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Diwali Celebration: दिवाली क्यों मनाई जाती है, इस बारे में एक नहीं बल्कि कईं कहानियां हम सुन चुके हैं। अगर आपसे भी पूछा जाए तो आप भी यही कहेंगे कि भगवान राम वनवास से लौटे थे। उनके भव्य स्वागत में दिवाली मनाने की शुरुआत हुई। लेकिन क्या आप इसके अलावा कोई और कहानी के बारे में जानते हैं। इसके अलावा दिवाली मनाने के पीछे भगवान श्री राम से लेकर पांडवों तक की कहानियां मौजूद है। इसके अलावा सिख पंथ भी इस दिन को क्यों सेलिब्रेट करते है? उसके पीछे का इतिहास औरंगजेब से जुड़ा हुआ है। तो यहां हम आपको बताते है उन सब कथाओं के बारे में, जो लोगों के बीच काफी प्रचलित है।
भगवान श्रीराम का वनवास से लौटना, ये कहानी तो सभी लोगों को पता होगी। इसलिए हम इसे ज्यादा विस्तार से नहीं बता रहे है। कहा जाता है कि मंथरा ने कैकई को अपनी बातों में ले लिया था। उस वजह से दशरथ जी ने श्री राम को वनवास भेजा। 14 सालों के वनवास को बिताकर जब भगवान श्री राम अयोध्या लौटे तो नगरवासियों ने उनका स्वागत किया, तभी से दीपोत्सव की शुरूआत हुई और दिवाली मनाई जाने लगी।
महाभारत की कहानी तो आपको पता ही होगी। कौरवों ने, शकुनी मामा की मदद से शतरंज के खेल में पांडवों को हरा दिया था और छलपूर्वक उनसे सबकुछ छीन लिया था। उसके बाद उन्हें राज्य छोड़कर 13 साल के वनवास पर जाना पड़ा। कार्तिक अमावस्या के दिन ही युधिष्ठिर, भीम, अर्जुन, नकुल और सहदेव 13 साल का वनवास पूरा कर अपने राज्य लौटे थे। उनके लौटने की खुशी में राज्य के लोगों नें दीप जलाए। ऐसा माना जाता है कि तभी से कार्तिक अमावस्या पर दिवाली मनाई जाने लगी।
विक्रमादित्य उज्जैन के राजा थे। उन्हें भारत के महान सम्राटों में से एक माना जाता है। वो एक आदर्श राजा थे। उन्हें उनकी उदारता, साहस के लिए याद किया जाता है। मान्यताओं के मुताबिक, कार्तिक अमावस्या को ही उनका राज्याभिषेक हुआ था। ऐसे धर्मनिष्ठ राजा की याद में तभी से दिवाली का त्योहार मनाया जाने लगा।
हिंदी कैलंडर के मुताबिक, दिवाली का त्यौहार कार्तिक महीने की अमावस्या को मनाया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि इसी दिन समुद्र मंथन के दौरान मां लक्ष्मी जी ने अवतार लिया था। मां लक्ष्मी को धन और समृद्धि की देवी माना गया है। इसलिए इस समय हर घर में दीप जलाने के साथ-साथ माता लक्ष्मी जी की पूजा भी की जाती है।
सिख समुदाय के लोग इस त्यौहार पर इसलिए भी जश्न मनाते हैं क्योंकि उनके छठवें गुरु श्री हरगोविंदजी को मुगल सम्राट जहांगीर ने आजाद कर दिया था। उन्हें ग्वालियर जेल में कैद रखा गया था। जहां से स्वतंत्र होने पर खुशियां मनाई गईं, तभी से इस दिन को सिख समुदाय त्यौहार के रूप में मनाता है।
दिवाली त्यौहार मनाने के पीछे एक कहानी ये भी है कि इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर राक्षस का वध किया था। उस समय नरकासुर प्रागज्योतिषपुर का राजा था। वो इतना क्रूर था कि उसकी वजह से सारे देवताओं पर परेशानी के बादल छा गए थे। उसके बाद सभी देवता मदद के लिए श्रीकृष्ण के पास गए। एक बार उसने देवमाता अदिति की बालियां छीन ली थी। आपको बता दें कि देवमाता अदिति श्रीकृष्ण की पत्नी सत्यभामा की संबंधी थीं। नरकासुर को आशीर्वाद था कि उसकी हत्या सिर्फ कोई स्त्री ही कर सकती है। ऐसे में भगवान श्रीकृष्ण ने सत्यभामा की मदद से नरकासुर का वध किया था। दिवाली मनाने की एक ये भी वजह बताई गई है।
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