India News (इंडिया न्यूज), Breast Cancer: ब्रेस्ट कैंसर से डरना नहीं लड़ना है। महिलाओं को समय से जाँच करानी है और नाते-रिश्तेदारों को इस जंग में उनका साथ देना है। ब्रेस्ट कैंसर से जंग में महिलाएँ अकेली नहीं हैं। इस कैंसर को टाइमली डिटेक्शन और बेहतर इलाज से हराया जा सकता है। ये सारी बातें दिल्ली के इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल में ‘ब्रेस्ट कैंसर इन यंग वुमन चैलेंज एंड होप’ विषय पर आयोजित एक कार्यक्रम में कही गईं।
अपोलो अस्पताल के सीनियर कैंसर एक्सपर्ट्स के साथ ही कई वरिष्ठ मीडियाकर्मी, सोशल एक्टिविस्ट, वकील, महिला एक्टिविस्ट , शिक्षाविद्, रिसर्चर और छात्र अपोलो अस्पताल के सभागार में तीन घंटे तक इस बीमारी के अलग-अलग पहलुओं से रूबरू होते रहे। ब्रेस्ट कैंसर सर्वाइवर्स ने इस मौक़े पर अपने संघर्ष की कहानियाँ भी सुनाई।
इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल के ऑनकॉलोजी विभाग के सीनियर कंसलटेंट डॉ कुमार ऋषिकेश ने ब्रेस्ट कैंसर अवेयरनेस मंथ में ये कार्यक्रम आयाजित किया ताकि ज़्यादा से ज़्यादा लोगों को इस अभियान से जोड़ा जा सके। अपने आधार वक्तव्य में डॉ ऋषिकेश ने कैंसर को लेकर दुनिया भर में चल रही मेडिकल रिसर्च और इलाज में आधुनिक तकनीक के इस्तेमाल को विस्तार से समझाया। इसके साथ ही उन्होंने इलाज के भावनात्मक, सामाजिक और आर्थिक पक्ष का ज़िक्र भी किया।
उन्होंने कहा कि Breast Cancer की स्क्रीनिंग को लेकर राष्ट्रीय स्तर का अभियान चलाए जाने की ज़रूरत है। इसके साथ ही उन्होंने मेडिकल इंश्योरेंस कंपनियों के रवैये को लेकर भी कुछ बुनियादी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि कई बार इंश्योरेंस के बावजूद कई कंपनियाँ कैंसर के मरीज़ों का क्लेम नहीं मानतीं, शर्तों में उलझा देती हैं। कैंसर मरीज़ों के मेडिकल इंश्योरेंस के इस घालमेल की ओर भी सरकारी एजेंसियों को ध्यान देना चाहिए।
अपोलो अस्पताल के डीएमएस लेफ़्टिनेंट जनरल (रि.) डॉ बिपिन पुरी ने कहा कि आँकड़ों की बात करें तो 25 सालों में ब्रेस्ट कैंसर की ये बीमारी यंग लोगों में ज़्यादा बढ़ी है। 50 से कम उम्र की महिलाओं में ऐसे मरीज़ क़रीब-करीब दो गुने हो गए हैं। चालीस साल की उम्र के बाद से ही रेग्युलर स्क्रीनिंग ज़रूरी है। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वरिष्ठ पत्रकार शमशेर सिंह ने कहा कि हम अपने परिवार के लोगों को सबसे बड़ा गिफ़्ट फ़िटनेस का दे सकते हैं।
जो लोग अपने परिवार से प्यार करते हैं, उन्हें अपनी सेहत का ध्यान ज़रूर रखना चाहिए। वरिष्ठ पत्रकार किशोर अजवाणी ने कहा कि एक मीडियाकर्मी के नाते वो ये भरोसा दिलाते हैं कि कैंसर जैसी बीमारियों को लेकर जागरूकता फैलाने वाली ख़बरों का स्पेस बढाएँगे। इंडिया न्यूज़ के एग्जीक्यूटिव एडिटर पशुपति शर्मा ने कहा कि कैंसर का ये मसला इमोशनल कर जाता है। इसे मेडिकल साइंस के साथ-साथ मन के विज्ञान से भी समझने की ज़रूरत है।
