Benefits Of Kapalbhati योगाभ्यास से तन और मन दोनों संतुष्ट होता है। भारतीय ऋषि-मुनियों ने योग को सही से जीने का विज्ञान बताया है। योग का अर्थ एकता में भी बांधना है। योग शरीर के सभी अंगों को लाभ पहुंचाता है। योग मानसिक और भावनात्मक स्तर पर भी काम करता है।
योग इतना शक्तिशाली और प्रभावी है कि यह बुरी आदतों के प्रभाव को भी उलट देता है। मानसिक, भौतिक, आध्यात्मिक, आत्मिक और शारीरिक सेहत के लिए योग विश्व को दिया हुआ अनमोल उपहार है। नियमित योग करने से सेहत अच्छी रहती है। योग करने से पहले कुछ सूक्ष्म अभ्यास जरूरी है।
प्राणयाम से कई रोगों को दूर भगाया जा सकता है। कोई भी व्यायाम हो, पहले सूक्ष्मयाम योग जरूर कीजिए। इन अभ्यासों से मांसपेशियां और ज्वाइंट फ्लेक्सिबल बनते हैं।
योगाभ्यास करने से पहले सूक्ष्मयाम करना चाहिए। इसके लिए सबसे पहले आसन लगाकर मैट पर बैठे जाए। इसके बाद कमर और गर्दन को सीधी रखें। इसके बाद श्वास लेने और छोड़ने को सही तरीके से करें।
शरीर को रिद्म में लाएं। जितनें में आप कंफर्टेबल फिल कर रहे हैं, उतना ही शरीर पर जोर दें। इससे धीरे-धीरे स्ट्रेंथ बढ़ेंगी और फिर ज्यादा एफर्ट भी नहीं लगाना पड़ेगा। एफर्टलेस व्यायाम ही सही होता है।
इसके बाद आंखें बंद कीजिए। पूरा ध्यान सब कुछ से हटाकर सिर्फ अपने पर लाएं। श्वास भरेंगे और श्वास छोड़ेंगे। धीरे-धीरे अपने ध्यान को श्वास तक लेकर आए। एक बार आप पुनः ऊँ का मंत्रोच्चार कर सकते हैं। हाथ को ध्यान की मुद्रा में लाएं और ऊँ ध्वनि का उच्चारण करते हुए कोई और मंत्र भी पढ़ सकते हैं।
कपालभाति के कई फायदे हैं। यह मस्तिष्क पर शाइन लेकर आती है। कपालभाति अभ्यास को खाली पेट करना है। अगर पेट से जुड़ी कोई समस्या है, तो यह अभ्यास नहीं करना है। हार्ट पेशेंट वाले लोग डॉक्टर की राय से ही कपालभाति करें। एसिडिटी की प्रोब्लम वाले भी न करें। कपालभाति डाइजेस्टिव सिस्टम ठीक करती है।
इससे ब्लड सर्कुलेशन ठीक रहता है। बच्चों को भूख लगने की समस्या है, तो यह इससे ठीक हो जाएगा। इस अभ्यास के बेनिफिट बहुत ज्यादा है लेकिन इसमें सावधानियां भी बरते। कोविड के पेशेंट भी डॉक्टर की सलाह से यह अभ्यास करें. कपालभाति जरूरी अभ्यास है। इसे रोजाना करना चाहिए। कपालभाति के लिए अर्धपद्मासन या सुखासन की मुद्रा में मैट पर बैठ जाएं। इसके साथ ही कमर और गर्दन सीधी रखें। इसका सीधा रहना बहुत जरूरी है। इसमें फोर्स लगाकर श्वास को छोड़ना है।
धीरे-धीरे इसमें तेजी लाएं। इस अभ्यास से श्वास नली के अंदर जितना म्यूकस रहता है, सब निकल आता है। इस अभ्यास के बाद उसी मुद्रा में ध्यान लगाएं और जो भी अभ्यास अब तक किया है, उन्हें महसूस करें। ध्यान रहे कि इस अभ्यास के दौरान कमर और गर्दन हमेशा सीधी रखें। इस अभ्यास के बहुत लाभ है।
