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नई दिल्ली। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार किसानों और जवानों को भिड़ाने की साजिश कर रही। जब दोहा में तालिबान से बात हो सकती है तो आंदोलनकारी किसानों से क्यों नहीं? कांग्रेस के मीडिया विभाग के प्रमुख रणदीप सुरजेवाला ने करनाल में आज किसानों के ऊपर की गई कार्रवाई पर सरकार पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि मोदी और खट्टर सरकार 10 महीने से आंदोलनरत, शांतिप्रिय, गांधीवादी धरती किसानों को जानबूझ कर भड़काने, भिड़वाने और लड़वाने की साजिश कर रही है। ये साजिश केवल किसानों तक सीमित नहीं, ये जवान और किसान को भी लड़वाने और भिड़वाने की साजिश है, क्योंकि वो जवान तो किसान का बेटा है। ये जवान बनाम किसान की लड़ाई करवाने की साजिश है।
करनाल में इस समय जब हम इस पत्रकार वार्ता को संबोधित कर रहे हैं, तो हजारों-हजारों की संख्या में धरती पुत्र किसान, न्याय मांगते शांतिप्रिय किसान और हजारों जवान आमने-सामने हैं। वाटर कैनन चल रही हैं, पानी की बौछारें किसानों पर की जा रही हैं। मोदी जी, खट्टर साहब जब आप दोहा जाकर तालिबान से बात कर सकते हैं, तो देश के धरतीपुत्र अन्नदाता किसान से क्यों नहीं, जो इस देश का पेट पालता है और प्रधानमंत्री के घर से 10 महीने से 20 किलोमीटर दूर बैठा है, दिल्ली की सीमा पर, जिसे आप दिल्ली आने की इजाजत नहीं देते? क्या देश के प्रधानमंत्री के पास कोई जवाब है? ये कैसा सत्ता का अहंकार है कि देश के प्रधानमंत्री, देश के धरतीपुत्र, पेट पालने वाले किसान से बात नहीं करना चाहते? मोदी जी सत्ता का अहंकार प्रजातंत्र से बड़ा नहीं है। सत्ता की ताकत असल में लोगों की ताकत है। दुनिया के इतिहास का सबसे लंबा, सबसे संगठित, सबसे अनुशासित और सबसे गांधीवादी आंदोलन हिंदुस्तान के किसानों का आंदोलन है, जो 10 महीने से दिल्ली की चौखट पर न्याय मांगने के लिए बैठे हैं।
किसान की मांग साधारण है, किसान अपनी अगली फसल और अपनी नसल बचाना चाहता है। मोदी जी की जिद्द भी असाधारण है। वो क्या है वो पूरे देश की खेती को अपने फाइनेंसर पूंजीपतियों की ड्योढी पर बेचना चाहते हैं। भारतीय जनता पार्टी इस देश की खेती को अपने फाइनेंसर पूंजीपतियों की तिजोरी भरने के लिए इस्तेमाल करना चाहती है। ये लड़ाई असल में किसान की है ही नहीं। ये लड़ाई तो किसान देश की लड़ रहा है ताकि एक बार फिर ईस्ट इंडिया कंपनी की तरह देश के अन्नदाता को गुलाम बनाकर मोदी सरकार, भारतीय जनता पार्टी के लोग इस देश को गुलाम ना बना दें। उनके संघर्ष और संयम को हम नतमस्तक हैं।
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