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Health Tips During Artificial Rain: दिल्ली- NCR दिवाली के बाद फिर से भारी प्रदूषण के संकट में डूब चुका है. जहरीली स्मॉग और बढ़ते पीएम2.5 स्तर के कारण वायु गुणवत्ता खतरनाक स्तर पर पहुंच चुकी है. इस गंभीर स्थिति से निपटने के लिए सरकार ने क्लाउड सीडिंग तकनीक अपनाकर आर्टिफिशियल रेन कराने का निर्णय लिया. लेकिन आम लोगों के मन में एक सवाल उठता है क्या इस बारिश में बाहर निकलना सुरक्षित है? और अगर भीग गए तो क्या असर होगा?
आर्टिफिशियल रेन क्या है?
आर्टिफिशियल रेन, जिसे क्लाउड सीडिंग भी कहा जाता है, एक मौसम नियंत्रण तकनीक है. इसमें विमान या ड्रोन के जरिए बादलों में खास रसायनों को छोड़ा जाता है ताकि बारिश को बढ़ावा दिया जा सके. इसका मुख्य उद्देश्य प्रदूषण घटाना, सूखे क्षेत्रों में पानी की आपूर्ति बढ़ाना और वायु गुणवत्ता सुधारना है.
क्लाउड सीडिंग में इस्तेमाल होने वाले मुख्य रसायन हैं:
सिल्वर आयोडाइड – यह बर्फ की संरचना की नकल करता है और बारिश को बढ़ाने में मदद करता है.
- पोटेशियम आयोडाइड
- ठोस कार्बन डाइऑक्साइड
- कभी-कभी सोडियम क्लोराइड
आर्टिफिशियल बारिश में भीगना कितना सुरक्षित है?
वैसे तो यह बारिश आम लोगों के लिए सुरक्षित मानी जाती है, क्योंकि इसमें रसायनों की मात्रा बहुत कम होती है. लेकिन कुछ मामलों में सावधानी बरतना जरूरी है:
- संवेदनशील त्वचा वाले लोग – रसायन से हल्की जलन या खुजली हो सकती है.
- सांस की समस्याओं वाले लोग – अस्थमा या ब्रोंकाइटिस से पीड़ित व्यक्ति थोड़ी बेचैनी महसूस कर सकते हैं.
- आंखों में जलन – लंबे समय तक बारिश में रहने से आंखों में हल्की समस्या हो सकती है.
लंबे समय तक जोखिम
अगर लगातार या लंबे समय तक इस बारिश में भीगा जाए तो रसायन भूजल या वर्षा जल में मिल सकते हैं. अत्यधिक मात्रा में यह पानी पीने योग्य नहीं रह सकता. इसलिए बच्चों, बुजुर्गों और बीमार लोगों को लंबे समय तक बारिश में रहने से बचना चाहिए.
सुरक्षा के उपाय
बारिश में भीगने के बाद त्वचा और बालों को अच्छी तरह धोएं.
लंबी अवधि तक बाहर न रहें.
किसी भी प्रकार की एलर्जी या सांस लेने में समस्या होने पर डॉक्टर से सलाह लें.
लंबी अवधि तक बाहर न रहें.
किसी भी प्रकार की एलर्जी या सांस लेने में समस्या होने पर डॉक्टर से सलाह लें.