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Controversy over Chandigarh अब केवल चंडीगढ़, एसवाईएल का पानी और 400 गांव ही नहीं, पीयू में हिस्सेदारी, यूटी प्रशासक हरियाणा से और प्रशासन में ज्यादा अधिकारी हरियाणा से हों

PUBLISHED BY: Amit Gupta • LAST UPDATED : April 5, 2022, 5:22 pm IST
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Controversy over Chandigarh अब केवल चंडीगढ़, एसवाईएल का पानी और 400 गांव ही नहीं, पीयू में हिस्सेदारी, यूटी प्रशासक हरियाणा से और प्रशासन में ज्यादा अधिकारी हरियाणा से हों

Controversy over Chandigarh

Controversy over Chandigarh अब केवल चंडीगढ़, एसवाईएल का पानी और 400 गांव ही नहीं, पीयू में हिस्सेदारी, यूटी प्रशासक हरियाणा से और प्रशासन में ज्यादा अधिकारी हरियाणा से हों

हरियाणा के सभी दलों के विधायक हुए लामबंद बोले अब हमें पंजाब स्टेट और यूटी प्रशासन के पदों की सिंचाई चाहिए सही कहा यूटी प्रशासन में हरियाणा के अधिकारियों को नियुक्ति में बराबरी मिले।
डॉ रविंद्र मलिक । चंडीगढ़
Dispute over chandigarh: हरियाणा पंजाब में चंडीगढ़ (chandigarh) को लेकर विवाद चरम पर है।  1 अप्रैल को पंजाब ने विधानसभा में एक प्रस्ताव पास कर चंडीगढ़ पर एक तरफा दावा किया और चंडीगढ़ को पंजाब को ट्रांसफर करने को केंद्र से कहा। इसकी प्रतिक्रिया में हरियाणा ने 5 अप्रैल को विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया और राज्य ने भी एक प्रस्ताव पास किया, जिसमें पंजाब द्वारा पास किए गए चंडीगढ़ पर एक तरफा प्रस्ताव की न केवल कड़ी निंदा की, बल्कि पूरी तरह से इसको गलत बताया।
dispute over chandigarh
इस बीच हरियाणा की तरफ से एक बात और साफ कर दी के जाए कि उपरोक्त 3 के अलावा भी कई ऐसे मुद्दे हैं जिन पर हरियाणा की अनदेखी लगातार की जाती रही है। यूटी प्रशासन में डेपुटेशन पर तैनात अधिकारियों या कर्मचारियों की नियुक्ति का मामला हो या फिर पंजाब विश्वविद्यालय में हिस्सेदारी का, हरियाणा के सभी दलों के विधायकों ने साफ कहा कि यहां भी हरियाणा को उचित हिस्सेदारी और रिप्रेजेंटेशन मिले।

पंजाब विश्वविद्यालय पर हरियाणा का भी हक

पंजाब से अलग होने के बाद पंजाब विश्वविद्यालय (punjab university) को लेकर भी दोनों राज्यों का पंजाब में उसकी पर हक को लेकर एक फैसला हुआ। इसमें भी दोनों राज्यों के बीच खर्च और हिस्सेदारी को निर्धारित किया गया।  बाद में हरियाणा के हक को पंजाब विश्वविद्यालय पर नकार दिया गया।
बता दें कि पंजाब द्वारा चंडीगढ़ को लेकर रिजॉल्यूशन पास किए जाने के बाद प्रदेश के डिप्टी सीएम और जजपा नेता दुष्यंत चौटाला बार-बार कह रहे हैं कि पंजाब यूनिवर्सिटी पर हरियाणा का भी हक है, जितना पंजाब का है उतना ही हमारा ही बनता है ऐसे में इस मामले में अनदेखी बिल्कुल नहीं सहेंगे और केंद्र सरकार से दरख्वास्त करेंगे कि पंजाब विश्वविद्यालय का हरियाणा का हक दिलाया जाए।
मामले को लेकर स्पीकर ज्ञान चंद गुप्ता सभी निरंतर उठाते रहे और निरंतर कोशिश करते रहे हैं कि अंबाला और पंचकूला के कॉलेज पंजाब यूनिवर्सिटी से जोड़े जाए। एक बात साफ है कि हरियाणा ना केवल केवल के पंजाब विश्वविद्यालय में अपना हक लेने के लिए तैयार है, बल्कि साथ में चाहता है की वहां हरियाणा के स्टूडेंट्स और टीचर्स को पूरी रिप्रेजेंटेशन मिले।