तीन सत्रों के इस कार्यक्रम की शरुआत दीप प्रज्ज्वलन से हुई। पहले औपचारिक सत्र में डॉ ऋषिकेश ने कैंसर मरीज़ों के इलाज में बरती जाने वाली लापरवाही की ओर ध्यान खींचा। उन्होंने कहा कि कई बार लोग इस बीमारी को छिपाने की कोशिश करते हैं, जो ग़लत है। कैंसर किसी को भी हो सकता है और इसे लेकर किसी भी तरह की हीन भावना से ग्रस्त होने की कोई ज़रूरत नहीं है। इसके बाद कैंसर सर्वाइवर प्रियंका शर्मा की एक शॉर्ट फ़िल्म दिखाई गई। इस फ़िल्म में प्रियंका की आप बीती के साथ वो सारे बुनियादी सवाल हैं, जिससे कैंसर मरीज़ आए दिन जूझते हैं।
दूसरे और तीसरा सत्र पैनल डिस्कशन का रहा। वरिष्ठ पत्रकार प्रियंका सिंह ने दूसरा सत्र मॉडरेट किया जिसमें कैंसर सर्वाइवर्स ने अपनी कहानियाँ सुनाईं। पीतमपुरा के पुष्पांजली डीएवी पब्लिक स्कूल की प्रिंसिपल रश्मि बिस्वाल भी कैंसर सर्वाइवर हैं। आम तौर पर वो अपनी ये कहानी लोगों से कम ही शेयर करती हैं। अपोलो अस्पताल के मंच से उन्होंने ये संकल्प लिया कि वो अपनी कहानी के ज़रिए लोगों को ये संदेश देंगी कि कैंसर से लड़ा जा सकता है। दो दशकों से उन्होंने इस बीमारी पर फ़तह पाने वाली योद्धा की तरह गुज़ारे हैं। अब वक़्त है कि बाकियों को इससे लड़ने का हौसला दें।
डॉ सैयद असीम रिज्वी ने कहा कि लोगों को कैंसर के इलाज को लेकर अफ़वाहों पर ध्यान नहीं देना चाहिए। आज हिन्दुस्तान में बेहतरीन इलाज उपलब्ध है. डॉ सपना मनोचा ने कहा कि कैंसर मरीज़ों के इलाज के साथ ही हम उनके परिवार की काउंसलिंग भी करते हैं। क्योंकि ऐसे वक़्त में वो लोग कई तरह की उधेड़-बुन से गुजरते हैं। डॉ मनु भदौरिया ने कहा कि कैंसर के इलाज के खर्च को लेकर तरह-तरह की बातें की जाती हैं लेकिन आज भी हिन्दुस्तान में ये खर्च कम है। वरिष्ठ पत्रकार अर्चना सिंह ने कहा कि मेन स्ट्रीम मीडिया में हेल्थ से जुड़ी ख़बरों का स्पेस बढ़ना चाहिए।
पत्रकार प्रियंका सिंह ने कहा कि हेल्थ सेक्टर में संजीदगी के साथ काम करने की ज़रूरत है, लोगों को ऐसी ख़बरें भी चाहिए लेकिन ठीक मंच नहीं मिल पा रहा है। वरिष्ठ वकील और सामाजिक कार्यकर्ता नेहा रस्तोगी ने कहा कि उन्होंने ब्रेस्ट फ़ीडिंग को लेकर एक बड़ा अभियान चलाया है। उन्होंने कहा कि महिलाओं को लेकर पुरुषों को अपना नज़रिया बदलना चाहिए, उनकी सेहत को प्राथमिकता देनी चाहिए। कार्यक्रम का संचालन रितु भारद्वाज ने किया और धन्यवाद ज्ञापन सीनियर ऑनकोलॉजिस्ट डॉ कुमार ऋषिकेश ने किया।
Also Read:
India News (इंडिया न्यूज),Himachal Pradesh Weather: हिमाचल के निचले पहाड़ी इलाकों में कड़ाके की ठंड…
India News (इंडिया न्यूज),MP News: MP के CM डॉ. मोहन यादव रविवार (22 दिसंबर) को…
India News (इंडिया न्यूज),Muzaffarnagar News: यूपी के मुजफ्फरनगर से एक सनसनीखेज घटना सामने निकलकर आई…
India News (इंडिया न्यूज),Delhi News: दिल्ली में एक अवैध पटाखा फैक्टरी में विस्फोट की खबर…
India News (इंडिया न्यूज),Wall Collapse In Kishanganj: किशनगंज में दीवार गिरने से 3 लोगों की…
India News (इंडिया न्यूज),Delhi Crime: पश्चिम विहार इलाके के 1 होटल से लड़की का शव…