बैरन आइलैंड का भौगोलिक महत्व
बैरन आइलैंड अंडमान सागर में स्थित है और यह अंडमान और निकोबार द्वीप समूह की राजधानी पोर्ट ब्लेयर से लगभग 138 किलोमीटर उत्तर-पूर्व में है. यह द्वीप अपने आकार में लगभग 3 वर्ग किलोमीटर है और इसका अधिकांश हिस्सा राख और ज्वालामुखी शंकुओं से ढका हुआ है. सतही दृश्य से यहाँ बहुत कम हरियाली दिखाई देती है, जिससे द्वीप का दृश्य बेहद वायल और रहस्यमय लगता है.
ज्वालामुखी का यह क्षेत्र विशेष रूप से इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह भारतीय और बर्मा टेक्टोनिक प्लेटों के मिलने वाले क्षेत्र में स्थित है. इसी भूवैज्ञानिक संरचना के कारण यह सक्रिय रहता है और समय-समय पर विस्फोट करता है. आधिकारिक रिकॉर्ड के अनुसार, इस ज्वालामुखी में पिछला विस्फोट 2022 में हुआ था.
वन्य जीवन और प्राकृतिक वातावरण
बैरन आइलैंड न सिर्फ ज्वालामुखी गतिविधियों के लिए जाना जाता है, बल्कि इसकी अद्वितीय वन्यजीवन संरचना भी आकर्षक है. कुछ इतिहासकारों और शोधकर्ताओं के अनुसार, द्वीप पर पाई जाने वाली बकरियां बंगाल की खाड़ी में हुए एक जहाज हादसे के बाद जीवित बची थीं. यह द्वीप उन बकरियों के लिए उपयुक्त था क्योंकि यहाँ ज्वालामुखी की ढलानों पर मीठे पानी के झरने मौजूद हैं.
भारत में अन्य ज्वालामुखी
जहां तक भारत की मुख्य भूमि की बात है, यहां कोई सक्रिय ज्वालामुखी नहीं है. लेकिन भारत में कुछ निष्क्रिय और विलुप्त ज्वालामुखी जरूर पाए जाते हैं. प्रमुख स्थान इस प्रकार हैं:
- Narcondam Island अंडमान सागर निष्क्रिय
- Deccan Plateau महाराष्ट्र विलुप्त
- Baratang Island अंडमान सागर सक्रिय (कीचड़ वाला ज्वालामुखी)
- Dhinodhar Hills गुजरात विलुप्त
- Dhosi Hill हरियाणा विलुप्त
- Tosham Hills हरियाणा विलुप्त
- Loktak Lake मणिपुर सुपरवॉल्केनिक काल्डेरा