अब धीरे-धीरे श्वास भरें और श्वास छोड़ें। इस अभ्यास को वेट लॉस के लिए करना है तो यह अभ्यास 10-10 मिनट का करें। बाकी लोगों अपनी क्षमतानुसार अभ्यास करें। अब इस अभ्यास के बाद फिर से कमर और गर्दन को सीधी रखें। एकदम आराम की मुद्रा में पेट को अंदर की तरफ खींचें और फिर लंबी सांस लें।
इसके बाद एकदम आराम से श्वास को छोड़ना है और जब श्वास पूरी तरह से पेट से निकल जाएं तो इसी मुद्रा में एक मिनट तक श्वास को रोकना है। ध्यान रहे पेट में श्वास थोड़ा भी न रूके। पेट एकदम अंदर तक चिपक जाए। सांस को अंदर न आने दें और सांस को रोके रखें।
इस अभ्यास के बाद रिलेक्स मोड में आ जाए। थोड़ी देर बाद पैर को आगे की तरफ सीधी कर लें। फिर पैर को सीधी रखते हुए एक पैर को अपनी तरफ खींचे और दूसरे पैर को आगे की ओर झुकाए रखे। फिर दूसरे पैर को आगे की तरफ खींचे।
यह क्रम साइकिल चलाने की तरह करते रहे। अगर आप कमर को सीधी नहीं रख पा रहे हैं तो हाथ से पीछे की ओर टेक ले लें। अब इसके बाद पैर को वृताकार पथ में घुमाए। इस अभ्यास के कई लाभ हैं। इससे पैर, घुटने, टखने मजबूत होते हैं। इसके बाद घुटनों को हाथों के अंदर मोड़ ले और श्वांस लें और श्वास छोड़ें।
अब प्राणायाम का अगला हिस्सा करेंगे। इसमें शरीर संचालन के लिए फॉरवर्ड और बैकवर्ड अभ्यास करेंगे। इसमें हस्तोतान आसन और पाद हस्तासन करेंगे। इसमें मैट पर खड़े हो जाएंगे। हाथ को कमर पर रख लेंगे। अब एक पैर को क्षमतानुसार आगे की ओर उठाएंगे फिर दूसरे पैर को उठाएंगे। इस दौरान पैर उठाते समय श्वास को लेंगे फिर पैर नीचे की ओर करते हुए श्वास को छोड़ेंगे।
यही क्रिया दूसरे पैर के साथ भी करेंगे। यह अभ्यास बैकवर्ड की तरफ पैर मोड़कर भी करेंगे। अब रिलेक्स हो जाएंगे और दोनों हाथ को उपर की ओर उठा लेंगे। फिर कमर और गर्दन सीधी रख कर हाथ को पैर की उंगलियों में झुकते हुए सटाएंगे। फिर इसी तरह से कमर को पीछे की ओर ले जाते हुए हाथ को भी पीछे की ओर ले जाएंगे। फिर आगे झुकते हुए हाथ को पैर की ओर सटाएंगे। यह अभ्यास 10-10 बार कर सकते हैं।
इस प्राणायाम में अब मैट पर बैठ जाना है। रिलेक्स होकर कमर और गर्दन को सीधी रखें। अब गर्दन को आराम से एक तरफ ले जाएं फिर गर्दन पूर्ववत ले आएं फिर गर्दन को दूसरी तरफ मोड़ें और फिर पुनः आराम की मुद्रा में ले आए।
इस तरह कई बार इसे दोहराए। अगर उज्जयी प्राणयाम नहीं कर पा रहे हैं तो श्वास नली को सहलाए या मसाज की तरह करें। उज्जयी प्राणायाम थॉयरॉयड मरीजों के लिए बहुत उत्तम माना गया है। इस अभ्यास से खून भी साफ होता है।
(Benefits Of Kapalbhati)
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