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India News(इंडिया न्यूज), Gujarat: गुजरात में 12वीं कक्षा की पाठ्यपुस्तक को लेकर विवाद हो रहा है। यह पुस्तक गुजरात पाठ्यपुस्तक बोर्ड द्वारा प्रकाशित किया जाता है। इस पुस्तक में कई ऐसी चीजें छपीं हैं जो बौद्ध धर्म के खिलाफ गलत धारणाएं फैला रही हैं। 12वीं कक्षा की समाजशास्त्र की पुस्तक के 16 वें पृष्ठ पर यह पाठ प्रकाशित हुआ है जिसमें लिखा है कि बौद्ध धर्म के दो स्तर हैं। इस पुस्तक के अनुसार बौद्ध धर्म की उच्च श्रेणी में ब्राम्हण, क्षत्रिय और कुछ गृहस्त श्रेणी के लोग होंगे। वहीं दूसरी श्रेणी निचली श्रेणी होगी जिसमें आदिवासी और उपेक्षित जाति के लोग होंगे। इस पर बौद्ध धर्म के अनुयायियों ने आपत्ति जताई है और कहा है कि यह गलत धारणा है और जातिवाद को बढ़ावा देती है।
बौद्ध समुदाय के लोगों का कहना है कि बौद्ध धर्म किसी भी तरह से जातिवाद को बढ़ावा नहीं देता है। घर छोड़ने से पूर्व महात्मा बुद्ध खुद क्षत्रिय धर्म से संबंध रखते थें लेकिन गृह त्याग करते हुए उन्होंने अपनी जाति का त्याग भी कर दिया था। महात्मा बुद्ध ने हमेशा प्रेम, करूणा और भाईचारे को बढा़वा दिया है। बौद्ध धर्म में हर कोई समान है। गुजरात राज्य पाठ्यपुस्तक बोर्ड की इस पुस्तक में यह भी कहा गया है कि बौद्ध धर्म के तीन सैद्धांतिक विभाग हैं, हीनयान, महायान, वज्रयान।अनुयायियों मे कहा कि जब कोई बौद्ध धर्म में आता है तो चाहे वह किसी भी धर्म का ही क्यों ना हो लेकिन बौद्ध धर्म में आने के बाद हर धर्म समान हो जाता है।
इस किताब को लेकर वी आर गोसाई मे कहा है कि इस पुस्तक में जो भी तथ्यात्मक त्रुटि है इसकी जांच की जाएगी और इस पुस्तक को दोबारा लिखने के बारे में पैनल से चर्चा की जाएगी। गोसाई ने कहा कि 20 सितंबर 2016 को संसोधित की गई थी फिर सरकार से न्जूरी मिलने के बाद यह किताब 2017 में प्रकाशित हुई। लेकिन अब जब इसमें त्रुटियां पाई गई़़ हैं तो इसमें सुधार किया जाएगाऔर पाठों को साक्ष्यों की जांच के बाद आवश्यक सुधार के साथ दोबारा लिखा जाएगा।
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