इंडिया न्यूज़, Chaudhary Devi Lal : हरियाणा ने देश की राजनीति में एक से बड़े एक दिग्गज नेता दिए। जिन्होंने अपनी राजनीतिज्ञ सूझ-बूझ के बल पर देश की राजनीति में भी अपना लोहा मनवाया। हरियाणा को उसका हक दिलवाने के लिए भी एक ऐसे ही नेता ने संघर्ष किया। उस महान नेता का परिवार आज भी हरियाणा की राजनीति में सक्रिय है। यह परिवार हरियाणा की राजनीति में अपना अलग रसूख रखता है। हम बात कर रहे हैं चौटाला परिवार की। चौटाला परिवार का जिक्र किए बिना हरियाणा की राजनीति पूरी नहीं हो सकती।
हरियाणा की राजनीति में चौधरी देवीलाल ने एक अलग नाम बनाया। कोई उन्हें हरियाणा निर्माता के तौर पर जानता है तो कोई हरियाणा निर्माता के तौर पर । उन्होंने हरियाणा को उसका हक दिलवाया। किसानों के मसीहा कहलाए जाने वाले चौधरी देवीलाल। दो बार प्रदेश के मुख्यमंत्री और एक बार देश के उप प्रधानमंत्री रहे। जिनकी वंश आज भी राजनीति में सक्रिय है। आइए जानते हैं चौधरी देवीलाल के जीवन परिचय के बारे में कुछ खास बातें…..
चौधरी देवीलाल ने हरियाणा की राजनीति का नया मुकाम दिया। उन्हें ताऊ के नाम से भी जाना जाता था। देवीलाल 19 अक्टूबर 1989 से 21 जून 1991 तक भारत के उप-प्रधानमंत्री रहे। इतना ही नहीं देवीलाल दो बार हरियाणा के मुख्यमंत्री भी रहे। वह 21 जून 1977 से 28 जून 1979 और 17 जुलाई 1987 से 2 दिसंबर 1989 तक हरियाणा के मुख्यमंत्री भी रहे। चौधरी देवीलाल में बचपन से संघर्ष का मादा कूट-कूट कर भरा हुआ था।
चौधरी देवीलाल महात्मा गांधी, लाला लाजपत राय, भगत सिंह के जीवन से प्रेरित होकर देश के स्वतंत्रता आंदोलनों में भाग लेते रहे। हरियाणा को पंजाब से अलग करने के लिए 1962 से 1966 तक चौ. देवीलाल ने निर्णायक भूमिका निभाई। चौधरी देवीलाल 2 बार प्रदेश के सीएम रहे। उनकी नीतियों से प्रदेश ने काफी विकास किया। बाद में उनकी नीतियों को केंद्र सरकान ने भी लागू किया।
एक बार तो देवीलाल ने केंद्र में प्रधानमंत्री पद को भी ठुकरा दिया था। देवीलाल सारी उम्र देश और जनता की सेवा में जुटे रहे। उन्हें किसानों के मसीहा के रूप में जाना जाता रहा। इसी प्रकार केन्द्र में प्रधानमंत्री के पद को ठुकरा कर भारतीय राजनीतिक इतिहास में त्याग का नया आयाम स्थापित किया। वे ताउम्र देश एवं जनता की सेवा करते रहे और किसानों के मसीहा के रूप में उनका महत्त्वपूर्ण योगदान रहा।
1966 से पहले संयुक्त पंजाब के दौरान वर्तमान हरियाणा को विकास के मामले में भेदभाव का सामना करना पड़ रहा था। जिसके खिलाफ देवीलाल ने आवाज उठाई। उन्होंने आंकड़ों सहित विधानसभा में अपनी बात रखी और हरियाणा को अलग राज्य बनाने के लिए कड़ा संघर्ष किया। जिसका परिणाम यह निकला कि नवंबर, 1966 को पंजाब से अलग होकर हरियाणा अस्तित्व में आया। जिसके चलते देवीलाल को हरियाणा निर्माता के तौर पर जाना जाता है।
