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India News (इंडिया न्यूज), Halal and Jhatka: मीट की बात करें तो आपने झटका और हलाल शब्द तो सुने ही होंगे। आप सोच रहे होंगे कि एक ही जानवर का मीट इन दो तरीकों से अलग कैसे हो सकता है? आए दिन लोग इन दो शब्दों को लेकर बहस करने लगते हैं। हर कोई अपनी समझ के हिसाब से किसी एक को सही या गलत मानता है। ऐसे में यह जानना बहुत जरूरी हो जाता है कि हलाल और झटका मीट में क्या अंतर है?
झटका मीट की एक ऐसी विधि है जिसमें जानवर को एक ही झटके में मार दिया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस प्रक्रिया में जानवर को कम दर्द होता है क्योंकि वह एक ही झटके में मर जाता है। हलाल मीट में भी जानवर को मारने से पहले उसकी नसें और सांस की नली काट दी जाती है ताकि जानवर का सारा खून बाहर निकल जाए। इससे जानवर के मीट से बीमारी खत्म हो जाती है। इस तरह इस्लाम में माना जाता है कि हलाल मीट खाने से जानवर के मीट से बीमारी नहीं फैलती।
झटका मांस के खिलाफ पहली चिंता स्वास्थ्य पर इसके कथित प्रभाव के इर्द-गिर्द घूमती है। लेकिन क्यों? समस्या रक्त के थक्के बनने की प्रक्रिया में है। जब किसी जानवर को एक ही झटके में मार दिया जाता है, तो रक्त के थक्के बनने की प्रक्रिया तुरंत शुरू हो जाती है। इससे चोट वाली जगह पर खून के थक्के बनने लगते हैं, जो जानवर के पूरे शरीर में फैल जाते हैं। इसलिए, जानवर से खून पूरी तरह से निकल नहीं पाता और मांस के कुछ हिस्सों में जमने लगता है, जिससे मांस सख्त हो जाता है और अधिक खून की वजह से यह लंबे समय तक अपनी गुणवत्ता बरकरार नहीं रख पाता, यानी जल्दी खराब हो जाता है।
आपको बता दें कि रक्त का थक्का बनना एक ऐसी प्रक्रिया है जो चोट लगने पर शरीर से अत्यधिक रक्त की हानि को रोकने के लिए शुरू होती है। मुख्य रूप से जब किसी जीवित प्राणी को घाव लग जाता है और रक्त जमने लगता है, तो रक्त में मौजूद प्लेटलेट्स और प्लाज्मा मिलकर रक्त को जमा देते हैं, इस प्रक्रिया को रक्त का थक्का बनना कहते हैं।
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