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डॉ रविंद्र मलिक, चंडीगढ़:
Haryana Cabinet Expansion: हरियाणा में भाजपा-जजपा गठबंधन (BJP-JJP Alliance) के बाद में अस्तित्व में आई सरकार को 2 साल से ज्यादा समय बीत चुका है। प्रदेश मंत्रिमंडल में 14 कैबिनेट और राज्य मंत्री के पद स्वीकृत हैं। इनमें से 2 पद अभी भी खाली हैं। आखिरकार मंत्रिमंडल विस्तार की घड़ी आ गई और 28 दिसंबर को शाम 4 बजे राजभवन में मंत्रिमंडल विस्तार होगा। ये जानकारी सामने आते ही प्रदेश में राजनीतिक हलचल यकायक तेज हो गई। इसी बीच ये भी सामने आया दोनों पार्टियों के विधायकों ने मंत्री पद पाने के लिए पूरा दमखम झोंक दिया।
दिल्ली तक मोबाइल बजने लगे। बता दें फिलहाल 12 कैबिनेट मंत्रियों में मुख्यमंत्री मनोहर लाल,(Chief Minister Manohar Lal) डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला, अनिल विज, कंवरपाल गुर्जर, कमलेश ढांडा, ओमप्रकाश यादव, मूलचंद शर्मा, बनवारी लाल, रणजीत सिंह, संदीप सिंह और अनूप धानक शामिल हैं। वहीं ये चर्चा भी निरंतर उठ रही है कि मंत्रिमंडल विस्तार के साथ मंत्रिमंडल में बदलाव (रिशफलिंग) भी हो सकता है। आइए एक बार कैबिनेट संबंधी पूरे परिदृश्य पर एक जानकारी डालते हैं।
इसमें कोई दो राय नहीं कि नए मंत्री पद पर मुख्यमंत्री की सहमति होनी लाजिमी है। पार्टी हाईकमान से भी मनोहर लाल की खूब पटती है और उनको वहां से लगातार शाबाशी मिल रही है। पीएम नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृहराज्य मंत्री अमित शाह भी उनकी कार्यशैली और नीतियों की कई दफा तारीख कर चुके हैं। फिलहाल तक मुख्यमंत्री ने बेहद सधे हुए राजनीतिक धुरंधर की तरह सरकार चलाई है। पार्टी के किसी विधायक के असंतुष्ट होने की जानकारी शायद ही अब तक सामने आई है। ऐसे में साफ है चाहे मंत्रिमंडल विस्तार हो या फिर बदलाव, उनकी इच्छा के बिना कुर्सी पाना संभव नहीं होगा।
राजनीतिक जानकारों और सूत्रों से मिली जानकारी के हवाले से सामने आया कि भाजपा और जजपा से 2 विधायकों का कैबिनेट या राज्य मंत्री बनना तय माना जा रहा है। भाजपा की तरफ से कमल गुप्ता का नाम निरंतर धरातल पर आ रहा है तो वहीं जजपा की तरफ देवेंद्र बबली का नाम सामने आ रहा है। बता दें कि बबली पिछली बार मंत्री पद नहीं मिलने के बाद पार्टी हाईकमान और डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला से काफी नाराज रहे थे।
कई बार सार्वजनिक मंच पर उन्होंने जमकर दुष्यंत की मुखालफत की थी। ऐसे में अब जजपा उनको इस बार मंत्री पद देने के खासे मूड में नजर आ रही है। हालांकि आखिरी फैसला तो सीएम मनोहर लाल और पार्टी हाईकमान को ही करना है।
राजनीतिक जानकारों की मानें ये भी सामने आ रहा है कि जजपा अनूप धानक को हटाकर ईश्वर सिंह या किसी अन्य विधायक को भी मौका दे सकती है। ईश्वर सिंह काफी सीनियर विधायक हैं और पिछली बार उनको कैबिनेट में जगह नहीं मिली थी। वो भी गाहे बगाहे पार्टी के खिलाफ बोलते रहे हैं। अनूप धानक और ईश्वर दोनों ही एससी वर्ग से हैं।
ऐसे में पार्टी धानक को रिप्लेस कर ईश्वर को केबिनेट में ला सकती है। इसमें जातीय समीकरण भी बने रहेंगे और पार्टी में सामंजस्य बना रहेगा। अनूप धानक दुष्यंत चौटाला व उनके पिता अजय चौटाला के काफी करीब माने जाते हैं तो ऐसे में उनको मंत्री पद हटाकर कोई अन्य पद देकर मनाना कोई कठिन काम नहीं होगा।
भाजपा में दावेदारों की लंबी फेहरिस्त है और जानकारी सामने आते ही पिछली बार मंत्री पद से महरुम रह गए कई पार्टी विधायकों ने लॉबिंग तेज कर दी। पार्टी में यूं तो कई सीनियर व पुराने धुरंधर हैं लेकिन कई नए विधायकों के नाम भी दावेदारों की लिस्ट में हैं। वहीं महिलाओं में निर्मल चौधरी, और सीमा त्रिखा का नाम भी सामने आ रहा है। वहीं भाजपा से अभय यादव भी निरंतर प्रयासरत बताए जा रहे हैं।
मुख्यमंत्री मनोहर लाल के बाद होम मिनिस्टर अनिल विज सबसे हैवीवेट व कद्दावर मंत्री हैं। उनके पास होम व अर्बन लोकल बॉडीज के अलावा पास पांच और विभाग हैं। ये भी संभावना है कि विज से कोई महकमा लेकर किसी अन्य को दिया जाए लेकिन ये संभावना कम ही है। उनके अलावा भाजपा की तरफ से फिलहाल मंत्री मूलचंद शर्मा के पास परिवहन और माइनिंग जैसे हैवीवेट महकमे हैं। यहां भी निरंतर चर्चा है कि अगर रिशफलिंग हुई तो मूलचंद का प्रमोशन होगा या डिमोशन।
इस बात से भी हर कोई इत्तेफाक रखता है कैबिनेट विस्तार के अलावा अगर मंत्रिमंडल में बदलाव भी होता है तो जातीय समीकरणों को हमेशा की तरह अहम भूमिका रहने वाली है। भाजपा हो या जजपा कोई भी जातीय समीकरणों को नजरअंदाज नहीं करना चाहेगी। विस्तार की स्थिति में भी इस पहलू को ध्यान में रखा जाएगा। अगर बदलाव किया जाएगा तो पूरी उम्मीद है कि जिस वर्ग के कैबिनेट मिनिस्टर को बदला गया है तो उस वर्ग से किसी विधायक को ये जिम्मेदारी दी जानी तय मानी जा रही है।
डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला के पास भारी भरकम 11 महकमे हैं। ये भी संभावना जताई जा रही है कि बदलाव की संभावना में हो सकता है कि वो अपना एकाध महकमा किसी अन्य को दे दें। इस बात से भी हर कोई इत्तेफाक रखता है कि वो भी सरकार में खासे पावरफुल हैं। वहीं मंत्रिमंडल विस्तार की स्थिति में उनके लिए पार्टी में सामंजस्य बनाए रखना खासी चुनौती भरा काम होगा।
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