Extra Marital Affair: शादी में भरोसा एक नींव की तरह काम करता है. अगर पति या पत्नी दोनों में से किसी का भरोसा टूटता है, तो शादी के रिश्ते गांठ पड़ने लगती है. जो समय-समय पर आपको एहसास दिलाती है, कि शादी ठीक नहीं चल रही है. वहीं अगर किसी को शादी के धोखा मिल जाएं, तो पति/पत्नी दोनों टूट जाते हैं. फिर चाहे वह धोखा पति की तरफ से पत्नी को दिया हो या फिर पत्नी ने पति को. मैरिटल अफेयर बहुत दर्दनाक होता है. साल 2018 में भारत के सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया था. जोसेफ शाइन केस में सुप्रीम को कोर्ट ने एक्स्ट्रा-मैरिटल अफेयर को क्रिमिनल ऑफेंस से बाहर कर दिया है. मतलब पत्नी को धोखा देने के लिए न पति को जेल हो सकती है और न ही लेकिन उसकी प्रेमिका को कोई जेल भेज सकता है. लेकिन तलाक जैसे मामलों के लिए यह अभी भी एक बड़ा आधार है.
प्रेमिका पर दर्ज किया जा सकता है मुकदमा?
एक्स्ट्रा-मैरिटल अफेयर किसी तरह का कोई क्रिमिनल केस नहीं है. इसी कारण प्रेमिका न पति के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं दर्ज की जा सकती. पुरानी IPC की धारा 497 को सुप्रीम कोर्ट ने असंवैधानिक करार दिया है. क्योंकि इस धारा के तरह महिलाओं को संपत्ति माना जाता है. वहीं अब एक्स्ट्रा-मैरिटल अफेयर कोई जेल में सजा नहीं काट सकता है. हालांकि, दिल्ली हाई कोर्ट के सितंबर 2025 के फैसले के मुताबिक, आप प्रेमिका पर एलियनेशन ऑफ एफेक्शन सिविल सूट दायर किया जा सकता है. जिसका मतलब है कि अगर साबित हो जाए कि प्रेमिका के कारण शादी टूटी है, तो आप इमोशनल डैमेज के तहत मुआवजे की मांग कर सकती हैं. यह एक तरह का “हार्ट-बाम” क्लेम है, जो एंग्लो-अमेरिकन लॉ से आया है. लेकिन अब इसे भारत में भी मान्यता मिल चुकी है. लेकिन यह साबित करने के लिए सबूतों की जरुरत होगी. इसके लिए आपको अच्छी तरह से पहले सबूत जुटाने होंगे.
पति के खिलाफ क्या कार्रवाई कर सकते हैं?
एक्स्ट्रा-मैरिटल अफेयर भले क्राइम न हो, लेकिन यह शादी तोड़ने का मुख्य कारण हैं.
तलाक
- हिंदू मैरिज एक्ट (धारा 13(1), स्पेशल मैरिज एक्ट (धारा 27), इंडियन डिवोर्स एक्ट (धारा 10)
- तलाक, कस्टडी, प्रॉपर्टी में हिस्सा मिलेगा.
ज्यूडिशियल सेपरेशन
- हिंदू मैरिज एक्ट (धारा 10)
- अलग रहने का अधिकार, शादी जारी रहेगी और खर्च भी मिलेगा.
मेंटेनेंस
- CrPC धारा 125, हिंदू मैरिज एक्ट (धारा 24/25)
- मासिक खर्च और घर का हक
बच्चों के लिए क्या हैं राइट्स?
एक्स्ट्रा-मैरिटल अफेयर के कारण पत्नी के साथ-साथ बच्चों को भी नुकसान होता है. कोर्ट बच्चे की भलाई सबसे पहले सोचता है. ज्यादातर केस में बच्चे की कस्टडी मां को मिलती है. पिता को उसका ज्यादा खर्चा देना पड़ता है.
क्या कर सकती हैं आप?
आप अपना अधिकार पाने के लिए सबसे पहले कुछ सबूत जुटा लें. लेकिन कभी भी किसी प्राइवेसी लॉ का उल्लंघन न करें. तलाक के लिए आप 1 साल की शादी के बाद फाइल कर सकती हैं. म्यूचुअल कंसेंट के जरिए भी दोनों कोर्ट के बाहर मामला सुलझा सकते हैं. 6 महीने में भी तलाक लिया जा सकता है. वकील, काउंसलर या NGO से भी आप मदद की गुहार लगा सकते हैं.