Live
Search
Home > हेल्थ > क्या COVID-19 से सचमुच पड़ा है मर्दानगी पर असर? नई रिसर्च में सामने आया चौंकाने वाला खुलासा

क्या COVID-19 से सचमुच पड़ा है मर्दानगी पर असर? नई रिसर्च में सामने आया चौंकाने वाला खुलासा

COVID-19 Impact on Next Generation: कोविड- 19 के बाद लोगों को कई तरह से स्वास्थ्य समस्या का सामना करना पड़ रहा है, लेकिन एक नई रिसर्च में बड़ा खुलासा हुआ है, जिसमें आने वाली पीढ़ी पर भारी असर पड़ सकता है.

Written By: shristi S
Last Updated: October 14, 2025 15:50:35 IST

COVID-19 Effects on Sperm: COVID-19 महामारी ने पूरी दुनिया को हिला कर रख दिया था. शुरुआती दौर में वैज्ञानिकों और स्वास्थ्य विशेषज्ञों का ध्यान मुख्यतः संक्रमण से बचाव, इलाज और वैक्सीन पर केंद्रित था. हालांकि, अब महामारी के कुछ वर्षों बाद शोधकर्ताओं ने इस वायरस के उन अप्रत्याशित प्रभावों की ओर ध्यान देना शुरू किया है, जो संक्रमित व्यक्ति के बच्चों और अगली पीढ़ी के मानसिक स्वास्थ्य और व्यवहार को प्रभावित कर सकते हैं. ऑस्ट्रेलिया के फ्लोरी इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूरोसाइंस एंड मेंटल हेल्थ में हाल ही में किए गए एक अध्ययन ने यह चौंकाने वाला खुलासा किया है कि COVID-19 संक्रमण पुरुषों के शुक्राणुओं में ऐसे बदलाव ला सकता है, जो बच्चे के मस्तिष्क के विकास और व्यवहार को प्रभावित कर सकते हैं. यह शोध Nature Communications में प्रकाशित हुआ है.

क्या आया रिसर्च में सामने?

शोधकर्ताओं ने चूहों पर एक प्रयोग किया. उन्होंने कुछ नर चूहों को SARS-CoV-2 से संक्रमित किया और फिर उन्हें पूरी तरह ठीक होने दिया. इसके बाद इन संक्रमित नर चूहों को स्वस्थ मादा चूहों के साथ प्रजनन करवाया गया.

नतीजे बताते हैं कि इन संक्रमित नर चूहों से जन्मी संतानें, उन चूहों की संतानों की तुलना में अधिक चिंतित व्यवहार प्रदर्शित कर रही थीं, जिनके पिता कभी संक्रमण का शिकार नहीं हुए थे. खासकर मादा संतानों में तनाव से जुड़े जीनों में महत्वपूर्ण बदलाव देखा गया. मस्तिष्क के हिप्पोकैम्पस क्षेत्र में भी जीन की सक्रियता में बड़े बदलाव दर्ज किए गए. यह हिस्सा हमारे भावनाओं और मूड को नियंत्रित करता है, जिससे संतानों के व्यवहार पर सीधा असर पड़ता है.

बदलाव क्यों और कैसे होते हैं?

वैज्ञानिकों ने पाया कि COVID-19 संक्रमण के बाद पुरुषों के शुक्राणुओं में मौजूद RNA, विशेषकर नॉन-कोडिंग RNA, बदल जाते हैं. नॉन-कोडिंग RNA सीधे प्रोटीन का निर्माण नहीं करते, लेकिन ये यह तय करते हैं कि कौन सा जीन सक्रिय होगा और कौन सा नहीं. जीन ही शरीर के विकास और व्यवहार को नियंत्रित करते हैं. इस प्रकार, जब शुक्राणु में RNA बदल जाते हैं, तो अगली पीढ़ी के मस्तिष्क और व्यवहार पर असर पड़ सकता है. इसे वैज्ञानिक भाषा में एपिजेनेटिक बदलाव कहा जाता है.

इंसानों के लिए संभावित प्रभाव

अगला कदम यह होगा कि इंसानों में इसी तरह की जांच की जाए. शोधकर्ताओं को यह देखने की जरूरत है कि COVID-19 से ठीक हुए पुरुषों के शुक्राणुओं में इसी तरह के बदलाव हैं या नहीं और क्या उनके बच्चों में मानसिक या व्यवहारिक प्रभाव देखे जा सकते हैं. यदि यह प्रक्रिया इंसानों में भी समान रूप से चलती है, तो इसका प्रभाव लाखों परिवारों पर हो सकता है. यह रिसर्च COVID-19 को सिर्फ एक सांस संबंधी बीमारी के रूप में नहीं, बल्कि एक ऐसा वायरस के रूप में देखने की चेतावनी देती है, जो मानव प्रजनन और अगली पीढ़ियों के मानसिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित कर सकता है.

MORE NEWS

Are you sure want to unlock this post?
Unlock left : 0
Are you sure want to cancel subscription?