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-लिव-इन में रहने वाले मामलों में आ रही रेप की शिकायतें, ज्यादातर शिकायतें फर्जी पाई जा रही
इंडिया न्यूज, चंडीगढ़
(Live-in relationship) समाज में रिश्तों का ताना-बाना निरंतर बन बिगड़ रहा है। हालात बेहद चिंतनीय होते जा रहे हैं। अब इन दिनों युवाओं का लिव-इन रिलेशनशिप में रहना एक नया ट्रेंड बनता जा रहा है। इस तरह के रिश्तों में कोई ज्यादा ठहराव नहीं है। हालांकि कोई किसी की प्राइवेट लाइफ के बारे कोई कुछ नहीं कह सकता, लेकिन जिस तेजी से ये ट्रेंड चलन में आ रहा है, उससे ज्यादा तेज स्पीड से इस ट्रेंड को अपनाने वाले युवा या महिला-पुरुष एक-दूसरे से अलग भी हो रहे हैं। इसका खुलासा हरियाणा प्रदेश महिला आयोग कमीशन के पास निरंतर आ रहे केसों से हुआ। आयोग के पास पिछले 6 महीने में करीब 1150 मामले सामने आए हैं। इनमें लिव इन में रहने वाले कपल में विवाद सामने आया है और दोनों के बीच के रिश्ते रसातल में चले गए हैं। तकनीकी तौर पर कहें तो उपरोक्त रिश्ते को कोई कानूनी या सामाजिक मान्यता नहीं होती है।
आयोग द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार लीव इन में रहने वाले कई कपल्स के ऐसे केस आए हैं जिनमें वो काफी समय तक एक-दूसरे के साथ रहे। लेकिन फिर महिला पार्टनर द्वारा पुरुष साथी पर रेप के आरोप लगाए गए और फिर पुलिस को मामले में एफआईआर भी दर्ज करनी पड़ी। हालांकि इस तरह के ज्यादातर केसिज में एफआईआर बाद में रद भी की गई है। मामले में सुप्रीम कोर्ट ने भी कुछ समय पहले बेहद अहम टिप्पणी की थी। हालांकि बता दें कुछ मामलों में रेप की शिकायत सही भी पाई गई हैं।
नई बात सामने आई है कि नई शादियां जल्दी टूट रही हैं। ऐसे में जरूरत है कि शादी से पहले लड़के-लड़के को उनके अधिकारियों व ड्यूटी के बारे में जागरूक किया जाए। नई शादी में दोनों कैंडिडेट्स में धैर्य की कमी होती है। पत्नी-पत्नी अपने अधिकार तो मांगते हैं, लेकिन अपनी ड्यूटी नहीं समझते। ऐसे में जरूरी है कि कोई काउंसलिंग सेंटर स्थापित हो जो कपल को जिम्मेदारियों के बारे में भी समझा सके। महिला आयोग के अनुसार जल्दी ही सरकार को लिखित में रिकमेंडेशन भेजी जाएगी कि प्री-मैरिज काउंसलिंग सेंटर की स्थापना हो।
किसी भी देश या प्रदेश में लॉ एंड आर्डर मेंटेन करने के अलावा महिलाओं की सुरक्षा की भी जिम्मेदारी पुलिस विभाग की होती है, लेकिन निरंतर ये भी सामने आ रहा है कि पुलिस विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ भी शिकायतें आ रही हैं। महिला पुलिस भी इस मामले में अब पीछे नहीं है। उपरोक्त 1150 में 53 शिकायत इस विभाग के मुलाजिमों के खिलाफ हैं। महिला आयोग की चेयरपर्सन प्रीति भारद्वाज दलाल बताया कि कुछ समय पहले कई महिला अधिकारियों की शिकायत उन्होंने खुद होम मिनिस्टर को भी दी है। विभाग के मुलाजिमों के खिलाफ आई शिकायतों में उत्पीड़ना, रिश्वत समेत कई तरह की शिकायत आयोग के पास पहुंची है। हालांकि कुछ शिकायतों में वो सीधे नहीं जुड़े हैं।
जानकारी में सामने आया है कि महिलाओं के साथ घरेलू हिंसा बड़े पैमाने पर हो रही है जिसको रोका जाना बेहद जरूरी है। इतना ही नहीं, महिलाओं से दहेज मांगने और न दिए जाने पर प्रताड़ना की शिकायत भी निरंतर रिपोर्ट हो रही हैं। इसके अलावा रेप के बढ़ते मामले भी चिंताजनक हैं। चाइल्ड कस्टडी के मामले भी निरंतर रिपोर्ट हो रहे हैं, इस तरह के मामलों में अंतत: बच्चे को ही तकलीफ से गुजरना पड़ता है।
कई बार ऐसे झकझोर देने वाले केस भी आयोग के सामने आए हैं जो समाज के लिए किसी भी लिहाज से सही नहीं हैं। कुछ दिन पहले एक केस रिपोर्ट हुआ, जिसमें पता चला कि एक महिला अपने दूध पीते बच्चे को पति के पास छोड़कर चली गई और अब पति हर रोज महिला आयोग के चक्कर काट रहा है जोकि बेहद शर्मनाक व चिंताजनक है। एक अन्य मामले में एक पति ने अपनी पत्नी के साथ निरंतर मारपीट की। फिर उसी के खिलाफ शिकायत भी दी है और अब वो महिला को छोड़कर विदेश में भाग गया। ये तो कुछ केस हैं, ऐसे न जाने कितने केस हैं जो हम सबको सोचने पर मजबूर करते हैं कि इंसान किस हद तक गर्त में जा सकता है।
बता दें कि महिला आयोग में लगातार बीते दिनों तीन दिन तक परिवारों के बीच कई तरह के विवाद के मामलों की सुनवाई हुई। इस दौरान कुल 70 मामले आयोग ने सुने। इनमें से करीब 35 से 40 फीसदी तक मामलों का निपटान कर दिया गया है और बाकी में जरूरी कार्रवाई की गई है। वहीं ये भी बता दें कि आयोग में पिछले 6 माह में रिपोर्ट हुए 1150 मामलों में करीब 70 फीसदी मामलों को निपटा दिया गया है।
उधर, महिला आयोग की चेयरपर्सन प्रीति भारद्वाज दलाल ने बताया कि आयोग के पास लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाले कपल के रिश्ते जल्दी दरकने के मामले निरंतर रिपोर्ट हो रहे हैं। कई बार तो इस तरह के मामले में बाद में लड़की द्वारा रेप की एफआईआर भी दर्ज करवाई जाती हैं जो कि अधिकतर फर्जी पाई जाती हैं। इसके अलावा पुलिस विभाग के मुलाजिमों के खिलाफ भी निरंतर शिकायतें आ रही हैं। विभाग की कोशिश है कि सभी शिकायतों का सही व त्वरित निपटान हो।
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