पंजाब का गवर्नर ही चंडीगढ़ का प्रशासक क्यों, हरियाणा का क्यों नहीं

जब से हरियाणा और पंजाब की राजधानी बना है,  यहां का प्रशासक (administrator of chandigarh) हमेशा पंजाब का गवर्नर ही रहा है। यह ट्रेडीशन लंबे समय से जारी है और अब इस पर भी हरियाणा की तरफ से चर्चा है कि चंडीगढ़ जब संयुक्त राजधानी है तो यह का प्रशासक केवल पंजाब का गवर्नर ही क्यों बनता है, हरियाणा का क्यों नहीं।
इस परंपरा में बदलाव की जरूरत है या तो इसमें रोटेशन प्रणाली शुरू की जाए यानी कि 1 साल या एक अवधि के लिए पंजाब का गवर्नर (punjab governor) यहां का प्रशासक हो  और उसके बाद अगले साल या अगली अवधि के लिए हरियाणा का गवर्नर (haryana governor) चंडीगढ़ का प्रशासक हो। इसके अलावा एक अन्य दूसरा विकल्प ये है कि या फिर किसी बाहरी राज्य के व्यक्ति को इस पद पर नियुक्त किया जाए और अकेले पंजाब के गवर्नर को ही यहां प्रशासक क्यों नियुक्त किया जाता है।
बता दें कि एक बारी एक बाहरी व्यक्ति केजे अल्फांस को  चंडीगढ़ का प्रशासक नियुक्त किया गया था।  लेकिन तत्कालीन शिरोमणि अकाली दल सरकार के दबाव में केंद्र सरकार ने अपना फैसला वापस ले लिया। इसमें पंजाब आपत्ति थी कि चंडीगढ़ का प्रशासक हमेशा पंजाब गवर्नर होता है और ऐसा नहीं करके पंजाब में गलत संदेश जाएगा।

यूटी प्रशासन में  डेपुटेशन पर तैनात अधिकारियों  में हरियाणा के अधिकारी लगातार कम हो रहे

चंडीगढ़ के राजधानी बनने के बाद हरियाणा और पंजाब दोनो राज्यों के लिए चंडीगढ़ प्रशासन में डेपुटेशन पर आने वाले अधिकारियों की नियुक्ति के मामले में निर्धारित ट्रेडीशन है। पंजाब से 60 फीसद और हरियाणा से 40 फीसद आईएएस और पीसीएस व एचसीएस अधिकारी डेपुटेशन पर आने निर्धारित किए  थे।
लेकिन पिछले कुछ समय में देखा जा रहा है कि चंडीगढ़ प्रशासन में हरियाणा के अधिकारियों की नियुक्ति में निरंतर कमी आ रही है जबकि पंजाब के आने वाले अधिकारियों को यहां पर ज्यादा रिप्रेजेंटेशन मिल रही है। हरियाणा के विधायकों ने कहा की यहां भी ध्यान देने की जरूरत है ताकि हरियाणा के अधिकारियों को नियुक्ति के मामले में सही प्रेजेंटेशन मिले नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने भी इस मसले को उठाया और कहा कि पहले हरियाणा के यहां 6 एचसीएस अधिकारी तैनात होते थे लेकिन अब यह संख्या भी कम होने लगी है।

विधानसभा और सचिवालय इमारत में भी आज तक पूरा हिस्सा नहीं मिला

उपरोक्त के अलावा एक और मामला भी प्रमुखता से निरंतर चर्चा में रहा है। यह मामला है विधानसभा के इमारत में दोनों राज्यों की हिस्सेदारी का। अन्य संसाधनों की तरह यहां भी साफ किया गया था विधानसभा इमारत में भी पंजाब का 60% और हरियाणा का 40% हिस्सा होगा।
पंजाब ने उम्मीदों के विपरीत हरियाणा के साथ गलत किया।  हरियाण को विधानसभा में जो हिस्सेदारी मिलनी चाहिए थी, वह नहीं मिली।  केवल 27 परसेंट हिस्सेदारी दी गई है और बाकी 73 फीसद हिस्सेदारी पंजाब की है जो कि नियमानुसार नहीं होनी चाहिए। वहीं दूसरी तरफ सचिवालय की बात करें कमोबेश वहां भी हालत ऐसी ही है।  पंजाब के पास हरियाणा से दो से ढाई फ्लोर ज्यादा है जबकि वहां रेशो 60 फीसद और 40 फीसद का ही होना चाहिए।

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