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इशिका ठाकुर, करनाल
Womens Day 2022 Special Story : गर्भ में ही बेटियों की हत्या करने वाले और बेटियों को बेटों से कम आंकने वाले लोगों के लिए हरियाणा के करनाल की बेटी संजौली एक ऐसा उदाहरण है कि बेटियां किसी से भी कम नहीं है। सबसे कम उम्र में सामाजिक कार्यो में लगी संजौली को सीएम के सम्मान के साथ-साथ, अपने कार्यों की बदौलत ही विदेशों में भी सम्मानित किया जा चुका है। इसी के साथ संजौली बेटियों को शिक्षित करने और समाज में बुराइयों से लड़ने के लिए एक संस्था भी चला रही है।
करनाल के रहने वाली संजौली व अनन्या ये दोनों बेटियां बेहद कम उम्र में सामाजिक कार्यो में जुट गई थी। संजौली के पिता ने बताया कि उनकी बेटी संजौली के पैदा होने के 5 साल बाद उनकी दूसरी बेटी अनन्या पैदा हुई। उस दौरान समाज व आसपास के लोगों ने उनको दो बेटियां होने पर बहुत ताने मारे, संजौली और अनन्या के पिता ने दूसरी बेटी में कोई फर्क नहीं रखा।
संजौली के माता-पिता ने सोचा कि जैसी स्थिति हमारे सामने पैदा हुई, ऐसी स्थिति किसी भी माता-पिता के सामने पैदा ना हो। इसलिए उन्होंने भ्रूण हत्या पर काम करना शुरू किया और अपनी बेटी संजौली को 5 साल से ही सामाजिक कार्यक्रमों में लगा दिया। जिससे वह लोगों को भ्रूण हत्या के प्रति जागरूक करने लगी और 7 साल की उम्र में ही उसको भारत की सबसे छोटी उम्र की बेटी जो सामाजिक कार्यों में काम करने लगी। वह दौर ऐसा था, जब हरियाणा कन्या भ्रूण हत्या को लेकर बदनाम था। (Womens Day 2022 Special Story) 2006 में कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ जागरूकता मुहिम चलाने पर हरियाणा सरकार ने उसे सम्मानित भी किया।
2015 में संजोली ने प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी को 14 प्वाईंटस का पत्र लिखा जिसमें उसने महिला थाना, नैशनल कमिशन फॉर गर्ल चाईल्ड आदि का सुझाव दिया। 2016 में बारहवीं कक्षा में हरियाणा में टॉपर बनी संजोली विश्व की 8वें रैंकिंग आस्ट्रेलियन नेशनल यूनीवर्सिटी कैनबेरा में पढ़ी। (Womens Day 2022 Special Story) वहाँ उन्हें स्कालरशिप मिली और स्नातक इंटरनेशनल सिक्योरिटी स्टडीज फर्स्ट क्लास से पास की। उसी दौरान वह लायन्स क्लब द्वारा बेस्ट स्पीकर अवार्ड से नवाजी गई व सचिव भी चुनी गई, जिससे उन्हें अनेकों जिम्मेदारिया दी गई।
संजौली ने बताया कि उसने 5 साल की उम्र से ही समाजिक कार्यों की तरफ कदम बढ़ा लिया था। उन्होंने कई कार्यक्रमों के माध्यम से समाज में संदेश देने का काम किया। (Womens Day 2022 Special Story) उन्होंने भ्रूण हत्या पर तो काम किया ही, साथ ही अन्य कई समाजिक कुरीतियों को दूर करने के लिए अन्य कई काम शुरू किए और उन्होंने खुद की अपनी एक सारथी संस्था बनाई जिसको वह पूरे भारत में चला रही हैं। बता दें कि संजौली व अनन्या ने करनाल का गांव दरड़ गोद लिया हुआ है. जहां वो बच्चों को फ्री में मोबाइल शिक्षा प्रदान कर रही हैं और साथ ही लोगों को जागरूक करने के लिए उन बच्चों को तैयार कर रहे हैं।
संजौली ने अपनी पढ़ाई ऑस्ट्रेलिया से की है, लेकिन उन्होंने वहां की चकाचौंध भरी जिंदगी को छोड़कर भारत में आना ही ज्यादा बेहतर समझा और यहां सामाजिक कार्यों में अपना पूरा योगदान दिया। उनके सामाजिक कार्यों को देखते हुए उन्हें इंग्लैंड में डायना अवार्ड से भी सम्मानित किया गया था और ऑस्ट्रेलिया की सरकार ने भी संजौली को 1 दिन के लिए पार्लियामेंट का सदस्य बनाया था। इसके साथ ही संजौली को विदेशों में कई अवार्ड से सम्मानित किया जा चुका है।
संजौली की छोटी बहन अनन्या ने कहा कि वह लोगों को जागरूक करने के लिए नुक्कड़ नाटक और कई तरह की की रैली निकालते हैं। जिससे लोगों को जागरूक किया जाता है और कहीं ना कहीं उनको गर्व महसूस होता है कि वह समाज हित में काम कर रहे हैं।
संजौली और अनन्या दोनों बहनें अपने एनजीओ के जरिए बेटियों को गुड टच बैड टच से लेकर आत्मरक्षा करने तक की शिक्षा दे रही हैं। (Womens Day 2022 Special Story) इसके साथ ही बेटियों के साथ या उनके आसपास हो रहे अत्याचारों के खिलाफ बोलने वाले और उनको सामने लाने के लिए बच्चों को तैयार कर रही हैं। कहीं ना कहीं वह चाहती है कि हमारे देश की बेटी आगे बढ़े और जिस किसी पर कोई अत्याचार हो रहा है वह अत्याचार सहने के बजाए उनके खिलाफ लड़ना सीखे।
वहीं सरकार के बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान से परिप्रेक्ष्य में संजौली ने कहा कि बेटियों को शिक्षा देने के लिए कोई भी उचित स्थान नहीं मिल रहा है। कभी वह गुरुद्वारे में बच्चों को पढ़ाती हैं, तो कभी किसी चौपाल में, तो कभी मंदिर में. ऐसे में उन्होंने सरकार से बच्चों को पढ़ाने के लिए कोई स्थान मुहैया कराने की अपील की है। जिससे वह अपने इस अभियान को आगे बढ़ा सके। गौरतलब है कि यह दोनों बेटियां पूरे भारत और विदेशों में करनाल का परचम लहरा रही हैं और लगातार सामाजिक करके लोगों को जागरूक भी कर रही हैं।
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