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इस शहर को क्यों कहा जाता है अरब सागर की रानी, जानें क्या था इसका इतिहास जो बना पहले यूरोपीय उपनिवेश की बस्ती

Queen of Arabian Sea: आज हम भारत के एक ऐसे शहर के बारे में चर्चा करने वाले है, जो अरब सागर की रानी के तौर पर जाना जाता है. साथ ही इसका इतिहास क्या है और कैसे यह शहर पहली बार यूरोपीय उपनिवेश की बस्ती बना.

Written By: shristi S
Last Updated: November 1, 2025 16:05:35 IST

Spice Trade in Kerala: भारत के दक्षिण-पश्चिम तट पर स्थित कोच्चि (पुराना नाम कोचीन) सिर्फ एक बंदरगाह शहर नहीं, बल्कि इतिहास, संस्कृति और व्यापार का जीता-जागता प्रतीक है. इसे अरब सागर की रानी कहा जाता है और यह उपाधि इसे यूं ही नहीं मिली. सदियों से कोच्चि ने भारत को दुनिया के कोने-कोने से जोड़ा है कभी मसालों की खुशबू के ज़रिए, तो कभी अपने व्यापारिक कौशल और सांस्कृतिक मेलजोल से. यह शहर भारत के समुद्री इतिहास में उतना ही महत्वपूर्ण है जितना दिल्ली भारत के राजनीतिक इतिहास में.

कोच्चि क्यों कहलाता है ‘अरब सागर की रानी’?

कोच्चि का भौगोलिक स्थान ही इसकी सबसे बड़ी ताकत है. अरब सागर के किनारे बसा यह प्राकृतिक बंदरगाह प्राचीन काल से ही व्यापारियों और नाविकों के लिए स्वर्ग रहा है. अरब देशों, चीन, अफ्रीका और यूरोप के व्यापारी यहां मसालों, रेशम,और कीमती धातुओं के व्यापार के लिए आते थे. यही वजह है कि कोच्चि धीरे-धीरे वैश्विक व्यापार का केंद्र बन गया.

मसालों के व्यापार का केंद्र

केरल को “भारत का मसाला उद्यान” कहा जाता है, और कोच्चि इस उद्यान का द्वार रहा है. यहां से काली मिर्च, इलायची, दालचीनी, लौंग और जायफल जैसी कीमती मसालों की खेप समुद्र के रास्ते यूरोप और मध्य पूर्व तक जाती थी. कहा जाता है कि कोच्चि की मसालों की खुशबू पुर्तगाल तक पहुंची और वास्को डी गामा को भारत की ओर खींच लाई.

 औपनिवेशिक इतिहास का आरंभ

1503 में पुर्तगालियों ने कोच्चि में अपनी पहली बस्ती स्थापित कीऔर यहीं से भारत में यूरोपीय उपनिवेशवाद की शुरुआत हुई. बाद में डच और फिर अंग्रेज भी आए, जिन्होंने कोच्चि को व्यापारिक और प्रशासनिक केंद्र बना दिया. इस दौरान शहर ने कई संस्कृतियों का संगम देखा यूरोपीय वास्तुकला, यहूदी परंपराएं, और मलयाली संस्कृति ने मिलकर इसे एक अनोखी पहचान दी.

कोच्चि की ऐतिहासिक विरासत

  • कोच्चि आज भी अपनी ऐतिहासिक विरासत के लिए प्रसिद्ध है.
  • सेंट फ्रांसिस चर्च – भारत का सबसे पुराना यूरोपीय चर्च, जिसे पुर्तगालियों ने बनाया था.
  • परदेसी सिनेगॉग – 1568 में बना यह सिनेगॉग आज भी सक्रिय है और यहूदी समुदाय की समृद्ध विरासत को दर्शाता है.
  • चीनी मछली पकड़ने के जाल (Chinese Fishing Nets) – 14वीं शताब्दी में आए ये विशाल जाल आज कोच्चि की पहचान बन चुके हैं.
  • मट्टनचेरी और फोर्ट कोच्चि – जहां औपनिवेशिक और स्थानीय संस्कृति का अद्भुत मिश्रण देखने को मिलता है.

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