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इंडिया न्यूज:
Special on World Diabetes Day 2021 आज के समय में तो डायबिटीज यानि मधुमेह होना आम बात है। अधिक उम्र के लोगों में ही नहीं बच्चे भी डायबिटीज का शिकार हो रहे हैं। दुनिया भर में हर साल 14 नवंबर को वर्ल्ड डायबिटीज यानि विश्व मधुमेह दिवस के रूप में मनाया जाता है।
आईडीएफ यानी इंटरनेशनल डायबिटीज फेडरेशन हर साल वर्ल्ड डायबिटीज डे के लिए एक थीम चुनता है। इस वर्ष के लिए उनका मेन फोकस है- “डायबिटीज केयर तक पहुंच: यदि अभी नहीं, तो कब?”।
आयुर्वेद में अनुचित आहार-विहार, व्यायाम न करना, शारीरिक श्रम कम करना, अत्यधिक तनाव आदि इन सब कारणों से व्यक्ति के त्रिदोष वात, पित्त और कफ असन्तुलित हो जाते है और मधुमेह रोग को जन्म देते है। वैसे तो मधुमेह में तीनो दोषों में असंतुलन देखा जाता हैं।
परन्तु मुख्यत इसमें कफ दोष का प्रभाव मूल होता है तथा अपने ही समान लक्षणों को दशार्ता है। मधुमेह को कुलज विकारों में मुख्य बताया गया है। अर्थात इसका एक कारण अनुवांशिकता भी है यदि परिवार में किसी सदस्य को या माता-पिता को मधुमेह रोग चला आ रहा हो तो इसके होने की संभावना बढ़ जाती है। इसे कई लोग इसे शुगर की बीमारी भी कहते हैं।
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बता दें ग्रामीण आबादी में शहरी आबादी की तुलना में मधुमेह रोगी कम मिलते हैं। क्योंकि गांव में खान-पान का अंतर आ जाता है। इस बीमारी को रोकने के लिए न केवल जागरूकता बल्कि लाइफस्टाइल में बदलाव अहम भूमिका निभाता है। बच्चों, युवाओं, प्रौढ़ एवं बुजुर्गों- सभी आयु वर्ग में मधुमेह अब विश्व में बड़ी समस्या के रूप में उभरी है।
शहरों में अनियमित खान-पान और फिजिकल एक्टिविटी कम होने की वजह से मधुमेह के मरीज ज्यादा मिलते हैं।हमारे शरीर में पैनक्रियास नामक ग्रन्थि के ठीक से काम न करने या फिर पूरी तरह से काम न करने पर मधुमेह होने के खतरा बढ़ जाता है। हमारी पैनक्रयास ग्रन्थि से विभिन्न हार्मोन्स निकलते है।
इनमें मुख्य है इन्सुलिन और ग्लूकॉन। इंसुलिन हमारे शरीर के लिए बहुत उपयोगी है। इसकी वजह से हमारे रक्त में हमारी कोशिकाओं को शुगर मिलती है। इन्सुलिन शरीर के अन्य भागों में शुगर पहुंचाने का काम करता है। मधुमेह अंधेपन, किडनी फैल होने, दिल का दौरा, स्ट्रोक और निचले अंगों के ला-इलाज हो जाने का एक प्रमुख कारण है।
* अधिक भूख एवं प्यास लगना।
* हमेशा थका महसूस करना।
* वजन बढ़ना या कम होना।
* त्वचा में खुजली होना या अन्य त्वचा संबंधी समस्याएं होना।
* उल्टी का मन होना। मुंह सूखना।
* बाहरी संक्रमण के प्रति शरीर संवेदनशील हो जाता है।
* नेत्र संबंधी समस्याएं जैसे- धुंधला दिखना।
* अधिक पेशाब आने से शरीर निर्जलित हो जाता है जिस कारण बार-बार प्यास लगती है।
* कोई घाव होने पर उसके ठीक होने में समय लगता है।
* मधुमेह में शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली ठीक तरह से काम नहीं करती।
* महिलाओं में अक्सर योनि में कैंडिड इंफेक्शन होने को खतरा रहता है।
* रक्त में अतिरिक्त चीनी से तंत्रिका क्षतिग्रस्त हो सकता है।
* व्यक्ति अपने हाथ और पैरों में झनझनाहट महसूस करता है साथ ही हाथ-पैरों में दर्द एवं जलन हो सकती है।
* मधुमेह में व्यक्ति की संक्रमण से लड़ने की क्षमता कमजोर पड़ जाती है जिससे कि मसूड़ें में संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है और मसूड़े कमजोर होकर दांत ढीले हो सकते है।
ग्रीन टी में पॉलिफिनॉल्स होते है। यह मधुमेह को कम करने वाले हाइपोग्लिसेमिक तत्व होते है। इससे ब्लड शुगर को मुक्त करने में सहायता मिलती है और शरीर इन्सुलिन का बेहतर ढंग से इस्तेमाल कर पाता है।
तुलसी में मौजूद एन्टीआक्सिडेंट और जरुरी तत्व शरीर में इन्सुलिन जमा करने वाली और छोड़ने वाली कोशिकाओं को ठीक से काम करने में मदद करते है। डायबिटीज के रोगी को रोज दो से तीन तुलसी के पत्ते खाली पेट खाने चाहिए। इससे शुगर या मधुमेह के लक्षणों में कमी आती है।
अमलतास की कुछ पत्तियां धोकर उनका रस निकालें। इसका एक चौथाई कप प्रतिदिन सुबह खाली पेट पीने से मधुमेह फायदा मिलता है।
रक्त में शुगर के स्तर को कम रखने के लिए एक महीने तक अपने प्रतिदिन के आहार में एक ग्राम दालचीनी का प्रयोग करें। दालचीनी का इस्तेमाल आप शुगर की घरेलू दवा के रूप में कर सकते हैं।
नियमित तौर पर भोजन के बाद सौंफ खाएं। सौंफ खाने से मधुमेह नियंत्रण में रहता है। शुगर के मरीजों को इन घरेलू उपायों को अपनाने के साथ साथ परहेज का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
सुबह खाली पेट अलसी का चूर्ण गरम पानी के साथ लें। अलसी में प्रचुर मात्रा में फाइबर पाया जाता है जिस कारण यह फैट और शुगर का उचित अवशोषणा करने में सहायक होता है। अलसी के बीज मधुमेह के मरीज की भोजन के बाद की शुगर को लगभग 28 प्रतिशत तक कम कर देते हैं।
आंवले के जूस को 2 ग्राम हल्दी के पाउडर में मिलाकर दिन में दो बार सेवन करें। यह मधुमेह जैसी बीमारी को कम करता है।
करेले का जूस मधुमेह की मात्रा को कम करता है। डायबिटीज को नियंत्रण में लाने के लिए करेले का जूस नियमित रूप से पीना चाहिए। रोज सुबह खाली पेट टमाटर, खीरा और करेले का जूस मिलाकर पिएं।
शलजम को सलाद के रूप में या सब्जी बनाकर खाएं। शुगर के इलाज के दौरान शलजम का सेवन काफी लाभदायक होता है।
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