World Disability Day: आपमें से बहुत कम लोगों को यह पता होगा कि हम 3 दिसंबर को विश्व स्तर पर विश्व विकलांगता दिवस क्यों मनाते हैं. इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य यह है कि विकलांग व्यक्तियों को समाज में बराबरी के लिए मौका दिया जाता है. यह दिन खास रूप से दिव्यांग लोगों को शिक्षा, स्वास्थ्य, काम और सामाजिक जीवन में समान रूप से शामिल करने के लिए ही मनाया जाता है.
क्या है इस साल की थीम?
हर साल विश्व विकलांगता दिवस के लिए एक अनोखा थीम तय किया जाता है, जो हर साल के लिए मुख्य संदेश और प्राथमिकता पूरी तरह से निर्धारित करती है. इस बार का थीम, “विकलांग समावेशी समाजों को आगे बढ़ाना” निर्धारित किया गया है. जिसका सीधा मतलबा है कि वास्तविक सामाजिक विकास और समान्ता तभी संभव है जब नीतियां, वातावरण और स्थितियां दिव्यांग व्यक्तियों के लिए पूरी तरह से अनुकूल हों.
क्या है इस दिवस का इतिहास?
चलिए अब बात करते हैं इस दिवस के इतिहास के बारे में. दरअसल, इस दिवस की शुरुआत साल 1992 में संयुक्त राष्ट्र (UN) की महासभा ने एक प्रस्ताव पारित किया जिसके बाद यह फैसला लिया गया था कि हर साल 3 दिसंबर को विश्व स्तर पर विश्व विकलांगता दिवस पूरे दुनियाभर में मनाया जाएगा.
नाम में किस तरह का किया गया बदलाव?
हांलाकि, शुरुआती दिनों में इसे ‘अंतरराष्ट्रीय विकलांग दिवस’ ही कहा जाता था. लेकिन, फिर साल 2007 में एक महासभा ने नाम में संशोधन करके इसे ‘अंतर्राष्ट्रीय विकलांगता दिवस’ (International Day of Persons with Disabilities) कर दिया गया. जिसका मुख्य उद्देश्य केवल विकलांगता के प्रति लोगों में जागरूकता और सम्मान की भावना को पूरी तरह से एक दूसर के लिए मज़बूत करना है.
क्या है इस दिन का मुख्य उद्देश्य?
इस दिन को मनाने के कई महत्वपूर्ण उद्देश्य हैं, जिसमें पहला है जागरूकता बढ़ाना. दिव्यांग लोगों के स्वास्थ्य, जीवन से जुड़ी चुनौतियों और उनके अधिकारों की आवश्यकता को लेकर समाज में जागरूकता फैलाना बेहद ही ज़रूरी है. दूसरा है समान भागदारी, जिसमें विकलांग लोगों को शिक्षा, रोज़गार, स्वास्थ्य और साथ ही सांस्कृतिक जीवन में आसान और समान भागीदारी देना पहली प्राथमिकता मानी जाएगी. तीसरा है, अधिकारों की रक्षा करना, इसमें विकलांग लोगों के अधिकारों की रक्षा करना और उन्हें पूरी तरह से आत्मनिर्भर बनाना महत्वपूर्ण होगा. तो वहीं, चौथे आखिरी नंबर पर सशक्तिकरण को शामिल किया गया है, इसमें खास तौर से दिव्यांग लोग भी समाज में सक्रिय रूप से हिस्सा ले सकते हैं और खुद को शक्तिशाली मान सकते हैं.
क्या है इस दिन का विशेष रूप से महत्व?
यह दिन विशेष इसलिए भी है इस दिन किसी भी दिव्यांग व्यक्ति के होने की स्थिति को “कमज़ोरी” के बजाय मानव विविधता के एक हिस्से के रूप में स्वीकार किया जाना चाहिए. इसके अलावा यह दिन दिव्यांग लोगों के लिए सम्मान के साथ-साथ कई कोशिशों को मज़बूत करना है.