देश आजाद होने के बाद चौधरी देवीलाल किसानों के मसीहा के तौर पर उभरे। देवीलाल ने किसान आंदोलन शुरू किया और 500 कर्मचारियों के साथ गिरफ्तारी दी। वह किसानों के हकों की बात करते थे। जिसके बाद तत्कालीन सीएम गोपी चंद भार्गव ने समझौता कर मुजरा अधिनियम में संशोधन किया। देवीलाल 1952 में विधानसभा के अध्यक्ष और 1956 में पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गए।
वह हरियाणा के हकों के लिए हमेशा आवाज उठाते रहे। हरियाणा के गठन में उनकी भूमिका निर्णायक रही। 1958 में वह सिरसा से विधायक बने। 1971 में देवीलाल ने कांग्रेस छोड़ दी। 1974 में रोरी विधानसभा से चुनाव जीता। 1975 इमरजेंसी दौर में इंदिरा गांधी ने चौधरी देवीलाल सहित सभी विपक्षी नेताओं को 19 महीनों के लिए जेल भेज दिया। 1977 में आपातकाल की समाप्ति के बाद आम चुनाव में उन्होंने जनता पार्टी की टिकट से चुनाव जीता और हरियाणा के मुख्यमंत्री बने।
देवीलाल ने आपातकाल के दौरान तानाशाही शासन का जमकर दृढ़ता से विरोध किया था। जिसके चलते उन्हें शेर-ए-हरियाणा का खिताब भी दिया गया। 1980-82 में वह सांसद बने। 1982 से 87 तक वह राज्यसभा सांसद भी रहे। देवीलाल ने लोकदल का गठन किया। वह जनता के बीच काफी लोकप्रिय थे। 1987 के विधानसभा चुनाव में देवीलाल की गठबंधन पार्टी ने 90 में से 85 सीटें अपने नाम की। जिसके बाद देवीलाल दूसरी बार प्रदेश के मुख्यमंत्री बने।
चौधरी देवीलाल के प्रपौत्र दुष्यंत चौटाला इस समय प्रदेश के उप मुख्यमंत्री हैं। वह चौधरी देवीलाल के बारे में बताते हैं कि संसद में इस समय 50 से ज्यादा ऐसे सदस्य हैं जो चौधरी जी के साथ काम कर चुके हैं। वह लोग बताते हैं कि 1989 में देवीलाल ने ऐसा काम कर दिया कि सबका मुंह खुला रह गया। देवीलाल ने अपनी जगह विश्वनाथ प्रताप सिंह को नेता बना दिया। जिसके बाद यह बात प्रचलित हो गई थी कि देवीलाल अपनी जुबान के पक्के हैं। जो उन्होंने किया वो हर कोई नहीं कर सकता।
1977 में इमरजेंसी के काले दौर के दौरान चौधरी देवीलाल को महेंद्रगढ़ किले में बंदी बनाया गया था। जहां एक छोटी सी कालकोठरी में चौधरी देवीलाल, मनीराम बागड़ी सहित 3 लोगों को रखा गया था। कोठड़ी में संतरी शाम 6 बजे ताला देता था और अगले दिन सुबह 9 बजे खोलता था। कोठरी में एक साथ 2 लोग ही लेट सकते थे। एक आदमी कपड़े से हवा करता था। सफाई के नाम पर वहां मच्छरों की भरमार थी।
बिजली,पानी, शौचालय की कोई व्यवस्था नहीं। कोठरी में सिर्फ एक छोटा सा रोशनदान था। जहां से रोशनी आती थी। चौधरी देवीलाल ऐसे कठिन समय में भी कभी घबराए नहीं और हमेशा संघर्ष करते रहे। ऐसे थे चौधरी देवीलाल। जिनके नक्शे कदम पर चलकर हरियाणा की राजनीति ने नया मुकाम हासिल किया। आज की राजनीति में उनका बेटा रंजीत सिंह चौटाला हरियाणा का बिजली मंत्री और प्रपौत्र दुष्यंत चौटाला प्रदेश के उप मुख्यमंत्री हैं।
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