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इंडिया न्यूज़, Haryana News: हरियाणा के यमुनगर जिले में एक किसान के बेटे ने 13 फुट के गन्ना की फसल को तैयार किया है। जो की चर्चा का विषय बने हुए है। ये अब से पहले दो बार बंध चुका है और तीसरी बंधाई चल रही है। गन्ने के साथ साथ लहसून की भी फसल को तैयार किया है। वागीश कुमार को फसल उगाने का बहुत शोक है ।जो अपना सारा दिन खेतो में निकाल देते है। कृषि विशेषज्ञों ने भी इस काम के लिए कुमार जी को बधाई दी है। बता दें कि गत माह जल संरक्षण के क्षेत्र में सराहनीय कार्य करने पर चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय की ओर से उनको सम्मानित भी किया जा चुका है।
जानकारी देते हुए किसान वागीश कुमार ने बताया कि उन्होंने अपने खेत में 12 सितंबर को गन्ने की फसल को लगाया था। गन्ने को चार चार फिट की दूरी पर रखा जिससे गन्ने का अंकूर फूट सके। और उसे उपर आने में कोई परिशानी न हो। गन्ने के साथ लहसुन की फसल को भी एक साथ लगाया था, जिससे लहसुन के साथ साथ गन्ने कली फसाल भी अच्छी रही।
लहसुन की फसल तैयार होने के बाद अबकी बार करीब 30 क्विंटल लहसुन की पैदावार हुई। उसके बाद निराई-गुढ़ाई की गई। जिसके बाद गन्ने के खेत को कढ़ाई की गई जिससे गन्ने की फसाल को लाभ मिलता है। जिसके करने से गन्ने में लंबाई के साथ मोटा और अच्छी नसल के गन्ने होते है। लेकिन यदि सितंबर-अक्टूबर माह में की जाए तो पैदावार भी अतिरिक्त अव्वल रहती है और साथ में दूरी फसल बोनस के तौर पर मिल जाती है। गन्ने की फसल को अतिरिक्त खुराक देने की जरूरत नहीं पड़ती। इस दौरान गन्ने के साथ प्याज, गोभी व दालों की खेती भी बेहतरी से की जा सकती है।
अपनी फसल का कीडेÞ से बचाने के लिए खेत में फसल के साथ लहसुन या प्याज की फसल उगाई जाए तो इससे हम कीड़े से फसल को बचा सकते है। कहां जाता है की लहसुन और प्याज में अधिक गंध होती है जिसके कारण कीड़े और काले रंग की चीटियां इसके पासउ नही आती है। जिससे फसल को कीड़ो से बचाया जा सकता है। बहुत से किसानो ने अपने गन्ने के खेत में फसल के बचाव के लिए दवाइयों का छिड़काव भी किया गया। लेकिन गन्ने के जिस खेत में लहसुन व प्याज की फसल थी, वह सुरक्षित रही।
किसान वागीश ने बताया की अबकी बार जिस तरह से फसल लहरा रही है। अबकी बार गन्ने की फसल प्रिति एकड़ 600 क्विंटल पैदावार की उम्मीद जताई जा रही है। जबकि सामान्य विधि से तैयार गन्ने की पैदावार 400-450 क्विंटल रहती है। किसान वागीश कुमार का कहना है कि यदि विशेषज्ञों के परामशार्नुसार व आधुनिक कृषि पद्धतियों को अपनाया जाए तो बेहतर पैदावार ली जा सकती है। जिसको अपनाकर हम फसल पर कम खर्च कर अच्छी किमात प्राप्त कर सकते है।
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