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कोरोना के बाद भारत में आई एक और खतरनाक बीमारी, आंखों से अचानक निकलने लगता है खून; कैसे पहचानें

BY: Poonam Rajput • LAST UPDATED : December 6, 2024, 10:03 am IST
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कोरोना के बाद भारत में आई एक और खतरनाक बीमारी, आंखों से अचानक  निकलने लगता है  खून; कैसे पहचानें

Bleeding Eye Virus

India News (इंडिया न्यूज़),Bleeding Eye Virus: मारबर्ग वायरस (Marburg Virus) एक अत्यधिक खतरनाक और जानलेवा वायरस है जो इबोला वायरस के समान है। यह फिलहाल अफ्रीका के कुछ हिस्सों में फैल रहा है, खासकर रवांडा में, जहां कई लोग संक्रमित हो चुके हैं और 15 मौतें दर्ज की गई हैं। इस वायरस की वजह से लोगों की आंखों और शरीर के अन्य हिस्सों से खून बहने लगता है, इसलिए इसे “ब्लीडिंग आई वायरस” भी कहा जाता है।

मारबर्ग वायरस के बारे में प्रमुख बातें:

यह फाइलोवायरस परिवार से संबंधित है, जिसमें इबोला वायरस भी शामिल है। वायरस मुख्य रूप से रूसैटस प्रजाति के चमगादड़ों में पाया जाता है, और गुफाओं या खदानों में समय बिताने वाले लोग इससे संक्रमित हो सकते हैं।

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वायरस का फैलाव

संक्रमित व्यक्ति के शारीरिक तरल पदार्थों (खून, लार, पसीना, मूत्र, उल्टी) के संपर्क से।संक्रमित सतहों और सामग्रियों के संपर्क से।संक्रमित चमगादड़ों के माध्यम से मनुष्यों में फैलता है।

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 लक्षण क्या है इसके

  • शुरुआती लक्षण (2-21 दिनों में प्रकट होते हैं):
    • तेज बुखार
    • गंभीर सिरदर्द
    • कमजोरी और थकावट
    • मांसपेशियों में दर्द
  • अगले चरण के लक्षण (3-7 दिनों के बीच):
    • दस्त, पेट दर्द, और ऐंठन
    • मतली और उल्टी
    • आंखों और अन्य अंगों से खून बहना
    • खून की कमी और अंग विफलता
  • गंभीर मामलों में मृत्यु दर:
    8-9 दिनों के भीतर मौत हो सकती है।

कैसे करें बचाव

संक्रमित क्षेत्रों से दूर रहें। संक्रमित व्यक्तियों और सतहों के संपर्क में आने से बचें। खुद को साफ सुथरा रखें। हाथ धुले मास्क पहन कर रहे।सामाजिक दूरी का पालन करना चमगादड़ों और संक्रमित जानवरों से संपर्क से बचें।

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क्या है इसका उपचार

फिलहाल मारबर्ग वायरस के लिए कोई स्वीकृत वैक्सीन या विशेष इलाज उपलब्ध नहीं है। रोगियों का इलाज उनके लक्षणों के आधार पर किया जाता है:

    • ब्लड प्रोडक्ट्स (जैसे प्लेटलेट्स)
    • इम्यून थैरेपी
    • सपोर्टिव केयर (हाइड्रेशन, दर्द प्रबंधन)

मारबर्ग वायरस एक घातक बीमारी है, और इसके खिलाफ सतर्कता, स्वच्छता और संक्रमित क्षेत्रों से बचाव करना ही एकमात्र सुरक्षा है। सरकारों और विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा निगरानी और नियंत्रण प्रयासों को मजबूत करने की आवश्यकता है। इसके अलावा, जागरूकता फैलाना और इस बीमारी से जुड़े लक्षणों को पहचानकर समय पर इलाज प्राप्त करना जीवन बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

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