्रार्थनी करती हैं कि उनकी संतान के ऊपर किसी भी तरह की समस्या न आएं और वो खुशहाल जीवन जिएं। अहोई अष्टमी के दिन विधिवत पूजा करने के साथ-साथ इस कथा का पाठ भी जरुर करना चाहिए। ऐसा करने से व्रत का फल पूर्ण मिलता है। यहां जानें अहोई अष्टमी की संपूर्ण व्रत कथा।

अहोई अष्टमी की व्रत कथा

एक समय एक नगर में एक साहूकार रहता था। उसके सात-सात बेटे और बहुएं और एक बेटी थीं। दिपावाली से कुछ दिन पहले उसकी बेटी अपनी भाभियों संग घर की लिपाई के लिए जंगल से साफ मिट्टी लेने गई। जंगल में मिट्टी निकालते वक्त खुरपी से एक स्याहू का बच्चा मर गया। इस घटना से दुखी होकर स्याहू की माता ने साहूकार की बेटी को कभी भी मां न बनने का श्राप दे दिया। उस श्राप के प्रभाव से साहूकार की बेटी का कोख बंध गया।

इस श्राप से साहूकार की बेटी दुखी हो गई और उसने अपनी भाभियों से कहा कि उनमें से कोई भी ए​क भाभी अपनी कोख बांध ले। ननद की बात सुनकर सबसे छोटी भाभी तैयार हो गई। उस श्राप के दुष्प्रभाव से उसकी संतान केवल सात दिन ही जिंदा रहती थी। जब भी वो कोई बच्चे को जन्म देती, वो सात दिन में ही मृत्यु को प्राप्त हो जाता था। वो परेशान होकर एक पंडित से मिली और उपाय पूछा।

जब पंडित ने उन्हें सलहा दी कि सुरही गाय की सेवा करें। पंडित की सलाह मानकर उसने सुरही गाय की सेवा करनी शुरू कर दी। उसकी सेवा से प्रसन्न गाय उसे एक दिन स्याहू की माता के पास ले जाती है। रास्ते में गरुड़ पक्षी के बच्चे को सांप मारने वाला होता है, लेकिन साहूकार की छोटी बहू सांप को मारकर गरुड़ पक्षी के बच्चे को जीवनदान देती है। तब तक उस गरुड़ पक्षी की मां आ जाती है। वो पूरी घटना सुनने के बाद उससे प्रभावित होती है और उसे स्याहू की माता के पास ले जाती है।

स्याहू की माता जब साहूकार की छोटी बहू की परोपकार और सेवा-भाव की बातें सुनती है तो प्रसन्न होती है। फिर उसे सात संतान की माता होने का आशीर्वाद देती हैं। आशीर्वाद के प्रभाव से साहूकार की छोटी बहू को सात बेटे होते हैं, जिससे उसकी सात बहुएं होती हैं। उसका परिवार बड़ा और भरापूरा होता है। वो सुखी जीवन व्यतीत करती हैं।

 

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