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डॉ रविंद्र मलिक, चंडीगढ़:
Ellenabad bypoll 2021: ऐलनाबाद उपचुनाव की बिसात बिछ चुकी है और सभी पार्टियों पूरी शिद्दत से चुनाव जीतने में जुट गई हैं। चुनावी रण में इनेलो, भाजपा-जजपा और कांग्रेस आमने सामने हैं और सभी पार्टियों के दिग्गज उनके कैंडिडेट को जीतवाने की जुगत में हर संभव कोशिश कर रहे हैं। इस पूरे चुनाव में ऐसे रिश्तों के कई ऐसे पहलू हैं जो चुनाव को कहीं ज्यादा रोचक बना रहे हैं। Ellenabad bypoll 2021
इस चुनावी दंगल में एक तरह से चौटाला परिवार की प्रतिष्ठा भी दांव पर है। इनेलो से अभय सिंह चौटाला मैदान में है और इसी सीट से वो पहले भी कई बार चुनाव जीत चुके हैं। कृषि कानूनों के विरोध और किसानों के समर्थन में उन्होंने विधायकी से इस्तीफा दे दिया था। भाजपा ने गोविंद कांडा जो कि विधायक व पूर्व गृहमंत्री गोपाल कांडा के भाई हैं, को चुनाव में उतारा है। Ellenabad bypoll 2021
वहीं कांग्रेस ने पवन बेनिवाल को टिकट दिया है और वो इससे पूर्व विधानसभा चुनाव 2019 में भाजपा के टिकट पर इसी सीट पर मैदान में उतार चुके हैं। आइए इस चुनाव को एक बार पारिवारिक रिश्तों के दर्पण से देखते हैं। पूरे चुनाव में बाप-बेटा, भाई-भाई और चाचा-भतीजा एक दूसरे को जितवाने और हरवाने के लिए हर संभव कोशिश कर रहे हैं और इसी का नाम राजनीति है। Ellenabad bypoll 2021
साल 2019 विधानसभा चुनाव में चौटाला परिवार में बिखराव के और इनेलो से अलग होने के बाद जजपा अस्तित्व में आई। तब से लेकर अब तक इनेलो के अभय और जजपा के पिता-पुत्र अजय (Ajay Chautala) व दुष्यंत (Dushyant Chautala) निंरतर एक दूसरे पर हमला बोलते रहे हैं। इस चुनाव में भी काफी कुछ रोचक देखने को मिल रहा है। अजय चौटाला भाजपा व जजपा के संयुक्त कैंडिडेट गोविंद कांडा को जीतवाने के लिए हर संभव कोशिश कर रहे हैं।
वो निरंतर अपने भाई अभय (Abhay Chautala) पर ये कहते हुए हमलावर हैं कि इनेलो का किला बिखर चुका है। इतने ही नहीं वो अभय पर खासा तीखा हमला बोल रहे हैं कि अभय ने कहा था कि वो कृषि कानून वापस नहीं होने तक विधानसभा में नहीं आएंगे। कृषि कानूनों को लेकर स्थिति यथावत है तो अब चुनाव क्यों लड़ रहे हैं। ऐसे में दोनों भाईयों के बीच जो फिलहाल स्थिति है, उसको लेकर सभी यही कह रहे है कि राजनीतिक जमीन बचाने की ही लड़ाई है जो कि भाईयों एक दूसरे के सामने ले आई।
गोपाल कांडा (Gopal Kanda) के भाई गोविद कांडा (Govind Kanda) भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। लेकिन यहां चौटाला परिवार के उलट गोपाल कांडा अपने भाई को जितवाने के लिए काम धंधा छोड़कर चुनाव प्रचार में जुटे हैं। वो निरंतर लोगों के बीच में जा रहे हैं और उनके लिए वोट डालने की अपील कर रहे हैं। गोपाल कांडा का हरियाणा व गोवा समेत कई जगह खासा व्यापार है। लेकिन फिलहाल वो भाई के चुनाव को तवज्जो देते हुए काम से भी दूरी बनाए हैं और इसकी चर्चा भी सब जगह है।
इस चुनाव में एक समीकरण बाप-बेटे के रिश्तों का भी है जो हर जगह चर्चा का विषय है। अजय ना केवल अपने भाई अभय बल्कि अपने पिता ओपी चौटाला पर भी खासे हमलावर हैं। अभय के चुनाव प्रचार पर कहा है कि परिवार की तीन पीढ़ी ( अप्रत्यक्ष रुप से अभय, उनके पिता ओपी चौटाला और बेटे करण-अर्जुन) के लोग घर पर वोट के लिए नाक रगड़ रहे हैं । एक तरह से वो इस चुनाव रण में अपने पिता ओपी चौटाला के खिलाफ भी खासे तीखे हैं। शब्दों के चयन में भी काफी कठोरता साफ झलक रही है।
वो यहीं नहीं रुके,आगे कहते हैं कि उनके पिता ओपी चौटाला (Om Parkash Chautala) ने पिछली बार प्रचार को दौरान वोटर्स को कहा था कि वो आखिर बार वोट मांगने आए। ओपी चौटाला अबकी बार भी बेटे अभय के लिए वोट मांग रहे हैं। ऐसे में अजय के बयान को पिता पर हमला के रूप में लिया जा रहा है कि उनके पिता ओपी चौटाला पिछली बार के बयान से हटकर फिर वोट मांगने आए हैं।
कांग्रेस के पवन बेनीवाल (Pawan Beniwal) और चाचा भरत सिंह बैनीवाल (Bharat Singh Beniwal) में उनकी आपसी अनबन से हर कोई वाकिफ रहा है। भरत सिंह पहले ही कांग्रेस में थे तो पवन ने कुछ समय पहले ही ज्वाइन किया। टिकट तो एक को ही मिल सकती थी। कांग्रेस ने सभी समीकरणों को ध्यान में रखते हुए उनके भतीजे पवन को टिकट दे दी जो कि भरत सिंह को नागवार गुजरा। वो नाराज हो गए लेकिन पार्टी उनको मनाने में सफल रही।
अब वो भतीजे के प्रचार में जुट गए हैं और वो जीतवाने के दावा कर रहे हैं। ये भी बता दें कि पिछले चुनाव में दोनों एक दूसरे के खिलाफ चुनाव भी लड़ा था और दोनों अभय के सामने हार गए थे। वहीं अभय के भतीजे व जजपा नेता दुष्यंत-दिग्विजय दोनों निरंतर चाचा पर हमलावर हैं और भाजपा-जजपा के संयुक्त कैंडिडेट को जीतवाने के लिए हर संभव कोशिश कर रहे हैं।
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