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भीषण गर्मी से चमगादड़ों की मौत बनी चिंता का विषय, जानें कैस-IndiaNews

Ankita Pandey • LAST UPDATED : June 20, 2024, 9:04 pm IST

bats

India News (इंडिया न्यूज़), Bats: पूरा देश इस समय भीषण गर्मी से परेशान है। इस गर्मी से इंसान सहित जानवर भी काफी परेशान है। दिल्ली और कानपुर जैसे शहरों में गर्मी से बड़ी संख्या में चमगादड़ मर रहे हैं। इस घटना से चमगादड़ों के स्वास्थ्य के बारे में चिंता के साथ मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए संभावित खतरों के बारे में भी चिंता जताई जा रही है। क्योंकि चमगादड़ हमारे पारिस्थितिकी तंत्र में काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

 गर्मी से चमगादड़ों को नुकसान पहुंचाया

कानपुर के नाना राव पार्क में जहां पर सैकड़ो कि संख्या में चमगादड़ रहते हैं। यहां पर स्थानीय लोगों ने पेड़ों से चमगादड़ों को गिरते हुए देखा है। 45 डिग्री सेल्सियस से ऊपर के तापमान रहने के कारण और ज्यादा गर्मी इन जीवों के लिए जानलेवा बनती जा रही है। चमगादड़ हमारे पारिस्थितिकी तंत्र में सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ये कीटों की आबादी को नियंत्रित करने में मदद करते हैं, जो की किसानों के लिए फायदेमंद होता है क्योंकि इससे कीट नियंत्रण रसायनों की आवश्यकता कम हो जाती है। कुछ उष्णकटिबंधीय पौधे परागण और बीज फैलाव के लिए भी चमगादड़ों पर ही निर्भर करते हैं। चमगादड़ों के खत्म होने से पारिस्थितिकी तंत्र में असंतुलन होने का खतरा है, जिससे संभावित रूप से कीटों की व्यापकता बढ़ सकती है और पौधों का प्रजनन भी प्रभावित हो सकता है।

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पर्यावरण और स्वास्थ्य जोखिम संबंधी चिंताएँ

चमगादड़ों की मौत से कई स्वास्थ्य और पर्यावरण संबंधी चिंताएँ पैदा होती हैं। सड़ते हुए चमगादड़ों के शवों से जल के स्रोतों दूषित हो सकते हैं, जिससे कई बीमारियाँ हो सकती हैं। खास तौर पर जल निकायों के पास मरने वाले चमगादड़ों से प्रदूषण स्तर बढ़ सकता है, जिससे पीने के जल स्रोत प्रभावित हो सकते हैं और जूनोटिक बीमारियाँ फैल सकती हैं। चमगादड़ों की संख्या में कमी के कारण मच्छरों की आबादी में वृद्धि से डेंगू और मलेरिया जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है।

चमगादड़ों के शवों का करें सुरक्षित निपटान

संभावित स्वास्थ्य जोखिमों से बचने और उनको कम करने के लिए मृत चमगादड़ों को संभालते समय काफी सावधानी बरतने की आवश्यकता होती है। इनके शवों को संभालने के लिए मोटे दस्ताने और लंबे औजारों का उपयोग करने की सलाह दी जाती है। यदि चमगादड़ की मौत हो गई है तो उन्हें गहरा गड्ढा खोदकर उसमें दफनाया चाहिए ताकि पालतू जानवरों और अन्य जानवरों की पहुंच से दुर रहे। हवा में मौजूद विषाणु के संपर्क में आने से बचने के लिए मृत चमगादड़ों वाले क्षेत्रों में मास्क पहनना उचित है।

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