दक्षिण एशियाई देशों की तुलना में भारत में सेप्सिस से मृत्यु दर अधिक है। विशेषज्ञों ने कहा है कि सेप्सिस से 2050 तक कैंसर और दिल के दौरे से ज्यादा लोगों की मौत होने की आशंका है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, संक्रामक रोगों में सेप्सिस के कारण मौत का खतरा रहता है। लैंसेट जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन से पता चला है कि साल 2017 में दुनिया भर में 4.89 करोड़ मामले और 1.1 करोड़ सेप्सिस से संबंधित मौतें हुईं, जो सभी वैश्विक मौतों का लगभग 20 प्रतिशत है। अध्ययन से यह भी पता चला है कि अफगानिस्तान को छोड़कर अन्य दक्षिण एशियाई देशों की तुलना में भारत में सेप्सिस से मृत्यु दर अधिक है।

विशेषज्ञों का मानना है कि सेप्सिस 2050 तक कैंसर या दिल के दौरे की तुलना में अधिक लोगों की जान ले लेगा। यह सबसे बड़ा हत्यारा होने जा रहा है। भारत जैसे विकासशील देशों में, एंटीबायोटिक दवाओं के अत्यधिक उपयोग के कारण शायद उच्च मृत्यु दर का कारण बन रहा है। ऐसा इसलिए है क्योंकि डेंगू, मलेरिया, यूटीआई या यहां तक कि दस्त जैसी कई सामान्य बीमारियों के कारण सेप्सिस हो सकता है। विशेषज्ञों ने जागरूकता की कमी और शीघ्र निदान पर भी ध्यान दिलाया है। इसके लिए जमीनी स्तर पर सेप्सिस के बारे में जागरूकता और शिक्षा बढ़ाने की जरूरत है।

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चिकित्सा में प्रगति के बावजूद तृतीयक देखभाल अस्पतालों में 50-60 प्रतिशत रोगियों को सेप्सिस और सेप्टिक शॉक होता है। जागरूकता और शीघ्र निदान की आवश्यकता है। साथ ही अनावश्यक एंटीबायोटिक चिकित्सा से बचा जाना चाहिए। हमें भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद, सतत चिकित्सा शिक्षा (सीएमई) द्वारा शोधों में सेप्सिस के मामलों को चिह्न्ति करने की आवश्यकता है। इसे नीति निमार्ताओं द्वारा प्राथमिकता पर लिया जाना चाहिए। जबकि यह नवजात शिशुओं और गर्भवती महिलाओं में मृत्यु का एक प्रमुख कारण है। सेप्सिस वृद्ध वयस्कों, आईसीयू में रोगियों और एचआईवी / एड्स, लिवर सिरोसिस, कैंसर, गुर्दे की बीमारी और ऑटोइम्यून बीमारियों से पीड़ित लोगों को भी प्रभावित करता है। विशेषज्ञों ने कहा कि इसने चल रहे कोविड -19 महामारी के दौरान रोग इम्यून के कारण होने वाली अधिकांश मौतों में भी प्रमुख भूमिका निभाई। जब तक हम जनता को शिक्षित और जागरूक नहीं करेंगे, तब तक सेप्सिस एक पहेली बना रहेगा।

Disclaimer: लेख में उल्लिखित सुझाव केवल सामान्य जानकारी के उद्देश्य से हैं और इसे पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी फिटनेस व्यवस्था या चिकित्सकीय सलाह शुरू करने से पहले कृपया डॉक्टर से सलाह लें।