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भारतीय चुनाव आयोग द्वारा आगामी कुछ महीने में राज्यसभा की खाली होने वाली सीटों को लेकर नोटिफिकेशन जारी किया जाना है। हरियाणा के दो राज्यसभा सांसदों का कार्यकाल अगस्त में खत्म होना है।
डा. रविंद्र मलिक, चंडीगढ़। भारतीय चुनाव आयोग द्वारा आगामी कुछ महीने में राज्यसभा की खाली होने वाली सीटों को लेकर नोटिफिकेशन जारी किया जाना है और हरियाणा में जल्द ही राज्यसभा की दो सीटें खाली होंगी।
इसी माह अगले कुछ दिनों में भारतीय चुनाव आयोग द्वारा हरियाणा से आगामी कुछ महीनों में रिक्त होने वाली दो राज्य सभा सीटों सहित देश के एक दर्जन से ऊपर राज्यों से रिक्त होने वाली 57 सीटो के लिए द्विवार्षिक चुनावो हेतु नोटिफिकेशन जारी की जाएगी। गौरतलब है कि हरियाणा के दो राज्यसभा सांसदों का कार्यकाल अगस्त में खत्म हो रहा है।
बता दें कि हरियाणा से दो राज्य सभा सांसदों भाजपा के दुष्यंत गौतम और निर्दलीय सुभाष चंद्रा, का कार्यकाल आगामी 1 अगस्त 2022 को पूरा हो जाएगा। छह वर्ष पूर्व जून, 2016 में भाजपा से चौधरी बीरेंद्र सिंह एवं निर्दलयी चंद्रा हरियाणा से 6 वर्षो के लिए राज्य सभा सांसद निर्वाचित हुए थे।
हालांकि बाद में बीरेंद्र ने उनके बेटे व पूर्व आईएएस बृजेंद्र सिंह को भाजपा में टिकट मिलने के बाद सीट से साल 2019 में इस्तीफा दे दिया था। इस सीट पर बाद में उपचुनाव करवाया गया । जिसमें भाजपा के दुष्यंत गौतम निर्वाचित हुए।
जो सीट हरियाणा में खाली होंगी, उनमें से भाजपा और कांग्रेस को एक-एक सीट मिल सकती है। मिली जानकारी अनुसार अगर दोनों पार्टियां अपना एक एक ही उम्मीदवार उतारती है, तो निर्वाचन करवाने की आवश्यकता ही नहीं होगी। दोनों पार्टियों के प्रत्याशियों को निर्विरोध निर्वाचित किया जा सकता है।
वहीं अगर पिछली बार की बात करें तो दो वर्ष पूर्व मार्च, 2020 में भी हरियाणा से 2 राज्य सभा सीटों के चुनाव में कांग्रेस से दीपेंद्र हुड्डा और भाजपा से राम चंद्र जांगड़ा को उम्मीदवार बनाया गया था और दोनों निर्विरोध निर्वाचित हो गए थे।
इन दोनों का कार्यकाल अप्रैल,2026 तक है। प्रदेश की राज्य सभा में कुल 5 सीटें है। वर्ष 2018 में भाजपा के डा. डीपी वत्स एक सीट हेतु निर्वाचित हुए थे, जिनका कार्यकाल अप्रैल, 2024 तक है।
अब यहां सवाल ये उठ रहा है कि कांग्रेस की तरफ से किसको उम्मीदवार बनाया जा सकता है। चूंकि हरियाणा में कांग्रेस में पहले ही जमकर घमासान जारी है। पूर्व मुख्यमंत्री और पार्टी के दिग्गज भूपेंद्र सिंह हुड्डा और कुमारी सैलेजा के बीच लड़ाई जारी है।
पिछली बार भी सैलेजा ने सीट के लिए जोर आजमाइश की थी लेकिन हुड्डा अपने बेटे दीपेंद्र हुड्डा को राज्यसभा भिजवाने में कामयाब रहे। इसके बाद हुड्डा और सैलेजा के बीच छत्तीस का आंकड़ा हो गया था।
अब देखना ये है कि क्या हुड्डा क्या एक बार फिर अपने किसी समर्थक पार्टी लीडर के लिए लाबिंग करेंगे। ये भी माना जा रहा है कि उनके वफादार व नवनिर्वाचित अध्यक्ष उदयभान को राज्यसभा भेजने के लिए जोर आजमाइश करेंगे।
कांग्रेस के पास 31 विधायक हैं जिनमें से ज्यादातर हुड्डा के साथ हैं तो ऐसे में अब ये देखना होगा कि क्या हुड्डा अपने करीबी उदयभान को हरियाणा कांग्रेस का कांग्रेस बनवाने में सफल होंगे।
इसी कड़ी में बता दें कि दीपेंद्र से पूर्व अप्रैल, 2014 से अप्रैल, 2020 तक पूर्व कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष कुमार सेलजा हरियाणा से राज्य सभा सांसद रही थीं।
चूंकि वर्ष 2020 में कांग्रेस ने हरियाणा में राज्य सभा की एक सीट के लिए दीपेंद्र के रूप में जाट नेता को राज्य सभा सांसद निर्वाचित करवाया, इसलिए अबकी बार किसी गैर-जाट या ऐसी प्रबल सम्भावना है कि किसी अनुसूचित जाति के वरिष्ठ नेता को ही टिकट दिया जाएगा।
जिस पर सबसे मजबूत दावा सेलजा का ही बनता है। अब उनकी काट के लिए हुड्डा उदयभान का नाम आगे कर सकते हैं। कांग्रेस में राज्य सभा के उम्मीदवार हेतु फाइनल फैसला पार्टी हाई कमान को ही लेना होता है और वहां सेलजा का पलड़ा काफी भारी है।
कांग्रेस के नए अध्यक्ष उदयभान चार बार विधायक रह चुके हैं। नव-नियुक्त प्रदेशाध्यक्ष उदय भान ने 4 मई को पदभार संभाल चुके हैं।
अब तक फरीदाबाद जिले की तत्कालीन हसनपुर (आरक्षित) विधानसभा सीट से तीन बार विधायक रहे हैं। एक बार 1987 में देवी लाल की लोक दल पार्टी से, फिर वर्ष 2000 में निर्दलीय के तौर पर और वर्ष 2005 में कांग्रेस पार्टी से और वर्ष 2014 में होडल (आरक्षित) विधानसभा सीट से, जो पलवल जिले में पड़ती है, से विधायक रहे हैं। इस तरह से वो हरियाणा विधानसभा के कुल चार बार विधायक रह चुके है।
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