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तरुणी गांधी, चंडीगढ़:
हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने तीन महीने पहले “प्राण वायु देवता पेंशन योजना” की घोषणा करते हुए सुर्खियां बटोरीं थी। अब यह योजना सुस्त चाल के साथ आगे बढ़ रही है। अपेक्षित कार्य ढांचा प्राप्त करने के लिए नौकरशाहों के ध्यान और उत्साह की प्रतीक्षा में एक बहुप्रशंसित योजना है।
मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने विश्व पर्यावरण दिवस पर कहा था कि राज्य सरकार ने उन सभी पेड़ों को सम्मानित करने की पहल की है जो 75 वर्ष और उससे अधिक उम्र के हैं और जिन्होंने जीवन भर आॅक्सीजन का उत्पादन, प्रदूषण कम करके, छाया प्रदान करके मानवता की सेवा की है। 75 वर्ष से अधिक पुराने वृक्षों के रख-रखाव के लिए पीवीडीपीएस के नाम पर प्रति वर्ष 2,500 रुपए की पेंशन राशि दी जाएगी। यानि कि अगर किसी भी व्यक्ति के घर में 75 साल या उससे ऊपर की उम्र का पेड़ है और वे इसपर पेंशन लेने के इच्छुक हैं तो वे अपने जिले के वन विभाग के कार्यालय में जाकर आवेदन कर सकते हैं। यह ‘वृक्ष पेंशन’ राज्य में वृद्धावस्था सम्मान पेंशन योजना की तर्ज पर हर साल बढ़ती रहेगी। पेंशन शहरी स्थानीय निकाय विभाग द्वारा पेड़ों के रखरखाव, प्लेट, ग्रिल आदि लगाने के लिए दिया जाएगा।
राज्य सरकार के अधिकारियों के अनुसार, अब तक कम से कम 2,500 ऐसे पेड़ों की पहचान की जा चुकी हैं। इन पुराने पेड़ों की पहचान के लिए वन विभाग ने सर्वे कराया था। ग्राम पंचायतों को अब उनके रखरखाव के लिए प्रति पेड़ 2500 रुपये ‘पेंशन’ के रूप में भुगतान किया जाएगा। लेकिन इस योजना को लागू हुए तीन महीने हो चुके हैं लेकिन अभी तक राज्य में किसी को भी पेंशन नहीं दी गई है। हरियाणा के प्रधान मुख्य वन संरक्षक वीएस तंवर ने पेंशन वितरण में देरी पर डेली गार्जियन से बात करते हुए कहा कि हम इस संबंध में नियम बना रहे हैं। 1-2 महीने लगेंगे फिर हम पेंशन शुरू कर देंगे।
पेंशन योजना के साथ-साथ एक और पहल हुई जिसने सुर्खियां बटोरीं यानी आॅक्सीजन फॉरेस्ट। जिसका मतलब है कि विभाग हरियाणा के शहरों में 5 एकड़ से लेकर 100 एकड़ तक की जमीन पर आक्सी फॉरेस्ट लगाएगा और 3 करोड़ पेड़ लगाए जाएंगे। आॅक्सी वन पूरे हरियाणा में 8 लाख हेक्टेयर भूमि में से 10 प्रतिशत पर काबिज रहेंगे। आॅक्सी वन, पंचकूला, बीर घग्गर में 100 एकड़ क्षेत्र में स्थापित किया जाएगा ताकि प्रकृति को तंदुरुस्त किया जा सके। परियोजना की कुल लागत 1 करोड़ रुपये होगी। आक्सी वन, करनाल, पुरानी बादशाही नहर (जिसे मुगल नहर के रूप में भी जाना जाता है) के साथ 80 एकड़ के क्षेत्र में, 4.2 किमी की कुल लंबाई को कवर करते हुए तैयार किया जाएगा।
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